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लखनऊ…लक्ष्मणपुर या लखनपुर? पढ़िए पूरी कहानी:बादशाह अकबर ने शेख अब्दुला को सौंपा था लखनपुर, 1290 तक लखनऊ नाम का जिक्र नहीं

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‘मुगल काल के नाम अभी क्यों? लखनऊ लखनपुरी क्यों नहीं रखा जा सकता है! मुगल गार्डन का नाम बदला गया, तो लखनऊ का नाम भी बदला जा सकता है।’…इन लाइनों के साथ 7 फरवरी 2023 को प्रतापगढ़ के बीजेपी सांसद संगम लाल गुप्ता ने पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा। उनकी मांग है…लखनऊ का नाम बदलकर लखनपुर या लक्ष्मणपुरी कर दिया जाए। सांसद संगम लाल ने ये चिट्ठी लखनऊ में भगवान लक्ष्मण की मूर्ति लगने के ठीक एक दिन बाद लिखी।

बीजेपी सांसद के इस लेटर के बाद बहस छिड़ गई कि क्या लखनऊ का नाम लखनपुर किया जा सकता है? हालांकि, ये पहली बार नहीं है। बल्कि हर काल खंड में लखनऊ के नाम को बदलने को लेकर आवाज उठती रही है। किताब “हिस्टोरिक सिटी” लखनऊ में लिखा गया है कि त्रेतायुग में भगवान राम ने अयोध्या से 30 किलोमीटर दूर कौशल राज्य का एक हिस्सा अपने भाई लक्ष्मण को सौंपा। नाम रखा गया…लक्ष्मणपुरी

मुगलकाल में पहली बार लखनपुर का जिक्र बादशाह अकबर के शासनकाल में आया। जब अकबर ने लखनपुर की जागीर बिजनौर के शेख अब्दुल्ला को सौंपी थी। साल 1775 के बाद नवाब आसफुद्दौला ने लखनपुर की गद्दी संभालते ही उसका नाम बदलकर लखनऊ कर दिया।

अंग्रेजों के जमाने में लखनऊ…लखनऊ ही रहा। आजादी के बाद यूपी की सियासत में लखनऊ का जिक्र बार-बार आता रहा। अब अमौसी एयरपोर्ट पर भगवान लक्ष्मण की मूर्ति के अनावरण से पहले एक बार फिर लखनऊ का नाम बदले जाने को लेकर बहस छिड़ गई है। शुरुआत इसी 12 फीट ऊंची मूर्ति से करते हैं…

भगवान लक्ष्मण की ये मूर्ति 12 फीट ऊंची है। जिसे 6 फीट ऊंचे पेडस्टल पर लगाया गया है। यानी प्रतिमा जमीन से करीब 18 फीट ऊंची दिखाई देगी।

लखनऊ में भगवान लक्ष्मण की मूर्ति लगाई गई, अनावरण बाकी
लखनऊ में 10 से 12 फरवरी को ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट है। इसमें देश-विदेश की बड़ी औद्योगिक हस्तियां शामिल होंगी। ऐसे में अमौसी एयरपोर्ट पर उतरते ही लोग भगवान लक्ष्मण की विशाल मूर्ति का दर्शन कर पाएंगे। 6 फरवरी को ये मूर्ति लगा दी गई है। योगी सरकार का कहना है कि समिट के पहले इसका अनावरण हो जाएगा।

मूर्ति में धनुष बाण के साथ भगवान लक्ष्मण दिखाई देंगे। कांस्य से बनी इस मूर्ति को प्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार ने बनाया है। राम सुतार 50 साल से मुर्तियां बना रहे हैं। उन्हें सबसे ज्यादा लोकप्रियता ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के बाद मिली, जो 182 मीटर ऊंचाई के साथ विश्व की सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है।

मूर्ति लगने के 24 घंटे बाद लखनऊ का नाम बदलने की मांग
एयरपोर्ट पर मूर्ति लगे 24 घंटे बीतने के बाद फरवरी 2023 को BJP सांसद संगम लाल ने पीएम, गृहमंत्री और सीएम के सामने लखनऊ का नाम बदलने की मांग रख दी। उन्होंने खत में लिखा, “उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ जिसे स्थानीय मानता के अनुसार त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने बतौर अयोध्या नरेश श्री लक्ष्मण को भेंट किया था और उसी कारण उसका नाम लखनपुर और लक्ष्मणपुर रखा गया था। लेकिन कलांतर में 18वीं सदी में नवाब आसिफुद्दौला ने उसका नाम परिवर्तन कर लखनऊ रख दिया था, उसी परंपरा में लखनऊ चला रहा है।”

”शानदार सांस्कृतिक विरासत के समृद्ध देश में आज हमारी भावी पीढ़ी को अमृत कालखंड में भी लखनऊ के नवाबों की विलासिता और निकम्मेपन की कहानियां सुनाकर उन्हें गुलामी का संकेत देना बिल्कुल अनुचित प्रतीत होता है। निकम्मेपन की विलासिता पूर्ण जीवन शैली के कारण ही लॉर्ड डलहौजी ने अवध कार्यक्रम कर ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया था। और नवाब वाजिद अली शाह ने ब्रिटिश अधीनस्थ स्वीकार कर ली थी।”

सांसद संगम लाल गुप्ता की इस चिट्ठी पर यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ” लखनऊ के बारे में यह सर्वविदित है कि वह पहले लक्ष्मणपुरी ही थी। अब जैसी-जैसी परिस्थितियां हैं, उस हिसाब से हम आगे बढ़ रहे हैं। जैसी परिस्थिति होगी सबको बताएंगे।”

लखनऊ का नाम बदलने के बाद सीएम योगी के नाम एक और खत लिखा गया। सुभासपा चीफ ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर ने योगी से गाजीपुर का नाम बदलने की मांग रखी। अरुण ने लिखा, “गाजीपुर के पौराणिक महत्व में ब्रह्मर्षि विश्वामित्र की अद्वितीय भूमिका का उल्लेख है। इस वजह से गाजीपुर का नाम बदलकर विश्वामित्र नगर किया जाए।”

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