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झारखंड में खून की भारी कमी:17 जिले में हर महीने 18,820 यूनिट रक्त की जरूरत, लेकिन स्टॉक में सिर्फ 24फीसदी

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आपको या आपके जानने वालों को खून की जरूरत है तो खुद व्यवस्था कर लें। क्योंकि झारखंड में खून की भारी कमी है। ब्लड बैंक में जरूरत के अनुपात में स्टॉक काफी कम है। भास्कर ने 17 जिलों में इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। पता चला कि राज्य में कुल 69 ब्लड बैंक हैं। इनमें से 17 जिलों के 49 ब्लड बैंक में सिर्फ 4513 यूनिट खून का ही स्टॉक है। जबकि हर महीने 18,820 यूनिट खून की जरूरत होती है। यानी जरूरत का सिर्फ 24 फीसदी खून ही उपलब्ध है।

लातेहार, गुमला और दुमका के ब्लड बैंक पूरी तरह से खाली हैं। जबकि चार जिलों में 2 से 15 यूनिट तक रक्त उपलब्ध है। खून की कमी के कारण राज्य में लोगों की जान जा रही है। राज्य में हर साल करीब साढ़े तीन लाख यूनिट रक्त की जरूरत है, लेकिन ब्लड डोनेशन से दो लाख यूनिट तक ही कलेक्शन किया जा रहा है।.

17 जिलों में रक्त की उपलब्धता

जिला ब्लड बैंक जरूरत स्टॉक की संख्या प्रतिमाह यूनिट में 1. पलामू 03 1100 235 2. हजारीबाग 04 300 151 3. बोकारो 03 2000 150 4. गढ़वा 01 200 125 5. रामगढ़ 02 500 100 6. कोडरमा 01 300 71 7. चतरा 02 175 40 8. सिमडेगा 01 200 15 9. लोहरदगा 01 200 08 10. खूंटी 01 70 03 11. जामताड़ा 01 175 02 12. लातेहार 01 170 00 13. दुमका 02 130 00 14. गुमला 01 150 00 15. रांची 18 6000 1440 16. जमशेदपुर 03 4500 1930 17 धनबाद 04 2650 243 कुल 49 18820 4513

7 जिले में हालत बेहद खराब, मात्र 28 यूनिट जमा

भास्कर ने लोहरदगा, पलामू, लातेहार, बोकारो, गढ़वा, खूंटी, जामताड़ा, कोडरमा, चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, सिमडेगा, गुमला, रांची, धनबाद, जमशेदपुर और दुमका जिले में रक्त की उपलब्धता की जानकारी ली। इनमें 7 जिले की हालत बेहद खराब है। सातों में जिले में कुल 28 यूनिट रक्त ही बचा है। लातेहार, दुमका और गुमला में 0 यूनिट ब्लड है। वहीं, जामताड़ा में 2, खूंटी में 3, लोहरदगा में 8 और सिमडेगा में 15 यूनिट ब्लड स्टॉक में है। इन जिलों में मरीजों को रक्त की जरूरत पड़े तो खुद ही इंतजाम करना पड़ रहा है।

3 मामले, जब मरीज की खून के अभाव में मौत हो गई

1. खूंटी के सदर अस्पताल में खून की कमी से डेढ़ साल की बच्ची सोनालिका तिर्की की मौत 4 मार्च को हो गई। जानकारी पाकर ब्लड डोनर्स टीम के सदस्य पहुंचे थे, लेकिन बच्ची ने दम तोड़ दिया था। 2. गिरिडीह में चकमंजो गांव के 8 साल के थैलीसीमिया ग्रसित शिवकुमार की मौत खून की कमी से हो गई। थैलीसीमिया ग्रसित बच्चों को 15 से 20 यूनिट ब्लड चढ़ाना पड़ता है। इंतजाम नहीं हाेने के कारण बच्चे ने दम तोड़ दिया। 3.पलामू के किशुनपुर स्वास्थ्य केंद्र में शोभा देवी को प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तश्राव हुआ, खून नहीं मिला और दम तोड़ दिया।

3 विकल्प… ऐसे मिलता है रक्त

1. रक्तदान : इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी समेत सामाजिक संस्थाएं शिविर लगा रक्त संग्रह करती हैं। इसे ब्लड बैंक को दिया जाता है। उपलब्ध रहने पर वहां से मिल सकता है। परेशानी: डोनर्स की संख्या में गिरावट आई है। शिविर कम लग रहे हैं।
2. युवाओं का समूह : कई जिले में युवाओं ने रक्तदान समूह बना रखा है। उनसे संपर्क कर ब्लड ग्रुप बताने पर समूह के लोग इंतजाम कर देते हैं। परेशानी : ऐसे समूहों में सदस्यों की संख्या कम हो रही है। जरूरत पर इंतजाम नहीं हो पाता।
3. ब्लड डोनर : मरीज के परिजन पहले ब्लड डोनर की तलाश करते हैं। ब्लड डोनर परिवार के सदस्य भी हो सकते हैं। उनसे रक्त लिया जाता है।
परेशानी : ब्लड ग्रुप मैच नहीं करने पर ब्लड बैंक से एक्सचेंज करना पड़ता है, पर समान ग्रुप का रक्त नहीं मिला ताे दिक्कत होती है।

जागरूकता फैलाएं, तभी आगे आएंगे रक्तदाता

रक्तदान के प्रति अब भी लाेगाें में जागरूकता की कमी है। पढ़े-लिखे लोग भी ब्लड देने से बचते हैं। कोरोना के बाद ब्लड डोनर्स की संख्या में और कमी आई है। एनीमिया, थैलेसीमिया पीड़ित, गर्भवती महिलाओं समेत गंभीर रोगों के मरीजों को हर महीने रक्त की जरूरत होती है। कमी के कारण उनको रेफर करना पड़ रहा है। रक्तदान के लिए प्रचार प्रसार अभियान चलाकर लोगों को इसका फायदा बताना चाहिए। उनको प्रेरित करना चाहिए कि एक यूनिट रक्त तीन जिंदगी बचा सकता है।

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