दुबग्गा में तीन दिन पहले दफनाए गए तीन वर्षीय बच्चे के शव को कब्र खोदकर बाहर निकाला। पिता ने अपनी उंगली काटकर कब्र की मिट्टी पर खून टपकाया। पूजा पाठ किया फिर परिजन शव को लेकर बलरामपुर अस्पताल पहुंच गए। वहां डॉक्टरों से उसका इलाज करने की जिद करने लगे। दरअसल, अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर परिजनों ने ऐसा किया।
दुबग्गा के सैदपुर महरी गांव निवासी सुनील रावत के 3 वर्षीय बच्चे अक्षत की शनिवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई। परिजन बच्चे को निजी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। शव गांव के बाहर दफना दिया गया। तीन दिन बाद दादी को सपना आया कि बच्चा जिंदा है। इस पर पूरा परिवार अंधविश्वास में फंस गया और बच्चे के जीवित होने की बात कहते हुए कब्र खोद डाली।
दादी ने अपने सपने की जानकारी परिवार के सभी लोगों की दी। मंगलवार शाम करीब चार बजे सभी कब्र पर पहुंचे। फिर पूजा पाठ किया गया। कब्र को खोदकर शव बाहर निकाला। सुनील के मुताबिक बच्चे को साफ किया गया। उसका शरीर गर्म था।
कब्र की मिट्टी पर टपकाया खून, पिता ने पढ़े मंत्र
ग्रामीणों की मानें तो बच्चे के पिता सुनील ने पूजा पाठ किया। फिर अपनी उंगली काट कर कब्र की मिट्टी पर खून टपकाया। शव बाहर निकाल कर गोद में रखा और मंत्र पढ़ते रहे। इस मामले में एडीसीपी पश्चिम चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि जीवित होने की आशंका पर बच्चे का शव परिजनों ने कब्र से खोदकर निकाला था। अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
डॉक्टर ने परिजनों को बताया कि बच्चे की मौत हो चुकी है। लेकिन परिजन इलाज करने की जिद करते रहे। अस्पताल प्रशासन ने फोन करके पुलिस को मामले की जानकारी दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी। पुलिस ने अपने और परिजनों के सामने बच्चे के हाथ की पल्स चेक कराया। फिर हार्ट बीट चेक करने के लिए ईसीजी मशीन भी लगाई गई। लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला। परिजनों को समझाया गया। बाद में वह बच्चे का शव लेकर चले गए।