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वैभव बोला- चाहता हूं कि मेरे पिता पुराना काम छोड़ दें, अब आराम करें

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इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने नवम्बर, 2022 एग्जाम का फाइनल रिजल्ट मंगलवार को जारी किया गया। इस बार टॉप-50 में जयपुर के 7 स्टूडेंट्स ने जगह बनाई है। इनमें वैभव माहेश्वरी ने ऑल इंडिया 10th रैंक हासिल की। वैभव ने बताया कि- पिता मानसरोवर में (चाय और कचौरी) रेस्टोरेंट चलाते हैं। मैं चाहता हूं कि मेरे पिता जल्द ही पुराना काम छोड़ रिटायर्ड होकर आराम करें।

जयपुर के वैभव माहेश्वरी ने बताया कि तनाव दूर करने के लिए वे ट्रेडिशनल तरीकों से अलग नए-नए प्रयोग करते थे।
जयपुर के वैभव माहेश्वरी ने बताया कि तनाव दूर करने के लिए वे ट्रेडिशनल तरीकों से अलग नए-नए प्रयोग करते थे।

पढ़ाई का लोड नहीं लिया, OTT पर देखता था मूवी

ऑल ओवर इंडिया 10th रैंक हासिल करने वाले वैभव माहेश्वरी ने बताया कि में दिन में 9 से 10 घंटे तक पढ़ाई करता था। लेकिन मैंने पढ़ाई का कभी लोड नहीं लिया। जब कभी भी मैं फ्रस्ट्रेट होता था। तो इंस्टाग्राम यूज करने के साथ ही ओटीटी पर वेब सीरीज देखता था। ताकि खुद को फ्रेश रख सकूं। फिर भी मूड ठीक नहीं होता था। तो फैमिली मेंबर्स के साथ आउटिंग पर चला जाता था।

इसके साथ ही फिजिकली फिट रहने के लिए फुटबॉल और क्रिकेट भी खेलता था। वैभव ने बताया कि मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत नहीं थी। मेरे पिता मानसरोवर में (चाय और कचौरी) रेस्टोरेंट चलाते हैं। लेकिन मेरे भाई वरुण ने 2 साल पहले CA बन न सिर्फ परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है।

बल्कि मुझे भी काफी मदद की। यही कारण है कि मैं आज यहां तक पहुंच पाया हूं। ऐसे में अब मैं चाहता हूं कि मेरे पिता जल्द ही पुराना काम छोड़ रिटायर्ड होकर आराम करें। ताकि हम उनके अधूरे सपनों को पूरा कर सकें।

जयपुर की मिताली का कहना है कि उनकी सक्सेस का राज फैमिली का सपोर्ट और प्यार है।
जयपुर की मिताली का कहना है कि उनकी सक्सेस का राज फैमिली का सपोर्ट और प्यार है।

पापा-मम्मी की फाइनेंशली मदद करना चाहती हूं

ऑल इंडिया 18th रैंक हासिल करने वाली मिताली खंडेलवाल ने बताया कि कोरोना काल के दौरान परिवार की आर्थिक स्थिति पूरी तरह बिगड़ गई थी। पिता सब-शेयर ब्रोकर थे। जबकि मां प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थी, लेकिन कोरोना की वजह से उनकी नौकरी चली गई। जिसकी वजह से परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया, लेकिन मेरे परिवार ने मुझे पूरी तरह सपोर्ट किया। उसी की बदौलत आज मैं यहां तक पहुंच पाई हूं। इसलिए अब मैं जॉब करके पापा-मम्मी की फाइनेंशियली मदद करना चाहती हूं। ताकि उनकी इच्छा और सपनों को पूरा कर सकूं।

डिप्रेशन में चली गई, नींद आना बंद हो गई थी

मिताली ने बताया कि जैसे ही एग्जाम नजदीक आए। मैंने 13 से 14 घंटे पढ़ाई शुरू कर दी थी। इसके लिए मैं रात को 3 से 4 बजे तक पढ़ती थी। इस दौरान कई बार में डिप्रेशन में चली गई थी। मेरे साथ प्रॉब्लम थी कि अगर मैंने पढ़ने के जो टारगेट सेट किया है। वह कंप्लीट नहीं होता था। तो मुझे नींद ही नहीं आती थी। फाइनल एग्जाम के फर्स्ट पेपर के दिन भी मुझे सुबह 7 बजे तक नींद नहीं आई थी। तब मम्मी ने मुझे समझाया और इसके बाद मैं थोड़ा सो पाई।

जयपुर के योगेश ने बताया कि उनका गोल क्लियर था और वे 10th के बाद से तैयारियों में जुट गए थे।
जयपुर के योगेश ने बताया कि उनका गोल क्लियर था और वे 10th के बाद से तैयारियों में जुट गए थे।

11th क्लास में ही सोच लिया था CA बनूंगा

ऑल ओवर इंडिया 20th रैंक हासिल करने वाले योगेश लखोटिया ने बताया कि 10th क्लास में 98.8% मार्क्स आने के बाद मैंने 11th में कॉमर्स सब्जेक्ट लिया था। मैंने तभी सोच लिया था कि मुझे फ्यूचर में सीए बनना है। मैंने धीरे-धीरे पढ़ाई शुरू की। इसके साथ ही मैंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से भी दूरी बना ली। क्योंकि वहां वक्त बहुत ज्यादा और जल्दी खत्म हो जाता है। इसके साथ ही मैं धीरे-धीरे अपने पढ़ाई के वक्त को बढ़ाता गया और एग्जाम तक में 8 घंटे हर दिन पढ़ने लगा। इस दौरान कई बार फ्रस्ट्रेशन भी होने लगा। जिसे दूर करने के लिए मैं योगा और मेडिटेशन का सहारा लेता था। जबकि मेंटली स्ट्रेस को खत्म करने के लिए मैं मूवी देखना पसंद करता था।

11.09% स्टूडेंट्स हुए पास

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की ओर से सीए फाइनल रिजल्ट में ग्रुप ए में कुल 65 हजार 291 उम्मीदवार उपस्थित हुए थे। इनमें से 13 हजार 969 को पास घोषित किया गया है। जबकि ग्रुप बी की परीक्षा में 64 हजार 775 उम्मीदवार शामिल हुए थे। जिनमें से 12 हजार 53 ने परीक्षा पास की। दोनों ग्रुप में टोटल 11.09% उम्मीदवार ही पास हुए हैं।

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