
नई दिल्ली में स्थित आकाश हेल्थकेयर हाॅस्पिटल के कार्डियोलाॅजिस्ट डाॅ अमित पेंढारकर ने चार धाम यात्रा के दौरान दिल का दौरा पड़ने के कारणों के बारे में बताते हुए कहा कि यह बहुत चिंता का विषय है कि पिछले वर्ष चार धाम यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी। ज्यादातर तीर्थयात्रियों की मौत हार्ट अटैक के कारण हुई। ये महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि हमें यह समझना जरूरी है कि चार धाम की यात्रा के दौरान दो परेशानियां होती हैं। एक तो हाइट ज्यादा होती है। चढ़ाई की ज्यादातर लोगों को आदत नहीं होती है। साथ ही हाइट ज्यादा होने से ऑक्सीजन की कमी भी होती है। यह दोनों फैक्टर हैं, जिनके कारण हार्ट पर स्ट्रेस आता है और हार्ट अटैक आने की संभावना रहती है।

डाॅ अमित पेंढारकर के मुताबिक, आजकल देखा जा रहा है कि युवा लोगों में भी हृदय संबंधी समस्याएं सामान्य हो गई हैं। इसलिए युवाओं को भी चार धाम यात्रा शुरू करने से पहले अपनी पुरानी जांच करानी चाहिए। खासकर फिजिकल फिटनेस की जांच। फिजिकल फिटनेस के लिए एक साधारण टेस्ट होता है कि ट्रेडमिल या स्ट्रेचिंग, जिसे करा कर देखना चाहिए कि आप अपने हार्ट को स्ट्रेस दे सकते हैं या नहीं दे सकते हैं। अगर इस तरह के टेस्ट में कोई परेशानी नहीं आती है, तभी चार धाम की यात्रा करनी चाहिए, अन्यथा यात्रा के दौरान हार्ट के ऊपर स्ट्रेस आने के कारण दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।

मेदांता अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अल्केश जैन ने सलाह दी कि अधिक उम्र के जिन लोगों को हृदय संबंधी बीमारी है, वह अगर किसी हिल स्टेशन पर जा रहे हैं या फिर चार धाम की यात्रा पर जाना चाहते हैं तो पहले जरूरी स्वास्थ्य जांच करा लें। हेल्थ टेस्ट के लिए हृदय से जुड़ी जाचें जैसे ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच करानी चाहिए। अगर तीर्थयात्री को कोई अंदरूनी बीमारी है तो यात्रा के दौरान अधिक थकान होने पर दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। ऊंचाई वाली जगहों पर जाने से पहले इको टीएमटी जांच, खून की जांच और ईसीजी कराकर ही जाएं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, हृदय घात की स्थिति में शरीर में कई तरह की दिक्कतों को महसूस किया जा सकता है। ये दिक्कतें सामान्य सी होती हैं, इसे लोग अनदेखा कर देते हैं। हालांकि हार्ट अटैक के ये संकेत होते हैं, जिसे इग्नोर करना बड़ी मुसीबत को जन्म दे सकता है। हृदय संबंधी बीमारी के संकेतों को इन समझकर विशेष सावधानी बरतें।
-छाती या बाहों में दबाव, जकड़न या दर्द जैसा अनुभव होना।
-छाती में दर्द की अनुभूति जो आपके गर्दन, जबड़े या पीठ तक फैल सकती है।
-मतली, अपच या पेट दर्द की समस्या।
-सामान्य रूप से सांस लेने में दिक्कत महसूस होना।
-अधिक पसीना आना या लगातार थकान महसूस होते रहना।
-चक्कर आना।

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