एआईसीटीई के चेयरमैन अध्यक्ष प्रोफेसर टीजी. सीताराम ने बताया कि आम जनता के बीच जीवन रक्षक कौशल और प्रशिक्षण की कमी भारत में मृत्युदर के अधिक होने का सबसे मुख्य कारण है। इसलिए युवाओं को जीवन रक्षक कौशल और प्रशिक्षण देना होगा।
एआईसीटीई के चेयरमैन अध्यक्ष प्रोफेसर टीजी. सीताराम ने बताया कि आम जनता के बीच जीवन रक्षक कौशल और प्रशिक्षण की कमी भारत में मृत्युदर के अधिक होने का सबसे मुख्य कारण है। इसलिए युवाओं को जीवन रक्षक कौशल और प्रशिक्षण देना होगा। कॉलेजों के माध्यम से हम एक ऐसे समुदाय के निर्माण की प्रक्रिया में तेजी ला सकते हैं, जो अगले कुछ दशकों तक इस दिशा में उत्कृष्ट बदलाव लाएगा। उन समुदायों को जीवन रक्षक तकनीकों के साथ प्रशिक्षित करके, हम जीवित रहने की दर में सुधार कर सकते हैं।
यह पहल प्रधानमंत्री के ‘आयुष्मान भारत’ योजना के अनुरूप है, जोकि लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। कोरोना के बाद युवाओं के बीच अचानक हृदयाघात की बढ़ती घटनाओं के बीच इस पहल की शुरुआत की जा रही है। तकनीकी कॉलेजों में बेसिक लाइफ सपोर्ट के कई अन्य सत्र भी आयोजित किए जाएंगे। प्रशिक्षित लोग किसी रोगी को त्वरित राहत देने में मदद करेंगे और एंबुलेंस आने तक सीपीआर सहित उचित देखभाल भी करेंगे।
वहीं, एआईसीटीई के सहयोगी हेका हेल्दी यू के निदेशक करुण काड ने बताया कि हमारी टीम पूरे भारत में छात्रों और शिक्षकों को जोड़ेगी और प्रशिक्षित करेगी। यह टीम किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आत्मविश्वास और संयमित रहने के लिए ज्ञान और कौशल प्रदान करेगी। इससे मानव जीवन को बचाने में सहायता मिलेगी।
क्या होता है सीपीआर
सीपीआर का मतलब है कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन। यह भी एक तरह की प्राथमिक चिकित्सा यानी फर्स्ट एड है। जब किसी पीड़ित को सांस लेने में दिक्कत हो या फिर वो सांस न ले पा रहा हो और बेहोश जो जाए तो सीपीआर से उसकी जान बचाई जा सकती है। बिजली का झटका लगने पर, पानी में डूबने पर और दम घुटने पर सीपीआर से पीड़ित को आराम पहुंचाया जा सकता है। हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा पड़ने पर तो सबसे पहले और समय पर सीपीआर दे दिया जाये तो पीड़ित की जान बचाने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।