इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बकाये बिजली बिल का अंतिम निर्धारण किए बिना लाखों का वसूली नोटिस भेजना न केवल उपभोक्ता को अनावश्यक परेशान या उसका उत्पीड़न करना है अपितु कोर्ट पर भारी बोझ डालना भी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बकाये बिजली बिल का अंतिम निर्धारण किए बिना लाखों का वसूली नोटिस भेजना न केवल उपभोक्ता को अनावश्यक परेशान या उसका उत्पीड़न करना है अपितु कोर्ट पर भारी बोझ डालना भी है। इससे विभाग की छवि में गिरावट आ रही है। कोर्ट ने कहा बिजली विभाग ने याची के खिलाफ जारी चार लाख, तीन हजार, 692 रुपये बिजली बिल बकाये का वसूली नोटिस खुद ही वापस ले लिया है किंतु उसे परेशान किया गया। इसलिए विभाग याची को 20 हजार रुपये हर्जाने का भुगतान करे और विभाग चाहे तो दोषी अधिकारियों से इसकी भरपाई कर ले।कोर्ट ने डिस्काम के प्रबंध निदेशक को जरूरी कार्रवाई करने के लिए आदेश की प्रति भेजने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एम के गुप्ता तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने फिरोजाबाद के निवासी सनी यादव की याचिका पर दिया है।कोर्ट के निर्देश पर बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि याची के बकाये का अंतिम निर्धारण नहीं किया गया है। इसलिए लिपिकीय गलती से जारी वसूली नोटिस वापस ले लिया गया है। कोर्ट ने कहा दाखिल याचिकाओं में अक्सर देखा जा रहा कि बिना असेसमेंट के वसूली कार्रवाई कर उपभोक्ताओं को अनावश्यक परेशान किया जा रहा है, जो उचित नहीं है।