इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्वार विधानसभा सीट से पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को तगड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई दो साल की सजा पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों में आवेदक की दोषसिद्धि पर रोक लगाने का कोई उचित आधार नहीं है। अपीलीय अदालत द्वारा पारित आक्षेपित आदेश न्यायसंगत, उचित और कानूनी है और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। यह समय की मांग है कि लोक प्रतिनिधियों का स्वच्छ छवि का होना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने अब्दुल्ला आजम की याचिका की सुनवाई के बाद दिया है।
याची अब्दुल्ला आजम और उसके पिता पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को मुरादाबाद की निचली अदालत ने 29 जनवरी 2008 को पुलिस चेकिंग के दौरान समर्थकों के साथ हाईवे पर जाम लगाने के आरोप में दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। दो साल की सजा होने की वजह से अब्दुल्ला आजम ने अपनी विधानसभा की सदस्यता भी खो दी। चुनाव आयोग अब स्वार विधानसभा सीट पर चुनाव कराने की तैयारी में है। अब्दुल्ला आजम अपनी सजा पर रोक लगाने की मांग पर हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी।
अब्दुल्ला आजम खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इमरानउल्ला की ओर से तर्क दिया गया कि जब घटना हुई थी तो अब्दुल्ला आजम किशोर था। ट्रायल कोर्ट की ओर से उसे अवैध रूप से दोषी ठहराया है। इसलिए सजा पर रोक लगाई जानी चाहिए थी। कोर्ट ने कहा कि आवेदक पूरी तरह से गैर मौजूद आधारों पर अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की कोशिश कर रहा है। याची पर 46 आपराधिक मामले लंबित हैं। राजनीति में पवित्रता रखना अब समय की मांग है। जन प्रतिनिधियों को स्वच्छ छवि का होना चाहिए। उक्त परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इंकार करना गलत नहीं होगा।