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पाकिस्तान बिजली संकट से बेहाल, सरकार ने बचत के लिए प्लान जारी किया

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आर्थिक रूप से बदहाल पाकिस्तान में ऊर्जा संकट गहरा गया है। इससे आम लोगों से लेकर हर वर्ग परेशान है। संकट कितना गहरा, यह जताने के लिए सरकार ने एक दिन पहले ही कैबिनेट की बैठक भी बगैर लाइट जलाए की।

इसके साथ ही सरकार ने ऊर्जा बचत के लिए एक विस्तृत प्लान तैयार किया है। सरकार का कहना है कि ऐसा करने से 6200 करोड़ रुपए की बचत होगी।

कराची में सरकार के बिजली कटौती के प्लान के विरोध में सड़कों पर उतरे लोग
कराची में सरकार के बिजली कटौती के प्लान के विरोध में सड़कों पर उतरे लोग

बिजली बचाने के लिए सरकार का प्लान

  • अधिक बिजली की खपत करने वाले पंखों का उत्पादन जुलाई से बंद होगा। इससे करीब 2200 करोड़ बचाने में मदद मिलेगी।
  • वेडिंग हॉल्स रात 10 बजे तक बंद कर दिए जाएंगे।
  • एक फरवरी के बाद केवल LED बल्बों का इस्तेमाल किया जाएगा।
  • सरकार ने सरकारी विभागों में 30% बिजली बचाने की फरमान जारी किया है।
  • बाजार रात 8:30 बजे तक ही खोलने मंजूरी होगी।

सरकार का प्लान लोगों को नामंजूर
बिजली संकट गहराने से आम लोगों से लेकर ट्रेड यूनियन में आक्रोश है। ज्यादातर व्यापारियों ने ऊर्जा बचत योजना का विरोध किया है। इस्लामाबाद में ट्रेड यूनियन ने इस योजना को लागू नहीं करने का फैसला किया है।

ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधि नोमान अब्बास ने भास्कर से कहा, ‘गरीब और गरीब होता जा रहा है और कारोबार पहले ही खत्म होने की कगार पर है। मैं पाक सरकार से पूछना चाहता हूं कि क्या वे रैलियों में इस्तेमाल होने वाले विमानों और हेलीकॉप्टरों को रोकेंगे? इन्हें रोकने से भी अरबों रुपए बच सकते हैं।’ बलूचिस्तान में 10-12 घंटे तक , जबक खैबर पख्तूनख्वा में भी लोगों को 6 से 12 घंटे तक बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है।

काफी समय से बिजली संकट से जूझ रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान में बिजली संकट की शुरूआत पिछले साल ही हो गई थी। जून के महीने में सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था।

इसमें सरकार ने कहा कि 30 जून तक देश में हर रोज 3.5 घंटे बिजली कटौती की जाएगी। 30 जून के बाद बिजली कटौती 3.5 घंटे से घटाकर 2 घंटे करने की बात कही थी।

पाकिस्तान सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया था कि देश में 22 हजार मेगावट बिजली का उत्पादन हो रहा है जबकि जरूरत 26 हजार मेगावट की थी। ऐसे में पाकिस्तान में 4 हजार मेगावॉट बिजली की कमी थी। हाल के दिनों में पाकिस्तान में बिजली की कमी बढ़कर 7800 मेगावट तक पहुंच गई थी।

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