विश्वधरोहर ज्ञान की धरती बोधगया में महाबोधि मंदिर की सुरक्षा में तैनात विशेष कर्मियों ने एक रुसी बौद्ध लामा को दस एमएल शराब के साथ पकड़ा है। वह बौद्धधर्म के तहत तंत्र साधना के लिए मंदिर में शराब ले जा रहा था। पकड़े गए रुसी बौद्ध लामा को सुरक्षा कर्मियों ने बोद्ध गया पुलिस को सौंप दिया है। पुलिस इस मामले में आरोपी रसियन बौद्ध लामा इडिपसी एयास को गिरफ्तार कर लिया है।
गौरतलब है कि बीते वर्ष दिसंबर में महाबोधि मंदिर परिसर में सुरक्षा कर्मियों के बैरक के निकट से शराब की बोतलें बरामद हुई थी। जांच में यह मामला सही पाया गया था। संबंधित मामले में पूर्व एसएसपी हरप्रीत कौर ने कड़ी कार्रवाई करते हुए चार सुरक्षा कर्मियों को निलंबित कर दिया था।
बीती 22 दिसंबर से बोधगया में ही बौद्ध गुरु प्रवास कर रहे हैं। वह अब अगले कुछेक दिन में जानेवाले भी हैं। फिलहाल वह कब जाएंगे इस बात का खुलासा सुरक्षा के मद्देनजर नहीं किया गया है।
शराब लेकर मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश में था
बोधगया थानाध्यक्ष रूपेश कुमार ने बताया कि रसियन बौद्ध लामा अपने साथ बोतल में शराब लेकर मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश में था लेकिन स्कैनर मशीन में शराब की बोतल पकड़ी गई। इस पर सुरक्षा कर्मियों ने बोतल को निकलवा कर देखा तो उसमें से विदेशी शराब निकली। 100 एमएल की बोतल में करीब दस एमएल शराब थी। चूंकि पूरे प्रदेश में शराब पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसलिए उसके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया गया। आगे की कार्रवाई करते हुए उसे कोर्ट भेजा जाएगा।
बता दें कि तंत्र साधना के तहत बोद्ध धर्म में विशेष स्थान है। हालांकि बोध गया में यह जब कभी देखने को मिलता है। 21 तारा देवियों की साधना होती है। इसके अलावा बौद्ध धर्म से जुड़े अन्य पंथ में तंत्र साधना की विशेष पूजा होती है। हर के पंथ के अलग अलग विधान है। महाबोधि मंदिर में ऐसा नज़र नहीं आता है । लेकिन परिसर के अंदर साधना में लीन बौद्ध भिक्षु व लामा नज़र आते है।
बीते दिनों बोधगया में मुखोटा डांस भी हुआ था। यह नृत्य, तंत्र साधना की एक कड़ी है। साथ इस डांस के माध्यम से बुरी आत्माओं को दूर भगाया जाता है। उन पर विजय प्राप्त करने के लिये डांस किया जाता है। साथ ही विश्व शांति की कामना जाती है। यह काम बोद्ध लामा ही करते हैं। मुखौटा नृत्य डुके थुवटेंन छोलिंग सांगु बौद्ध मठ में हुआ था। यह आध्यात्मिक मुखौटा नृत्य 2 दिनों तक चला था उत्सव के पूर्व बौद्ध भिक्षु लंबे समय तक ध्यान व प्रार्थना करते हैं सर पर भयंकर मुखोटे तथा हाथों में प्रतीकात्मक वस्तुएं धारण करते हैं इस प्रकार भयावह रूप धरकर में दुष्ट आत्माओं को डराते हैं तथा उन्हें वहां से भगा देते हैं।