दिल्ली को कोलकाता से जोड़ने वाले वाराणसी के NH2 डाफी टोल प्लाजा पर एक बड़ा हेरफेर सामने आया है। इस टोल से रोज 20 हजार गाड़ियां गुजरती हैं और इसमें ओवरलोड ट्रकों की संख्या 2000 से ज्यादा होती हैं। इनके चालक RTO के चालान से बचने के लिए फर्जी फास्टैग चिप और फर्जी नंबर प्लेट लगाकर टोल से पास हो रहे।
वहीं, देश के किसी दूसरे इलाके में खड़ी गाड़ियों के चालान वाराणसी में कट रहे हैं। ऐसी गड़बड़ी मोरंग, बोल्डर, गिट्टी, बालू और कोयला लादकर चलने वाले ट्रक कर रहे हैं। टोल प्लाजा से एक किलोमीटर पहले GT रोड पर ही विश्व सुंदरीपुल के पास यह खेल हो रहा है।
ओवरलोड ट्रक यहां पर रुकते हैं। टाेल पर ओवरलोड के चालान से बचने के लिए लोकल ट्रक चालक बाहरी गाड़ियों का नंबर प्लेट लगवाते हैं। बिना गाड़ी के पेपर्स या आईडी दिए ही फास्टैग चिप भी चेंज कर दिया जाता है। इसके बाद टोल प्लाजा से गाड़ियां बिना किसी झिझक के पास हो जाती हैं। जबकि, ओवरलोड पर RTO चालान दूर किसी गाड़ी का कट जाता है। इसका खुलासा तब हुआ, जब सोमवार को वाराणसी से 1700 किलोमीटर दूर गुजरात अदानी मुद्रा पोर्ट में खड़ी एक टैंकर ट्रक का चालान वाराणसी में कट गया। वाराणसी में आर्यन नाम के व्यक्ति पर धोखाधड़ी का मुकदमा भी दर्ज हो गया है।
मथुरा का है ट्रक मालिक
लंका थाने में मुकदमा दर्ज हुआ, मगर पुलिस अभी तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाई। परिवहन विभाग ने भी चुप्पी साध रखी है। गुजरात के वाहन मालिक ने लंका थाने में आरोपी कार्तिक के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया है। मथुरा के कौलाहर निवासी प्रेमपाल चौधरी ने पुलिस को बताया कि उनका गैस टैंकर गुजरात से अलीगढ़ रूट पर चलता है।
GPS सुविधा से लैस है ट्रक
प्रेम पाल ने बताया कि उसकी ट्रक GPS की सुविधा से लैस है। बीते 16 जनवरी को उनका टैंकर गुजरात में था, लेकिन उसका चालान डाफी टोल प्लाजा पर कट गया। चालान कटने की जानकारी मिली, तो जांच कराने पर पता चला कि उनके टैंकर के रजिस्ट्रेशन नंबर का इस्तेमाल वाराणसी में कार्तिक नामक व्यक्ति कर रहा है। इंस्पेक्टर लंका बृजेश कुमार सिंह ने कहा कि तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
बिना कागज के नहीं लगा सकते फास्टैग चिप
उधर, टोल प्लाजा के DGM मनीष कुमार ने कहा कि सरकारी व्यवस्था के तहत बिना वाहन के मूल कागजात , ID और फोटो दिए फास्टैग चिप नहीं लगा सकते। मगर, फास्टैग विक्रेता और ट्रक चालकों के सांठगांठ से बिना कागज के ही चिप लग जाता है। इसके लिए ट्रक चालकों को थोड़ा ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं। मनीष ने कहा कि इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए फिक्स नंबर प्लेट लगाया जाए। गाड़ी के मूल कागजात, ID प्रूफ और फोटो से ही फास्टैग जारी हो तब जाकर ये गड़बडियां रुक पाएंगी। सरकार की तरफ से 10 गुना तक जुर्माने का नियम हटाने के बाद ओवरलोड गाड़ियों की संख्या 5 गुना ज्यादा बढ़ गई है। डाफी टोल प्लाजा से रोज 20 हजार वाहन पास होते हैं।
तस्करों को भी मिल रहा प्रोत्साहन
DGM मनीष कुमार ने बताया कि ट्रकों में फिक्स नंबर प्लेट्स लगने चाहिए। इससे कोई भी ट्रक चालक नंबर प्लेट बदल नहीं पाएंगे। अक्सर शराब और गो तस्करी में पकड़ाए ट्रकों का नंबर प्लेट फर्जी निकलता है। फिक्स नंबर प्लेट न होने से तस्करों को भी प्रोत्साहन मिलने लगता है।