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हाथरस गैंगरेप के तीनों आरोपी जेल से बाहर आए:कल कोर्ट ने किया था बरी; प्रियंका बोलीं- क्या हाथरस केस में सरकार ने संवेदनशीलता दिखाई

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हाथरस बुलगढ़ी केस में अलीगढ़ जेल से तीनों आरोपी रिहा हो गए हैं। शुक्रवार सुबह साढ़े 8 बजे तीनों को जेल से रिहा कर दिया गया। उन्हें लेने के लिए उनके घरवाले पहुंचे थे। इसके बाद रवि, लवकुश और रामू अलीगढ़ से हाथरस के लिए रवाना हुए। लेकिन, मामला गंभीर होने की वजह से ये तीनों हाथरस में अपने घर न जाकर किसी रिश्तेदार के यहां चले गए।

जेल से रिहा होने के बाद तीनों के चेहरे पर खुशी दिखी। गुरुवार को हाथरस कांड में ढाई साल बाद SC/ST कोर्ट ने फैसला सुनाया था। कोर्ट ने 4 आरोपियों में से सिर्फ एक संदीप सिसौदिया को दोषी माना। जबकि 3 आरोपियों लवकुश, रामू उर्फ रामकुमार और रवि उर्फ रविंद्र सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया था।

तीनों आरोपी हाथरस में अपने घर जाने के लिए निकल चुके हैं।

अदालत ने संदीप को गैर इरादतन हत्या (धारा-304) और SC/ST एक्ट में दोषी माना है। संदीप को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। वह अभी भी हाथरस जेल में ही है। ये जानकारी जेल सुप्रीटेंडेंट प्रमोद कुमार ने दी है। उन्होंने कहा, ”गुरुवार को ही तीनों आरोपियों को रिहा करना था, लेकिन सुरक्षा को लेकर इनकी रिहाई आज की गई है।”

आरोपी रवि, रामू व लवकुश को जेल से बाहर लेने के लिए उनके परिजन भी आए थे।

प्रियंका बोलीं- क्या BJP ने हाथरस केस में सरकार ने संवेदनशीलता दिखाई?

उधर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने लगातार 2 ट्वीट करते हुए कहा, ”क्या सरकारी प्रतिनिधियों द्वारा “बलात्कार नहीं हुआ है” जैसे बयान देकर न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित नहीं किया गया? हाथरस का पीड़ित परिवार कह रहा है कि उन्हें न्याय नहीं मिला। 8 मार्च को विश्व महिला दिवस पर बीजेपी सरकार महिला सशक्तिकरण की खोखली बातें करेगी। लेकिन, क्या हाथरस केस में सरकार ने संवेदनशीलता दिखाई? क्या सरकार के प्रतिनिधि पहले दिन से हाथरस की पीड़िता व उसके परिवार के साथ खड़े थे?

चारों आरोपियों पर गैंगरेप का आरोप सिद्ध नहीं हुआ
4 आरोपियों में से किसी पर भी गैंगरेप का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। वहीं, पीड़ित पक्ष के वकील महिपाल सिंह ने कहा है, ”वह कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।” इससे पहले, गुरुवार सुबह चारों आरोपियों को पेशी पर कोर्ट लाया गया था। फैसले को देखते हुए कोर्ट में भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया था।

हाथरस की स्पेशल एससी-एसटी कोर्ट त्रिलोक पाल सिंह की अदालत से 2 मार्च को हाथरस कांड का ये फैसला आया है। फैसले के बाद बरी हुए आरोपी रवि, रामू और लवकुश के परिजनों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। आज कोर्ट से बरी होने के बाद उनके चेहरे पर खुशी दिखी। हालांकि उन्होंने मीडिया से बातचीत नहीं की। उनके परिजनों में भी खुशी है।

फोटो 29 सितंबर 2020 की है। हाथरस कांड की पीड़िता के शव का पुलिस ने रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया था।

ढाई साल पहले हुआ था हाथरस कांड
हाथरस के चंदपा क्षेत्र में 14 सितंबर 2020 को दलित युवती के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया था। आरोप गांव के ही चार युवकों पर लगा था। पीड़िता की बेरहमी से जीभ काट दी गई थी। उसके हाथ व पैर भी तोड़े गए थे। युवती के भाई ने गांव के संदीप के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में युवती के बयान के आधार पर 26 सितंबर को तीन अन्य लवकुश सिंह, रामू और रवि सिंह को भी आरोपी बनाया गया। चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।

29 सितंबर को युवती ने दिल्ली में दम तोड़ा था
युवती को गंभीर हालत में बागला जिला संयुक्त चिकित्सालय लाया गया। इसके बाद उसे अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। उसे 28 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया। जहां 29 सितंबर को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। जब शव हाथरस लाया गया, तो पुलिस ने बिना परिजन की अनुमति के उसी रात शव का अंतिम संस्कार कर दिया था।

इस घटना के फोटो और वीडियो वायरल हुए तो जगह-जगह विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। मामला बढ़ने पर प्रदेश सरकार ने एसपी और सीओ सहित पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद 11 अक्टूबर को मामले की जांच CBI को सौंप दी।

फैसले के चलते पीड़ित पक्ष भी कोर्ट पहुंचा। पीड़ित पक्ष को सीआरपीएफ की सुरक्षा में कोर्ट कैंपस में लाया गया।

प्रदेश सरकार की सिफारिश के बाद CBI ने केस टेकओवर किया। CBI ने इस मामले में 104 लोगों को गवाह बनाया। इनमें से 35 लोगों की गवाही हुई थी। 67 दिन की जांच के बाद CBI ने 18 दिसंबर 2020 को चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी।

CBI ने चार्जशीट में कहा था- गैंगरेप के बाद हुई थी हत्या
CBI ने 11 अक्टूबर को हाथरस केस की जांच शुरू की थी। जांच के दौरान पीड़ित और आरोपियों के परिजन समेत 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की थी। घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने का दावा करने वाले चश्मदीद से भी कई बार पूछताछ की थी। क्राइम सीन के री-क्रिएशन के साथ घटनास्थल का नक्शा भी बनाया गया था।

इसके बाद CBI ने इस मामले में आरोपी बनाए गए चार लोगों के खिलाफ IPC की धारा 325-SC/ST एक्ट, 302 (हत्या), 354 (महिला पर दुष्कर्म की नीयत से हमला), 376 A और 376 D (रेप) के तहत आरोप तय किए थे।

CBI ने 22 सितंबर को मौत से पहले पीड़ित के आखिरी बयान को आधार बनाकर 2000 पेज की चार्जशीट फाइल की थी। चार्जशीट में कहा गया था कि चारों आरोपियों ने हत्या करने से पहले पीड़ित से गैंगरेप किया था। हालांकि कोर्ट में गैंगरेप और हत्या की पुष्टि नहीं हुई। वहीं, इस मामले में 6 अक्टूबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने फॉरेसिक रिपोर्ट के हवाले से कहा था कि जांच में रेप के सबूत नहीं मिले हैं।

हाथरस बुलगढ़ी केस में अलीगढ़ जेल से तीनों आरोपी रिहा हो गए हैं। शुक्रवार सुबह साढ़े 8 बजे तीनों को जेल से रिहा कर दिया गया। उन्हें लेने के लिए उनके घरवाले पहुंचे थे। इसके बाद रवि, लवकुश और रामू अलीगढ़ से हाथरस के लिए रवाना हुए। लेकिन, मामला गंभीर होने की वजह से ये तीनों हाथरस में अपने घर न जाकर किसी रिश्तेदार के यहां चले गए।

जेल से रिहा होने के बाद तीनों के चेहरे पर खुशी दिखी। गुरुवार को हाथरस कांड में ढाई साल बाद SC/ST कोर्ट ने फैसला सुनाया था। कोर्ट ने 4 आरोपियों में से सिर्फ एक संदीप सिसौदिया को दोषी माना। जबकि 3 आरोपियों लवकुश, रामू उर्फ रामकुमार और रवि उर्फ रविंद्र सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया था।

तीनों आरोपी हाथरस में अपने घर जाने के लिए निकल चुके हैं।

अदालत ने संदीप को गैर इरादतन हत्या (धारा-304) और SC/ST एक्ट में दोषी माना है। संदीप को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। वह अभी भी हाथरस जेल में ही है। ये जानकारी जेल सुप्रीटेंडेंट प्रमोद कुमार ने दी है। उन्होंने कहा, ”गुरुवार को ही तीनों आरोपियों को रिहा करना था, लेकिन सुरक्षा को लेकर इनकी रिहाई आज की गई है।”

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