द इकनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) की ओर से हाल ही में जारी वैश्विक कारोबारी माहौल रैंकिंग (बीईआर) में भारत 6 पायदान ऊपर आ गया है। वहीं, 17 एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में 14वें से 10वें स्थान पर पहुंच गया है।
भारत ने कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने के लिए पिछले एक साल में बड़े सुधार किए हैं। इस मामले में अब वह सिंगापुर को टक्कर दे रहा है। प्रमुख बड़े सुधारों की वजह से विदेशी कंपनियों (विनिर्माता) के लिए भारत आकर्षक गंतव्य के रूप में सामने आ रहा है।द इकनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) की ओर से हाल ही में जारी वैश्विक कारोबारी माहौल रैंकिंग (बीईआर) में भारत 6 पायदान ऊपर आ गया है। वहीं, 17 एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में 14वें से 10वें स्थान पर पहुंच गया है। इस रैंकिंग में सिंगापुर शीर्ष पर काबिज है। यह रैंकिंग उन देशों को दी जाती है, जहां अगले पांच साल में कारोबारी माहौल पूरी दुनिया में सबसे अच्छा होगा।वैश्विक कारोबारी माहौल रैंकिंग में 91 संकेतकों के आधार पर 82 देशों में कारोबारी माहौल को लेकर आकर्षण का मापन किया जाता है। 2023 की दूसरी तिमाही के लिए जारी इस रैंकिंग से पता चलता है कि नीतिगत सुधारों की वजह से भारत में कारोबार करना पहले के मुकाबले आसान हो गया है। इसके साथ ही, बुनियादी ढांचा, कराधान और कारोबार को लेकर नियमन में सुधार से निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
इन वजहों से रैंकिंग में सुधार
इकोनॉमिस्ट ग्रुप के अनुसंधान विभाग ने कहा कि कारोबारी माहौल के मोर्चे पर भारत के बेहतर प्रदर्शन के पीछे विदेशी व्यापार, विनिमय नियंत्रण, बुनियादी ढांचे पर जोर और तकनीकी को अपनाने में तत्परता अहम कारक हैं।इसके अलावा, मजबूत एवं स्थिर अर्थव्यवस्था, व्यापक प्रोत्साहन कार्यक्रम, श्रमिकों की बेहतर आपूर्ति से भी भारत में कारोबार करना आसान हुआ है।
विनिर्माण में निवेश के मोर्चे पर चिंता
ईआईयू ने रिपोर्ट में कहा है कि भारत विनिर्माण में निवेश को लेकर ऐतिहासिक रूप से संघर्ष कर रहा है। दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य उभरते बाजारों से उसे कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। इसके अलावा, अत्यधिक लालफीताशाही और संरक्षणवादी रवैया निवेशकों के लिए चुनौती बना रहेगा।
- हालांकि, भारत के पास अपने विनिर्माण क्षेत्र के विस्तार का सुनहरा अवसर है। इससे न सिर्फ आर्थिक विकास व निर्यात को गति मिलेगी बल्कि जीडीपी में हिस्सेदारी भी बढ़ेगी, जो अभी 20% से कम है।
चीन पर अधिक निर्भरता हमारे लिए मौका
ईआईयू ने रिपोर्ट में कहा है कि एपल समेत कई बड़ी विदेशी कंपनियां आपूर्ति को लेकर चीन पर अधिक निर्भरता और उसकी ‘चाइन प्लस वन’ नीति से सावधान हो गई हैं। यह भारत के लिए एक बड़ा अवसर है। चीन की नीतियों की वजह से एपल चीनी कारखानों पर अपनी निर्भरता घटाने के लिए भारत में उत्पादन बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है।
- ब्लूमबर्ग ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एपल की विनिर्माता कंपनी फॉक्सकॉन भारत में विनिर्माण बढ़ाना चाह रही है। वह बंगलूरू के पास फैक्टरी लगाने के लिए 70 करोड़ डॉलर की निवेश की योजना बना रही है। इससे एक लाख नौकरियों भी पैदा होंगी।
- भारतीय अधिकारियों का कहना है, एपल अपने कुल उत्पादन का 25 फीसदी भारत में करना चाहती है। अभी यह करीब 5-7 फीसदी है।
सैमसंग भी करेगी निवेश : सैमसंग ने मार्च में कहा था कि वह उत्पादन को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए नोएडा के मोबाइल फोन प्लांट में स्मार्ट विनिर्माण क्षमताएं स्थापित करने में निवेश करेगी।
- कोरियाई इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी का अनुमान है कि 2026 में भारत में एक अरब स्मार्टफोन यूजर्स होंगे।