आज विश्व में दुर्लभ बीमारी जागरूकता दिवस मनाया जा रहा है। नोएडा पीजीआईसीएच (Post Graduate Institute of Child Health) के आनुवंशिक विभाग में कई ऐसी ही दुर्लभ बीमारियों का इलाज किया जा रहा है। इसमें एक सिरेन मेटाबोलिज्म की बीमारी PHGDH gene (Phosphoglycerate dehydrogenase deficiency) है।
मेडिकल जेनेटिक विभाग आनुवंशिक विकार के डॉ मयंक निलय भी इसी बीमारी से ग्रसित बच्चे का इलाज कर रहे है। उन्होंने बताया कि ये बीमारी इतनी रेयर है कि अब पूरी दुनिया में इसके महज 10 केस ही सामने आए है। और देश में ये पहला कनफ़र्म (रजिस्टर्ड) केस है। जिसका इलाज यहां किया जा रहा है। ये बीमारी जेनेटिक विकार है। जो जन्मजात होती है। इसके लक्षण बचपन में ही दिखाई देते हैं। इलाज मिलने पर इसे ठीक किया जा सकता है। इंडिया में इसका इलाज मौजूद है।
2 साल के सफीक को पड़ते थे दौरे, फिर रेयर बीमारी सामने आई
उन्होंने बताया कि करीब सात महीने पहले सफीक खान अपने बेटे को लेकर पीजीआईसीएच आए थे। उस समय बच्चे की हालत काफी खराब थी। उसकी उम्र महज दो से ढाई साल की थी। सफीक ने बताया कि दो साल तक बेटा बिल्कुल ठीक था। अचानक उसे फिट यानी दौरे पड़ना शुरू हुए। पहले महीने में एक बार फिट आता था।
इसके बाद तेजी से बदलाव आया और महीना 15 दिन फिर सात दिन और बाद में रोजाना एक से चार बार फिट आने लगे। इसको लेकर कई जगह इलाज कराया। लेकिन बीमारी नहीं पकड़ में आई। नवंबर-2021 में नोएडा के पीजीआईसीएच में इलाज के लिए आए। यहां जेनेटिक जांच के बाद बीमारी का पता चला।
अब बताते है इसके लक्षण
डॉक्टर मयंक निलय ने बताया कि ये बीमारी रेयर ऑफ द रेयर होती है। यही वजह है देश में ये पहला रजिस्टर्ड केस है। इंडिया में इसकी दवा भी है और इलाज के बाद ये ठीक भी हो जाता है। लेकिन इसकी दवा जीवन भर चलती है। जिसे बंद नहीं किया जा सकता।
- बच्चे की शारीरिक ग्रोथ नहीं होती।
- बच्चा हाइपर एक्टिव होता है।
- बच्चे में फिट या मिर्गी जैसे दौरे पड़ते है।
अपनी उम्र के अनुसार सामान्य रूप से नहीं बढ़ते बच्चे
इस बीमारी से ग्रसित बच्चे की विकास सामान्य बच्चों के मुकाबले कम होता है। सिरेन मेटाबोलिज्म में अनियमितता के कारण ऐसा होता है। जिसे दवाओं से ठीक किया जा सकता है। यही वजह है जिस बच्चे का इलाज यहां किया जा रहा है। वह तीन साल का है लेकिन अभी अपनी ग्रोथ से करीब डेढ़ साल कम लगता है।
अब जानते है दुनिया में क्या है दुर्लभ बीमारियों की स्थिति
28 फरवरी यानी आज हर साल दुनिया भर में दुर्लभ बीमारी जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। लगभग 7000 दुर्लभ विकार मौजूद हैं। साथ ही 250 नई दुर्लभ बीमारियां और सिंड्रोम का वर्णन हर साल किया जाता है। इसलिए सूची बढ़ती चली जाती है। विश्व स्तर पर लगभग 300 मिलियन लोगों को ये दुर्लभ विकार होने का संदेह है (जिनमें से अधिकांश में कुछ आनुवंशिक एटियलजि हैं)।
भारत में ऐसे लगभग 50 से 100 मिलियन रोगियों के रहने का अनुमान है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, प्रति 1000 पर 1 या उससे कम जनसंख्या वाले किसी भी रोग को एक दुर्लभ विकार माना जाता है।
5 साल में हो जाती है 30% बच्चों की मौत
बीटा थैलेसीमिया, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी, डीएमडी, सिस्टिक फाइब्रोसिस, चयापचय की जन्मजात त्रुटियां और बाल चिकित्सा तंत्रिका संबंधी विकार जैसे कई बहुत आम हैं। प्रभावित बच्चों की बड़ी संख्या एक चिंता का विषय है। क्योंकि इनमें से अधिकांश के पास इलाज के लिए चिकित्सा नहीं है। जिनके पास है वो पैसों की कमी के चलते इलाज नहीं कर पाते।
इसके अलावा दुर्लभ बीमारी के लगभग 30% रोगियों की मृत्यु 5 वर्ष की आयु से पहले हो जाती है।