मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का जाना-पहचाना नाम व चेहरा ममता मोहनदास, दो बार कैंसर को मात दे चुकी हैं। हालांकि, अब एक और बीमारी ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया है। इस वजह से उनकी त्वचा का रंग लगातार बदलता जा रहा है। इससे जुड़ी जानकारी अदाकारा ने खुद अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर सबके साथ शेयर की है। कैप्शन में अदाकारा ने जो हैशटेग यूज किया है, उससे उनकी इस स्किन डिजीज के बारे में पता चलता है। इसी बीमारी को ठीक करने के लिए ममता आजकल काफी धूप भी सेंक रही हैं।
क्या है विटिलिगो?
ये एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिससे त्वचा के कुछ हिस्सों का पिगमेंट या कलर हल्का होने लगता है। ये तब होता है जब पिगमेंट बनाने वाले सेल्स मेलानोसाइट्स काम करना बंद कर देते हैं या फिर मर जाते हैं। इससे त्वचा पर दूध जैसे रंग के सफेद धब्बे बनने लगते हैं। मेलानोसाइट्स उस स्थिति में मरते हैं, जब इम्यून सिस्टम ही उन पर हमला करने लगता है। हालांकि, अगर परिवार में पहले किसी को ये समस्या रही है, तो सेम जीन शेयर करने के कारण व्यक्ति को विटिलिगो होने की आशंका बढ़ जाती है।
इसके लिए डॉक्टर कुछ चीजों को ट्रीटमेंट में शामिल कर सकता है।
सूरज की तेज रोशनी से बचाव
सनबर्न हो जाने की स्थिति में विटिलिगो ट्रिगर हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये स्किन ट्रॉमा को जन्म देता है। इससे बचने के लिए सनस्क्रीन लगाने की सलाह दी जाती है।
विटमिन-डी लेना
अगर शरीर को धूप न मिले, तो विटमिन-डी की कमी होने की आशंका बढ़ जाती है। ये पोषक तत्व हड्डियों से लेकर त्वचा तक को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है। यही वजह है कि डॉक्टर विटिलिगो के मरीजों को विशेष रूप से धूप सेंकने की सलाह देते हैं। हालांकि, इस दौरान सनस्क्रीन का उपयोग जरूरी होता है। इसके साथ ही ऐसे फूड लेने की सलाह दी जाती है, जो विटमिन-डी रिच हों।
स्टेरॉइड्स क्रीम्स
डॉक्टर टिपिकल स्टेरॉइड्स दे सकते हैं, जो आमतौर पर क्रीम या ऑइंटमेंट के रूप में आते हैं। इन्हें लगाने पर स्किन पर बन रहे पैच को और बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है। ये कुछ हद तक त्वचा के रंग को भी वापस लौटा सकती हैं।
कैमफ्लाश क्रीम्स
मरीज को कैमफ्लाश क्रीम्स भी दी जाती हैं, जो सफेद धब्बों के रंग को छिपाकर उन्हें नॉर्मल स्किन टोन का बनाती हैं। ये सिर्फ तब तक ही असरदार है, जब तक वो त्वचा पर लगी रहे।