गुजरात के बनासकांठा स्थित विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ अंबाजी में मोहनथाल प्रसाद बंद करने का विरोध बढ़ता जा रहा है। शनिवार सुबह मंदिर पहुंचे श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर में नाराजगी जताई। श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर में मोहनथाल प्रसाद की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इसकी जगह चिक्की के प्रसाद का वितरण सरासर गलत है। वहीं, हिंदू संगठनों ने भी ट्रस्ट को 48 घंटों का अल्टीमेटम दे दिया है।
दूर से आने वाले श्रद्धालु घर ले जाते हैं प्रसाद
अम्बाजी में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु भी अपील कर रहे हैं कि मोहनथाल का प्रसाद बंद न किया जाए। क्योंकि, यहां आने वाले लाखों की संख्या में श्रद्धालु यह प्रसाद घर ले जाते हैं। इस प्रसाद को बंद करने से दूर से आने वाले श्रद्धालुओं में भी नाराजगी देखी जा रही है।
मंदिर के 100 से ज्यादा कर्मचारी हुए बेरोजगार
हिंदू संगठनों ने मोहनथाल का प्रसाद बंद करने के फैसले पर मंदिर ट्रस्ट को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। वहीं, ट्रस्ट के इस फैसले से मंदिर में रोजाना मोहनथाल का प्रसाद तैयार करने वाले 100 से ज्यादा कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। सोशल मीडिया में भी मंदिर ट्रस्ट और सरकार के खिलाफ कई टिप्पणियां की जा रही हैं।
पालनपुर वकील मंडल ने भी जताई नाराजगी
अंबाजी मंदिर में 500 साल से चल रहे मोहनथाल के चढ़ावे पर रोक लगाने के बाद विवाद बढ़ गया है। प्रसाद बंद करने के मुद्दे पर पालनपुर वकील मंडल भी हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकता है। वहीं, बनासकांठा के कलेक्टर आनंद पटेल ने कहा कि विदेशों से सूखे प्रसाद की मांग आ रही है। इसलिए ट्रस्ट ने चिक्की का प्रसाद देने का फैसला किया है।