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दो और शावकों को वन विभाग ने सर्दी में छोड़ा, पिंजरे तक में नहीं रखा

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एक मां अपने ढाई महीने के तीन बच्चों से बिछड़ गई। तीनों बच्चे मां की तलाश में खेत में इधर से उधर भटकते रहे लेकिन मां नहीं मिली। इस बीच 7 दिन भूखे-प्यासे और दूध नहीं मिलने से एक बच्चे ने दम तोड़ दिया।

ये दर्द किसी इंसान का नहीं है। ये गम है, उन बेजुबानों का,जो अपना दर्द शब्दों में बयां भी नहीं कर सकते, लेकिन अपनों से बिछड़ने का अहसास दिल में जरूर होता है।

दरअसल,ये कहानी बाघिन टी-114 और उसके 3 शावकों की है। बाघिन टी-114 की उम्र करीब 6 से सात साल थी। करीब ढाई महीने पहले ही 2 शावकों को जन्म दिया था।

सवाईमाधोपुर का रणथम्भौर टाइगर रिजर्व इनका घर था। अब बाघिन और उसका एक शावक इस दुनिया में नहीं है। इनकी मौत में वन विभाग की लापरवाही भी सामने आई है।

अपनी मां बाघिन टी-114 की तलाश में 3 शावक रणथम्भौर जंगल से निकलकर एक खेत में पहुंच गए थे। खेत में घूमते हुए शावक।
अपनी मां बाघिन टी-114 की तलाश में 3 शावक रणथम्भौर जंगल से निकलकर एक खेत में पहुंच गए थे। खेत में घूमते हुए शावक।

सामने आया है कि, शावकों के जन्म से लेकर उनके रणथम्भौर जंगल से बाहर जाने तक का वन विभाग को मालूम नहीं था। ग्रामीणों की जानकारी पर शावकों की मॉनिटरिंग की थी। उसके बाद भी उन्हें पिंजरे में नहीं रखा गया और एक शावक की मौत हो गई।

बाघिन और उसके तीनों शावक कब बिछड़े, कैसे हुई मौत और कैसे रही वन विभाग की लापरवाही। पढ़िए…

बाघिन टी-114 बाघ टी-42 और बाघ टी-13 की बेटी थी। इसने दो महीने पहले 3 शावकों को जन्म दिया था।
बाघिन टी-114 बाघ टी-42 और बाघ टी-13 की बेटी थी। इसने दो महीने पहले 3 शावकों को जन्म दिया था।

25 जनवरी 2023 को बिछड़े मां और बच्चे
बाघिन और शावक साथ थे, लेकिन 25 जनवरी 2023 को बाघिन अपने शावकों से बिछड़ गई। मां बाघिन की तलाश में तीनों शावक भी रणथम्भौर के जंगल से बाहर फलोदी रेंज में दोलाड़ा गांव के पास एक खेत में आ गए। यहां वन विभाग की लापरवाही साफ तौर पर देखी गई।

दरअसल, वन विभाग को पता तक नहीं था कि, रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के परिवार में 3 शावक शामिल हो चुके हैं। फलोदी रेंज में एक खेत के पास टाइगर के तीन शावकों का मूवमेंट देखकर ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी थी, तब जाकर वन विभाग को बाघ शावकों का पता चला था।

इसके बाद भी तीनों की सही मॉनिटरिंग और ट्रेकिंग नहीं की गई और न ही पिंजरे में रखा गया। टीम ने केवल वेट एंड वॉच की पॉलिसी पर ही काम किया। इसके चलते एक बाघ शावक की 31 जनवरी 2023 को मौत हो गई।

बाघिन टी-114 की मंगलवार को मौत हो गई थी। वन विभाग ने इसे टेरोटोरियल फाइट में मौत माना था। बाघिन का पोस्टमार्टम करते डॉक्टरों की टीम।
बाघिन टी-114 की मंगलवार को मौत हो गई थी। वन विभाग ने इसे टेरोटोरियल फाइट में मौत माना था। बाघिन का पोस्टमार्टम करते डॉक्टरों की टीम।

वन विभाग ने सर्दी को बताया मौत का कारण
वन विभाग की लापरवाही का खामियाजा एक शावक 31 जनवरी 2023 को अपनी जान से हाथ धोकर भुगतना पड़ा। उसका शव टोडरा क्षेत्र मिला है।

शव को कब्जे में लेकर फलौदी रेंज पोस्टमार्टम कराकर अंतिम संस्कार करा दिया गया। उपवन संरक्षक संग्राम सिंह कटियार ने शावक की मौत सर्दी से होना बताया था। वन अधिकारियों ने सफाई में कहा था कि,दो महीने के शावकों को पिंजरे में रखना संभव नहीं था।

एक ही दिन बाघिन और शावक की मौत
दुखद रहा कि शावक की मौत के ठीक 3 घंटे बाद ही टोडरा वन क्षेत्र में बाघिन टी-114 का शव भी मिला। जो कि तीन-चार दिन पुराना बताया गया।

बाघिन टी-114 को पोस्टमार्टम के लिए राजबाग नाका लेकर आया गया था। वन विभाग ने बाघिन की मौत का कारण टेरेटोरियल फाइट बताया था।

रणथम्भौर में एक बाघिन के साथ शावक पानी में खेलते हुए।
रणथम्भौर में एक बाघिन के साथ शावक पानी में खेलते हुए।

इस पूरे माजरे में वन विभाग की लापरवाही भी सामने आ रही है। पढ़िए वन विभाग पर उठ रहे 3 सवाल…

1- शावकों को पिंजरे में नहीं रखा
विशेषज्ञों ने बाघ शावक की मौत का कारण भूख,प्यास, सर्दी और मां का दूध नहीं मिलना बताया था। शावक की मौत पर वन विभाग ने भी पूरी तरह से खुलासा नहीं किया। वन विभाग जानकारी छुपाता रहा। यहां तक कि शावकों को पिंजरे में भी नहीं रखा गया। पोस्टमार्टम के दौरान मीडिया को भी दूर रखा गया।

2- वनकर्मियों की क्यों नहीं मानी सलाह
सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों बारिश,ओलावृष्टि और मौसम में हुए बदलाव के बाद वन कर्मियों ने बाघिन के शावकों की जान को खतरा बताते हुए वन अधिकारियों से बाघिन के शावकों को पिंजरे में रखकर विशेषज्ञों के निर्देशन में देखभाल करने की सलाह दी थी।

इसके बाद भी अधिकारियों ने वन कर्मियों की इस सलाह को नजर अंदाज कर दिया था और केवल मॉनिटरिंग की थी। नतीजा, बाघिन के तीन में से एक शावक की मौत हो गई।

3- पोस्टमार्टम कवरेज से मीडिया को रखा दूर
रणथम्भौर में सालों से बाघ-बाघिनों का पोस्टमार्टम राजबाग नाके पर किया जाता रहा है। जहां पर मीडिया की ओर से कवरेज किया जाता रहा है।

मामले को लेकर वन विभाग के अधिकारियों की ओर से बीफिंग भी की जाती रही है, लेकिन शावक की मौत मामले में वन विभाग के अधिकारी वीडियों और बीफिंग करने से बचते रहे।

मामले को लेकर रणथम्भौर के DFO के संग्राम सिंह ने वीडियो करवाने के लिए प्रोटोकॉल का हवाला देकर मना कर दिया।

शावक की मौत का भी अधिकारियों के पास कोई सही जवाब नहीं है। वे अनुमान लगा रहे हैं कि कि सर्दी के कारण इसकी जान गई है।
शावक की मौत का भी अधिकारियों के पास कोई सही जवाब नहीं है। वे अनुमान लगा रहे हैं कि कि सर्दी के कारण इसकी जान गई है।

रणथम्भौर के DFO संग्राम सिंह का कहना है कि उम्र में छोटे शावक यदि मानवीय संपर्क में आ जाए तो फिर बाघिन को गंध से इसका पता चल जाता है।

फिर बाघिन शावकों को अपने साथ नहीं रखती है। ऐसे में शावकों को पिंजरे में रखना संभव नहीं था। जबकि शावकों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही थी।

मां-भाई की मौत के बाद दो शावकों को कोटा भेजा
बाघिन टी-114 के एक शावक की मौत हो गई। बाकी बचे दोनों शावकों को अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क कोटा भेजा गया है। भविष्य में दोनों शावकों को मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व कोटा के दर्रा क्षेत्र में पुनर्वास किया जाएगा।

बाघिन टी-114 की उम्र करीब 6-7 साल थी। यह टी-42 औ टी-13 की बेटी थी। जिसने करीब दो साल पहले 2 शावकों को जन्म दिया था। बाघिन टी-114 की 31 जनवरी को मौत हो गई।

करीब 15 दिन पहले बाघ टी-57 की भी मौत हो गई थी। बाघ टी-57 के पोस्टमार्टम के दौरान की फोटो।
करीब 15 दिन पहले बाघ टी-57 की भी मौत हो गई थी। बाघ टी-57 के पोस्टमार्टम के दौरान की फोटो।

15 दिन पहले बाघ टी-57 की मौत
रणथम्भौर में 15 दिन पहले बाघ टी-57 की मौत हो चुकी है। बाघ टी-57 को 20 दिसम्बर को ट्रेंकुलाइज किया गया था। इसके बाद भी बाघ को पिंजरे में नहीं रखा गया था।

बाघ की सही तरीके से मॉनिटरिंग नहीं होने से दूसरे दिन ही तबीयत खराब हो गई थी। उसके बाद भी बाघ का इलाज नहीं किया गया।

इसे रणथम्भौर के CCF सेडूराम यादव और अन्य वन अधिकारियों की लापरवाही मानी जा रही है। समय पर इलाज नहीं मिलने से बाघ की मौत हो गई।

बाघ टी-34 कुंभा जिसका शव वन विभाग को पांच दिन बाद मिला। इस दौरान बाघ का शव सूखकर कंकाल मात्र रह गया गया। जिसे कीड़े पूरी तरह से खा चुके थे।
बाघ टी-34 कुंभा जिसका शव वन विभाग को पांच दिन बाद मिला। इस दौरान बाघ का शव सूखकर कंकाल मात्र रह गया गया। जिसे कीड़े पूरी तरह से खा चुके थे।

दो साल में 10 बाघ-बाघिन और शावकों की मौत

  • 1 अप्रैल 2021 को गंधार देह में बाघिन टी-60 के शावक का शव मिला था।
  • साल 2021 के मई महीने में तांबाखान वन क्षेत्र में बाघिन टी 102 के शावक का शव मिला था।
  • 6 जुलाई 2021 को खंडार रेंज में पानी में बाघ टी-65 का शव मिला।
  • 13 मई 2022 को जामोदा के नाले में बाघिन टी- 61 का शव मिला।
  • 24 मई 2022 को खंडार रेंज में बाघिन टी-69 के मादा शावक का शव मिला।
  • 5 जून 2022 को आरओपीटी रेंज में बाघ टी-34 का शव मिला है।
  • 16 जून 2022 को बाघिन सुल्ताना के शावक की पानी में गिरकर मौत
  • 10 जनवरी को बाघ टी-57 की लापरवाही के चलते मौत हुई।
  • 31 जनवरी को बाघिन टी-114 और उसके शावक की मौत हो गई।

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