दैनिक भास्कर के सभी दर्शकों को मैं वादा करता हूं कि बहुत सरल भाषा में आप सबको बजट समझाऊंगा। निर्मला सीतारमण भारत की पहली महिला हैं जिन्होंने लगातार 5वीं बार बजट पेश किया है। हमारी सरकार ने 25 साल का विजन सेट किया है। ये सरकार सबका साथ सबका विकास की बात करती है, लेकिन इस बजट को कैसे एनेलाइज करेंगे।
ये बजट फ्यूचरिस्टिक, ग्रोथ ओरिएंटेड और प्रोग्रेसिव है।
क्या अच्छा हुआ इसपर बात कर लेते हैं
भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट अमेरिका, जर्मनी, यूके और चीन के मुकाबले तेज रही है।
अगर आप किसी को 1 रुपए की रेवड़ी दे देते हो तो उससे 90 पैसे की इकोनॉमिक एक्टिविटी होती है लेकिन आप इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 1 रुपए खर्च करते हो तो तीन रुपए की एक्टिविटी होती है।
ये बजट रेवड़ी वाला नहीं है और भविष्य को ध्यान में रखकर बनाया गया है, लेकिन स्टार्टअप और MSME पर सरकार को और ध्यान देना चाहिए था। मैं इस बजट को 10 में से 7.5 नंबर दे रहा हूं
भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट अमेरिका, जर्मनी, यूके और चीन के मुकाबले तेज रही है। सरकार के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर की गई मेहनत की वजह से भारत स्टेबिलिटी आयी है। हमारा बढ़ता GST कलेक्शन हमारी नई ताकत है। बीते साल भर में भारत ने 25 % ज्यादा GST क्लेक्ट की है। इसी बीच महंगाई दर कम हुई है और फॉरेन रिजर्व पर भी ध्यान दिया गया है। फॉरेन रिजर्व के मामले में हम 13 नंबर पर हैं। आत्मनिर्भर भारत पर अच्छा काम किया गया है।
निर्मला ताई ने बढ़ाई हमारी कमाई
2021 में 10 लाख करोड़ का जीएसटी कलेक्शन हुआ वहीं 2022 में 13.5 लाख करोड़ का। भारत को अगर एक कंपनी समझें तो कंपनी में एक आय होती है एक व्यय। खर्चा घटाना निर्मला ताई के लिए मुश्किल रहा होगा लेकिन उन्होंने इनकम बढ़ाई है। ऐसा इसलिए क्योंकि वो समझ चुकी हैं कि खर्चा घटाना बहुत मुश्किल है।
आस पास के देशों के इकनॉमी की हालत काफी बुरी रही उसके मुकाबले भारत ठीक रहा।
लेकिन सरकार ने MSME ( छोटे और मध्यम श्रेणी के उद्योग) पर उतना ध्यान नहीं दिया जितना जरूरी था। देश के 13 करोड़ MSME 45% मैन्यूफैक्चरिंग करते हैं, लेकिन सरकार ने इन्हें इग्नोर किया है। देश के GDP का 30% हिस्सा उन छोटे व्यापारियों से आता है। यही छोटे व्यापारी कुल एक्सपोर्ट का 40% अकेले आयात करते हैं।
आज हमारे देश के 40% आबादी को नौकरी MSME से मिलती है।
सरकार ने एक काम अच्छा कि है। इमरजेंसी क्रेडिट लाइन स्कीम को आगे बढ़ा दिया है।
इस स्कीम में छोटे व्यापारियों को दो लाख करोड़ रुपए का लोन एक प्रतिशत कम ब्याज पर दिया जा रहा है। इसका फायदा 89% छोटे व्यापारी उठाते हैं।
MSME के लेट पेमेंट पर कोई सुनवाई नहीं
सरकार द्वारा बनाई गई MSME समाधान योजना का कोई सुनवाई नहीं होती है। यह समाधान योजना छोटे व्यापारियों के पैसों के भुगतान को बेहतर बनाने के लिए बनाई गई थी। दरअसल छोटे व्यापार में प्रोडक्शन किए जाने के बाद भी बड़ी कंपनियां या माल खरीदने वाला पैसों के भुगतान में देरी करता है। मसलन, घड़ी बनाने वाला कोई छोटा कारीगर किसी बड़े ब्रांड के लिए घड़ी बनता है। घड़ी बना कर भेज दिए जाने के बाद भी भुगतान में तकरीबन 4-6 महीना लग जाते हैं। इसी बीच सरकार छोटे व्यापारी से घड़ी भेजते वक्त ही GST और इनकम टैक्स भी ले लेती है। सरकार को यहां रियायत देनी चाहिए।
छोटे व्यापारियों को कई बार भुगतान में देरी होती है और कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए सरकार ने MSME समाधान योजना बनाई तो है, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया है। बीते साल 61 हजार शिकायतों में से मात्र 26 हजार पर सुनवाई हो सकी।
बाजार में छोटे व्यापारियों के 20 हजार करोड़ में से मात्र 5 हजार करोड़ रुपए ही वसूले जा सके। एक मामले का हल निकालने में 6 महीने ऐवरेज लगते हें।
मैं सुझाव देना चाहूंगा। मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि छोटे व्यापारियों को भुगतान के बिल पर ही बैंक लोन दे। ऐसी व्यवस्था हो कि पैसे मिलने तक छोटे व्यापारी के हाथ तंग न हों। इसके अलावा सरकार को पैसे लेकर भागने वाली कंपनियों पर सख्त होना चाहिए। चेक बाउंस को लेकर जो पहल कभी सरकार ने की थी, कुछ वैसा ही करने की जरूरत है।
सरकार लेट से होने वाले पेमेंट पर कुछ सख्त कदम उठाए तो सरकार का कुछ नहीं जाएगा और इकोनॉमी पर पर भी सही असर पड़ेगा।
बाकी छोटे व्यापारियों की मदद के लिए सरकार को GST के पेमेंट के आधार पर टैक्स लेना चाहिए।
स्टार्टअप्स के लिए मंत्रालय
देश की जीडीपी में 2.5% का योगदान करने वाले स्टार्टअप्स के लिए मंत्रालय बनाना चाहिए। देश में जहां 2016 में 500 स्टार्टअप्स थे, आज तकरीबन 85 हजार के करीब हैं।
स्टार्टअप्स देश में 8.5 लाख लोगों को नौकरी दे रहे हैं। इस वक्त देश में 108 यूनिकॉर्न हैं। लेकिन इनकी हालत भी ठीक नहीं है। 21 हजार नौकरियां गई हैं। 71 स्टार्टअप्स ने बड़े स्तर पर छंटनी की है। हमारे देश के स्टार्टअप्स को इस साल 40% कम फंडिंग मिली है।
सरकार को अपनी तरफ से स्टार्टअप्स की मदद करनी चाहिए। इसके लिए हमें दुनिया के बाकी देशों से सीखना चाहिए।
इजराइल की सरकार अपने देश के स्टार्टअप्स में 85% खुद इन्वेस्ट करती है। वहीं सिंगापुर में सरकार की मदद की वजह से मात्र 70% स्टार्टअप्स पर ग्रो कर जाते हैं जबकि भारत में ये आंकड़ा 10% पर रुक जाता है। 9 लाख लोगों को रोजगार दे रहे स्टार्टअप्स के लिए ये बहुत जरूरी है कि सरकार इन्हें लंबे इन्वेस्टमेंट के तौर पर देखे।
हालांकि सरकार ने स्टार्टअप्स को इनकम टैक्स में छूट दी है, साथ ही लोन चुकाने का टाइम पीरियड भी बढ़ाया है। ये सरकार किसी की सुनती नही है, ये लॉन्ग टर्म पर काम करती है।
इतने चुनावों के बीच में इस सरकार ने मुफ्त की घोषणाएं कम कीं।
ये करेज वाली सरकार है। सरकार के इस बजट के कुछ स्ट्रॉन्ग फैसलों के चलते मैं अब दस में आठ नंबर भी दे सकता हूं।