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NDRF इंडिया ने तुर्किये में 61 शव निकाले:स्नीफर डॉग जूली-रोमियो बचा चुके दो जिंदगी, 2 डिग्री टेम्प्रेचर में दिन-रात जुटे हैं जवान

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NDRF आठवीं बटालियन गाजियाबाद के जूली और रोमियो ने तुर्किये में दो बच्चियों को नई जिंदगी दी हैं। ये दोनों बच्चियां तुर्किये में आए भूकंप में कई मंजिला बिल्डिंग के नीचे दब गई थीं। कई दिन तक ये मलबे में दबी रहीं। किस्मत ने साथ दिया तो NDRF के स्नीफर डॉग जूली और रोमियो भगवान बनकर बचाने पहुंच गए।

दोनों स्नीफर डॉग ने इन बच्चियों के जिंदा होने का सिग्नल दिया। फिर क्या था, NDRF के जवान रेस्क्यू में जुट गए और दोनों बच्चियों को जिंदा बाहर निकाला। NDRF इंडिया अभी तक वहां 61 शव निकाल चुकी है और दो लाइव रेस्क्यू किए हैं।

तुर्किये में कई-कई मंजिला मलबे के नीचे शव दबे हुए हैं, जिन्हें एनडीआरएफ की टीमें लगातार निकाल रही हैं।
तुर्किये में कई-कई मंजिला मलबे के नीचे शव दबे हुए हैं, जिन्हें एनडीआरएफ की टीमें लगातार निकाल रही हैं।

तुर्किये में 29 साइट पर लगी हैं NDRF टीमें
NDRF प्रवक्ता नरेश चौहान ने बताया, ‘तुर्किये में हमारी टीमें कुल 29 साइट पर रेस्क्यू कर रही हैं। तीन टीमों ने सोमवार को गाजीअंटेप के नूरदाग और हैते में 28 शवों को मलबे से निकाला है। अब तक दो लाइव रेस्क्यू किए गए हैं। इसमें दोनों बच्चियां हैं, जिनकी उम्र 6 और 8 साल है। विपरीत परिस्थतियों में विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए एनडीआरएफ टीमें तुर्किये में अपने सर्च और रेस्क्यू कार्य को अंजाम दे रही हैं।’

एनडीआरएफ गाजियाबाद से पहली बार पांच महिला रेस्क्यूअर्स भी तुर्किये में राहत-बचाव के लिए भेजी गई हैं।
एनडीआरएफ गाजियाबाद से पहली बार पांच महिला रेस्क्यूअर्स भी तुर्किये में राहत-बचाव के लिए भेजी गई हैं।

हैंडलर ने बताया, कैसे इंडिगेशन देते हैं स्नीफर डॉग
जूली के हैंडलर कांस्टेबल कुंदन कुमार ने बताया, ‘एक बड़ी इमारत भूकंप में गिर गई थी। हम इस इमारत के मलबे पर रेस्क्यू अभियान चला रहे थे। हमने मलबे पर जूली को छोड़ा। जूली ने एक पॉइंट पर जाकर भौंकना शुरू कर दिया। ये इस बात का संकेत था कि कोई वहां पर जिंदा फंसा हुआ है। कन्फर्मेशन के लिए हमने दूसरे डॉग रोमियो को छोड़ा। रोमियो ने भी उसी पॉइंट पर जाकर जूली जैसा सिग्नल दिया। हमने ये सूचना सीनियर ऑफिसर को दी और फिर इसके बाद हमारी पूरी टीम उसी पॉइंट पर मलबा हटाने में जुट गई। नीचे 6 साल की बच्ची दबी हुई थी, जिसका नाम बेरेन था।’

एनडीआरएफ जवानों ने बताया कि भूकंप को आए करीब 9 दिन बीत गए हैं। ऐसे में धीरे धीरे लाश सड़नी शुरू हो गई हैं।
एनडीआरएफ जवानों ने बताया कि भूकंप को आए करीब 9 दिन बीत गए हैं। ऐसे में धीरे धीरे लाश सड़नी शुरू हो गई हैं।

जूली-रोमियो का ये पहला इंटरनेशनल ऑपरेशन
रोमियो के हैंडलर कांस्टेबल अभय कुमार हैं। वे बताते हैं कि जूली और रोमियो एकसाथ ही एनडीआरएफ का हिस्सा बने थे। वे ज्यादातर ऑपरेशन पर एकसाथ रहते हैं और अपना काम बखूबी करते हैं। तुर्किये में एक-एक जान बचाना हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। कोलकाता में ब्रिज कॉलेप्स हुआ था, तब भी जूली-रोमियो एकसाथ गए थे और वहां इनका ऑपरेशन सफल रहा था। लेकिन इंटरनेशनल लेवल पर जूली-रोमियो का ये पहला ऑपरेशन है।

एनडीआरएफ के जवान मोटे-मोटे लेंटर काटने के लिए सभी तरह के उपकरण लेकर गए हैं, जो मददगार साबित हो रहे हैं।
एनडीआरएफ के जवान मोटे-मोटे लेंटर काटने के लिए सभी तरह के उपकरण लेकर गए हैं, जो मददगार साबित हो रहे हैं।

गाजियाबाद, वाराणसी और कोलकाता से गई हैं NDRF टीमें
तुर्किये में एनडीआरएफ इंडिया की तीन बटालियन के जवान गए हैं। इसमें गाजियाबाद, वाराणसी और कोलकाता बटालियन हैं। तीनों बटालियन के करीब डेढ़ सौ जवान और छह स्नीफर डॉग वहां पर दिन-रात रेस्क्यू कर रहे हैं। भूकंप के प्रमुख केंद्र पर रेस्क्यू की जिम्मेदारी एनडीआरएफ इंडिया को दी गई है। ये टीमें लोकल टीमों संग कॉर्डिनेट करके रेस्क्यू कर रही हैं।

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