झांसी में असद के साथ मारा गया पांंच लाख का इनामी शूटर गुलाम अपराध की दुनिया का बादशाह बनना चाहता था। यही वजह है कि कई साल पहले अपनी दबंगई के लिए चर्चित इस अपराधी ने अपना वर्चस्व कायम करने के लिए अब माफिया अतीक व उसके भाई अशरफ से हाथ मिला लिया था।
झांसी में असद के साथ मारा गया पांंच लाख का इनामी शूटर गुलाम अपराध की दुनिया का बादशाह बनना चाहता था। यही वजह है कि कई साल पहले अपनी दबंगई के लिए चर्चित इस अपराधी ने अपना वर्चस्व कायम करने के लिए अब माफिया अतीक व उसके भाई अशरफ से हाथ मिला लिया था। यही वजह थी कि दोनों के कहने पर उसने दिनदहाड़े दुर्दांत तरीके से उमेशपाल हत्याकांड को अंजाम दिया।
गुलाम वह शूटर था, जो उमेश पाल हत्याकांड में टोपी पहनकर गोलियां चलाता नजर आया है। रसूलाबाद का रहने वाला गुलाम कभी मोहल्ले में दबंंगई करता फिरता था। उसने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की। इस दौरान उसका मेलजोल कुछ मनबढ़ युवकों से हुआ। जिसके बाद उसकी जान पहचान हॉस्टलों में रहने वाले कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के युवकों से भी हुई। इन्हीं के बल पर उसने दबंगई शुरू की। कॉलेज के दिनों में उसे अक्सर दबंगई करने वाले युवकों के साथ देखा जाता था।
छोटी मोटी घटनाओं के बाद उसने ठेकों में भी दखल देना शुरू कर दिया और इसी के तहत उसने नगर निगम के ठेकेदार चंदन सिंह संग काम करना शुरू किया। हालांकि कुछ दिनों बाद उससे अदावत हो गई और फिर एक दिन चंदन की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसमें गुलाम का नाम आया और वह जेल भी गया लेकिन कुछ दिनों बाद जमानत पर बाहर आ गया।
गुलाम इविवि से पढ़ा था और उसे राजनीति का भी चस्का था। छात्रसंघ चुनाव में भी वह काफी सक्रिय था। पुलिस का दावा है कि 2017 में इविवि छात्रसंघ चुनाव में उदय यादव को लड़ाने में उसका विशेष योगदान रहा था। इस बार वह सभासद का चुनाव लड़ने की भी तैयारी कर रहा था। पुलिस अफसरों का यह भी दावा है कि पिछले विस निर्वाचन से पहले शाइस्ता परवीन के चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर उठी तो अतीक के बेटे अली ने उससे संपर्क साधा था। इसके बाद ही वह प्रयागराज में शाइस्ता के लिए चुनाव प्रचार में जोरशोर से जुट गया था। यही नहीं अतीक के बेटे अली के साथ कई अन्य शहरों में जाकर भी चुनावी रैलियाें में भी शिरकत की थी।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि विवि में पढ़ाई के दौरान गुलाम ने मुस्लिम हॉस्टल में भी कई युवकों को अपना करीबी बना लिया था। उमेशपाल हत्याकांड में जेल भेजा गया सदाकत खान भी इन्हीं में से एक था। सदाकत की मदद से ही उसने मुस्लिम हॉस्टल में भी अपना ठिकाना बना लिया था। बता दें कि सदाकत की गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने यह खुलासा किया है कि मुस्लिम हॉस्टल भी उमेश पाल हत्याकांड की साजिश का एक अहम केंद्र रहा।
सूत्रों का कहना है कि गुलाम उमेश पाल हत्याकांड में शामिल हुआ तो वर्चस्व कायम करने के साथ ही अतीक के एक अहसान को चुकाना भी इसकी एक वजह रही। दरअसल इस बात की चर्चा है कि गुलाम को चंदन सिंह केस में बचाने वाला अतीक ही था। दरअसल जेल में रहने के दौरान ही उसकी मुलाकात अतीक से हुई थी। उसने अतीक से कहा कि वह इस केस में समझौता करा दे। अतीक की उस समय तूती बोलती थी और यही वजह है कि उसके कहने पर इस मामले में समझौता हो गया।
चर्चा इस बात की भी है कि गुलाम ने इसके लिए मोटी रकम भी खर्च की थी जिसका इंतजाम उसने अपने हिस्से की पैतृक जमीन बेचकर किया था। सूत्रों का कहना है कि यही वजह थी कि जब बरेली जेल में बंद अशरफ ने उससे उमेश पाल की हत्या की साजिश का जिक्र किया तो वह इसमें शामिल होने के लिए झट से तैयार हो गया।
गुलाम का राजनीतिक लिंक भी था। छात्रसंघ चुनाव में सक्रिय रहने के दौरान ही वह कई राजनीतिक दलों के नेताओं के संपर्क में आ गया था। यही नहीं धीरे-धीरे वह बड़े नेताओं के भी संपर्क में आ गया था। कई बड़े राजनेताओं संग उसके वीडियो व तस्वीर भी उमेशपाल हत्याकांड के बाद वायरल हुए। जनपद की एक पूर्व विधायिका का उसे केक खिलाते हुए भी एक वीडियो पिछले दिनों वायरल हुआ जो बेहद चर्चा में रहा था।