हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा गुरुद्वारा है, जहां भूत प्रेतों से छुटकारा मिलता हे। चरणगंगा में स्नान करने से मानसिक रोग दूर होते हैं। इस जगह को बाबा वडभाग सिंह मैडी के नाम से जाना जाता है, जो ऊना जिले के अंब शहर में है। इस स्थान पर हर साल लगने वाला बाबा वडभाग सिंह मैड़ी होला मोहल्ला मेला आज से शुरू हो गया है।
यह मेला 7 मार्च तक चलेगा। इसमें हिमाचल सहित पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से रोजाना हजारों श्रद्धालु गुरुद्वारे में आकर नतमस्तक होते हैं। होला मोहल्ला मेले में 7 मार्च को निशान साहिब की स्थापना होगी और 8 व 9 मार्च को पंजा प्रसाद बांटा जाएगा।
10 सेक्टर में बंटा मेला क्षेत्र
श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए मेला क्षेत्र को 10 सेक्टरों में बांटा गया है। प्रत्येक सेक्टर के लिए एक सेक्टर मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो मेले में व्यवस्थाओं को देखेंगे और श्रद्धालुओं की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखेंगे। हर सेक्टर में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए हैं ।
बाबा वडभाग सिंह की तपोस्थली मैड़ी
मान्यता के अनुसार, मैड़ी बाबा वडभाग सिंह की तपोस्थली है। यहां बनी प्राकृतिक चरण गंगा में स्नान करके दीन-दुखी लोग प्रेत आत्माओं से मुक्ति पाते हैं। इस जगह पर बाबा अपने जीवन काल में नित-नियम से स्नान किया करते थे। माना जाता है कि इस चरण गंगा में स्नान करने से शारीरिक और मानसिक बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
अहमद शाह अब्दाली करता था अत्याचार
कहानी लगभग 300 वर्ष पुरानी है। करतारपुर (पंजाब) में बाबा रामसिंह के पुत्र वडभाग सिंह अहमदशाह अब्दाली के हमलों व अत्याचारों से तंग आकर शिवालिक की पहाड़ियों में आकर बस गए। वह नैहरी गांव के साथ सटी दर्शनी खड्ड के समीप पहुंचे तो अफगानी सैनिकों से उनका आमना-सामना हुआ। उन्होंने अपने तेज से अफगान सैनिकों को खदेड़ दिया। उस वक्त मैड़ी बिलकुल वीरान था, दूर-दूर तक कोई बस्ती नहीं थी। कहा जाता है कि इस स्थान पर भूत व प्रेत आत्माओं का वास था। बाबा वडभाग सिंह ने यहीं पर घोर तपस्या की। उन्हें भी प्रेतात्माओं ने तंग किया, लेकिन बाबा ने अपने तप से उन्हें वश में कर लिया।
शरीर त्यागकर स्वर्ग भ्रमण पर गई थी बाबा की आत्मा
जनश्रुतियों के मुताबिक, एक बार बाबा वडभाग सिंह की आत्मा शरीर त्यागकर स्वर्ग के भ्रमण पर चली गई। इस बीच कई दिन तक उनका शरीर बिना आत्मा के वहीं रहा। उनके परिजनों व भक्तों उनके शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया। कुछ दिनों बाद बाबा की आत्मा जब स्वर्ग लोक से आई तो अपना शरीर वहां पर न पाकर वापस चली गई। इससे उनके परिवारजन दु:खी रहने लगे। कहा जाता है कि एक रात बाबा ने अपनी पत्नी को सपने में दर्शन दिए। उन्होंने इस शर्त पर रोजाना रात्रि पहर में वहां आने की बात कही कि वह इस रहस्य को छिपाकर रखेंगी।
पत्नी ने अनजाने में कर दी भूल
बाबा ने पत्नी को निर्देश दिए थे कि वह घर में रोजाना गोबर का लेप करे और जब तक गोबर का लेप सूखेगा, वह तब तक उनके पास ही रुकेंगे। काफी दिन तक यह सिलसिला चलता रहा। एक दिन उनकी पत्नी ने गोबर में कोई तरल पदार्थ मिलाकर लेप कर दिया। उस रात बाबा काफी वक्त तक अपनी पत्नी के पास रहे। जब सुबह होने तक भी गोबर न सूखा तो उन्हें सब पता चल गया।
उन्होंने पत्नी से नाराज होकर कहा कि अब वह यहां नहीं आया करेंगे। अपनी गलती का अहसास होने पर पत्नी ने बाबा से क्षमा याचना की। इस पर बाबा वडभाग सिंह ने हर साल होली के दिन वहां आकर रहने का वचन दिया। तब से लेकर आज तक बाबा वडभाग सिंह होली के दिन मैड़ी आकर वास करते हैं और प्रेतात्माओं से सताए लोगों को मुक्ति दिलाते हैं।