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चारधाम यात्रा से पहले जोशीमठ-बद्रीनाथ हाईवे पर फिर दिखीं दरारें:10 जगह सड़क धंसी, 10 KM के दायरे में कई जगह रोड टूटा

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उत्तराखंड में चारधाम यात्रा से पहले जोशीमठ-बद्रीनाथ हाईवे पर 10 से ज्यादा जगह बड़ी दरारें देखने को मिली हैं। यह हाईवे गढ़वाल में मौजूद सबसे बड़े तीर्थस्थलों में से एक बद्रीनाथ को जोड़ता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक दरारें जोशीमठ से मारवाड़ी के बीच 10 KM तक फैली हुई हैं। चमोली के DM ने बताया कि एक जांच की एक टीम को मौके पर भेजा गया है।

उत्तराखंड सरकार ने शनिवार को चार धाम यात्रा की घोषणा की है। केदारनाथ मंदिर के कपाट 25 अप्रैल और बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खोले जाएंगे। ऐसे में हाईवे की दरारें यात्रियों के लिए बड़ा खतरा बन सकती हैं। आशंका यह भी जताई जा रही है कि इस इलाके में दरारों की संख्या और बढ़ सकती है।

जोशीमठ-बद्रीनाथ हाईवे हाईवे पर 10 KM के हिस्से में दरारों के चलते सड़क टूटने लगी है।
जोशीमठ-बद्रीनाथ हाईवे हाईवे पर 10 KM के हिस्से में दरारों के चलते सड़क टूटने लगी है।

यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु बद्रीनाथ जाएंगे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति (JBSS) के एक अधिकारी संजय उनियाल के मुताबिक यह खतरा काफी बड़ा है। चूंकि चार धाम यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में भक्त और श्रद्धालु बद्रीनाथ जाएंगे। उनके बद्रीनाथ पहुंचने के लिए यही एकमात्र रास्ता है। ऐसे में भू धंसाव और दरारों की वजह से उनकी जान पर बन सकती है।

आशंका जताई गई है कि कई जगह दरारों की वजह से हाइवें के बड़े हिस्से धंस सकते हैं।
आशंका जताई गई है कि कई जगह दरारों की वजह से हाइवें के बड़े हिस्से धंस सकते हैं।

वहीं, JBSS के कॉर्डिनेटर अतुल सेती ने सरकार को आगाह किया है कि थोड़ी भी लापरवाही चार धाम यात्रा के श्रद्धालुओं की जान पर भारी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में गाड़ियों का आना जाना होगा। ऐसे में यह खतरा और बढ़ सकता है। JBSS उत्तराखंड में नागरिकों का एक ग्रुप है, जो जोशीमठ में आई दरारों और जमीन धंसने की समस्या को उजागर कर रहा है।

इन जगहों पर आई दरारें
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संजय उनियाल ने बताया कि रेलवे गेस्ट हाउस के पास स्थित स्टेट बैंक की शाखा के सामने सड़क पर दरारें काफी बड़ी हैं। वहीं आगे जेपी कालोनी और मरवारी ब्रिज के पास भी इस तरह की दरारें देखी गई हैं। इसी प्रकार रविग्राम म्युनिसिपल वार्ड में जीरो बेंड के पास हाईवे धंस गया है। यहां रहने वाले प्रणव शर्मा ने बताया कि राजमार्ग पर वो दरारें जिसे बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने भर दिया था, वो फिर से उभरने लगी हैं।

प्रशासन ने कुछ जगह हाईवे की मरम्मत कराई थी, लेकिन वहां फिर से दरारें दिखने लगी हैं।
प्रशासन ने कुछ जगह हाईवे की मरम्मत कराई थी, लेकिन वहां फिर से दरारें दिखने लगी हैं।

जोशीमठ में अब तक 868 इमारतों में दरारें

उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने से अब तक 868 इमारतों में दरारें आईं हैं। पिछले शुक्रवार को चमोली के DM हिमांशु खुराना ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इनमें से 181 इमारतें असुरक्षित इलाकों में हैं। होटल माउंट व्यू और मलारी इन को तोड़ने का काम आखिरी चरण में है।

उन्होंने कहा कि 243 आपदा प्रभावित परिवारों के 878 सदस्य राहत शिविरों में हैं। उन्हें खाने, पीने और दवाओं की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। इन परिवारों को 515.80 लाख की राहत राशि दी जा चुकी है। उन पैसों से राहत, पुनर्वास और बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए दी गई है।

जोशीमठ में होटल मलारी इन गिराने की कार्रवाई शुरू, बारिश और बर्फबारी से काम प्रभावित

उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने के घटना के बीच 12 जनवरी को प्रभावित क्षेत्र के होटलों को गिराने का काम शुरू हुआ। इस बीच यहां बारिश और बर्फबारी भी शुरू हो गई, इससे ऑपरेशन प्रभावित हुआ। वहीं, शाम को SDRF ने होटल मलारी इन को अपने कब्जे में ले लिया। पुलिस ने आसपास के रास्तों काे बंद कर दिया। प्रदर्शनकारियों को भी हटाया गया है। यह होटल पीछे की ओर पूरी तरह झुक गया है। एक अन्य होटल माउंट व्यू को भी जल्द हटाया जाएगा।

जोशीमठ में घरों से आ रही डरावनी आवाज, रोते हुए लोग बोले- घर अचानक हिलने लगता था

रात को अचानक लगा कि घर हिल रहा है, पूरा घर टेढ़ा हो गया। दीवारों पर मोटी-मोटी दरारें आ गईं। अपने ही घर में खड़े होने में डर लग रहा है। घर के नीचे से पानी बहने की आवाज आ रही है। ये आवाज कहां से और कैसे आ रही है हमें नहीं पता। अब मेरा 9 कमरे का घर रहने लायक नहीं बचा। कब गिर जाए, कोई भरोसा नहीं है।’ जोशीमठ शहर में रहने वालीं कल्पेशवरी पांडे ये बताते हुए रोने लगती हैं।

एक्सपर्ट बोले- जोशीमठ को धंसने से कोई नहीं बचा सकता, सुरंग की वजह से रोज 6 करोड़ लीटर पानी बहा

ये किस्सा उत्तराखंड में गढ़वाल के ऊंचे पहाड़ों के भीतर का है। तारीख थी 24 दिसंबर 2009; बड़े-बड़े शहरों की धरती के नीचे मेट्रो ट्रेन के लिए चुपचाप सुरंग खोद देने वाली एक बड़ी टनल बोरिंग मशीन (TBM) अचानक फंस गई। सामने से हजारों लीटर साफ पानी बहने लगा। महीनों बीत गए, लेकिन काबिल से काबिल इंजीनियर न इस पानी को रोक सके और न TBM चालू हुई।

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