बचपन में ही संघर्ष देखने वाले शहर के अलख पांडेय फिजिक्स वाला एप के माध्यम से एक अरब डॉलर का आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर चुके हैं। अलख पांडेय अपनी संघर्ष भरी यात्रा के बारे में बताते हैं मेरे पिता को मेरी बहन और मेरी पढ़ाई के लिए अपना घर बेचना पड़ा। मैं जब छह साल का था तो मेरा घर बिक रहा था।
घर खरीदने के लिए जब लोग आते थे तो मेरे परिवार वालों को बुरा लगता था, लेकिन मैं खुश होता था। क्योंकि मैं चाहता था कि मुझे एक नई साइकिल मिल जाए। आखिर घर बिक गया और परिवार के साथ स्लम एरिया में आ गया और मुझे साइकिल भी मिल गई। जब मैं किराये के घर में आया तो मुझे जीवन का अंधेरे समझ में आया। मेरे पिता के पास नौकरी नहीं थी। इसके बाद संघर्षों के दिन शुरू हो गए।
आठवीं क्लास से पढ़ाना शुरू कर दिया
मैं जब क्लास आठवीं में था तो स्कूल में पढ़ाने लगा। फिर कॉलेज में भी पढ़ाया। बाद में कॉलेज से मुझे निकाल दिया गया, क्योंकि मैं बहुत छोटा था। इसके बाद मैं बच्चों को पढ़ाता रहा। तीन चार साल यूट्यूब चैनल पर साल फ्री में पढ़ाया। यह अब भी जारी है। शुरुआत मजबूरी में की। बाद में अच्छा रिस्पांस आने लगा।
शिक्षक की शाबाशी चुभ गई
अलख बताते हैं कि बच्चों को कोचिंग पढ़ाते समय उनकी क्लास में बच्चों की संख्या अच्छी हो गई थी। यह देखकर एक शिक्षक ने कहा मुझे शाबाशी देते हुए कहा अलख तुम अच्छा जा रहे हो। अगले 10 साल में करीब सात हजार बच्चों को पढ़ा दोगे। शिक्षक ने यह बात उनको शाबाशी देने के लिए कही, लेकिन मुझे यह बात चुभ गई। फिर ऑनलाइल भी पढ़ाना शुरू किया।
मुझे फिजिक्स का शौक इंजीनियर सोहेल तैयब सर की वजह से आया। वह मुझे कक्षा 11 मेें पढ़ाते थे। वह सबसे अलग थे। उन्होंने मुझे मुफ्त ें भी पढ़ाया। इसके बाद फिजिक्स से जुड़ाव हुआ और मैं कई किताबें पढ़ता गया। फिजिक्स मुझे अच्छा लगने लगा।
कोचिंग में कॅरियर बनाने का नहीं था इरादा
कोई भी कोचिंग में कॅरियर बनाने की नहीं सोचता है। मैने भी नहीं सोचा था। पिता जी को लगता था बेटा पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करे। बच्चों को पढ़ाते-पढ़ाते कोचिंग में मचा आने लगा। इसके बाद ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाने लगा।
फिजिक्स वाला एप पर चार हजार में आईआईटी और मेडिकल की तैयारी कराते हैं। हमने कभी इसके लिए मार्केटिंग नहीं की। कभी किसी हीरो से अपने एप का प्रचार नहीं कराया। हमने बच्चों की सुनीं। बच्चे जो कमेंट करते थे उसके अनुसार लगातार सुधार किया गया
यूट्यूब चैनल पहले नहीं चला
जब मैने यू ट्यूब चैनल बनाया तो उस पर सब्सक्राइबर नहीं थे। शुरुआत में 12 वीडियो डालने पर 20-30 लाइक्स मिले। फिर ऑनलाइन पढ़ाना छोड़ दिया। कुछ समय बाद दोबारा यूट्यब चैलन पर पढ़ाना शुरू कर दिया। छह मई 2018 में चैलन पर 50 हजार सब्सक्राइबर हो गए। हमें पता नहीं था कि यूट्यब से कैसे विज्ञापन मिलता है। दो साल तक कोई विज्ञापन नहीं लिया।
फिजिक्स वाला एप बनाने पर काफी समय से विचार चल रहा था। कोरोना काल में सब कुछ ठप हो गया। इसके बाद बच्चों के कमेंट आने लगे कि एप लांच कर दिजिए। 2020 में ही एप लांच किया गया। हमने तीन हजार में आईआईटी और मेडिकल की तैयारी शुरू कराई। कुछ लोग पहले कमेंट करते थे कि तीन हजार में कैसे कोई तैयारी करा लेगा, लेकिन हम जिस परिस्थिति से आते हैं उसको ध्यान में रखकर फीस रखी गई।
कम संसाधन नहीं हौसला बड़ा होना चाहिए
मैंने बचपन से ही संघर्षों के दिन देखें। इसलिए संसाधन नहीं हौसला बड़ा होना चाहिए। मैं हमेशा सोचता था कि कुछ बड़ा करना है। अपने बच्चों के साथ जुड़ाव रहा। उसी का नतीजा है कि हम यहां तक पहुंचे।
मुझे पढ़ाने के लिए कई ऑफर आए, लेकिन मैं गया नहीं। एक शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनी का 75 करोड़ का ऑफर भी ठुकराया। मेरा मानना है कि मैं देश के बच्चों केप्रेरणा हूं। अगर मैं भी पेसे के लिए किसी कंपनी में चला जाता तो बच्चों के बीच संदेश जाता कि अलख पांडेय भी पैसे के लिए चले गए।
लोन लिया और पढ़ाई भी छोड़ी
मैंने इंजीनियर की पढ़ाई के लिए 1.60 लाख बैंक से लोन लिया था। बाद में मैंने पढ़ाई भी छोड़ दीञ। किसी तरह बाद में लोन चुकाया।