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भारतीय सेना भी डटी रहेगी; अरुणाचल में अतिरिक्त चौकियां बनाएगी ITBP

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चीन के साथ 17वें दौर की बातचीत के बाद साफ हो गया है कि वह सीमा विवाद पर तनाव कम करने का इच्छुक नहीं है। नतीजतन भारतीय सेना अभी दोनों देशों की 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर डटी रहेगी। यह लगातार तीसरी सर्दी है, जब दोनों सेनाएं आमने-सामने हैं। हालांकि, इस बार तैनाती सबसे बड़ी है।

गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस समय चीन के लगभग 2 लाख सैनिक एलएसी पर तैयार हैं। भारतीय सेना और आईटीबीपी के भी लगभग इतने ही जवान तैनात हैं। पहली बार यह भी हो रहा है कि चीन ने भारी मात्रा में हथियार जमा किए हैं। इसमें भारत भी पीछे नहीं है। जो हथियार एलएसी पर तैनात हैं, उनमें कई तरह के टैंक, रॉकेट लॉन्चर, मल्टी ग्रेनेड लॉन्चर, अंडर बैरल लॉन्चर, असॉल्ट राइफल्स आदि शामिल हैं।

भारत में दिया हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे खरीदने का ऑर्डर
भारत में हाल ही में 17 हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे खरीदने का भी ऑर्डर दिया है। इन कैमरों से चीन पर बारीकी से नजर रखी जा सकेगी। ये कैमरे आईटीबीपी को दिए जाएंगे। आईटीबीपी चीन सीमा पर 9000 से 18,000 फीट की ऊंचाई पर तैनात है।

सूत्रों का कहना है कि दोनों पक्षों के बीच विवादित सीमा पर अंतर काफी कम रह गया है। कई जगह तो चीनी सेना सिर्फ 500 फीट की दूरी पर तैनात है। चीन के पक्के स्ट्रक्चर्स देखते हुए भारत ने रणनीति में खासा बदलाव किया है।

भारत भी अपने सैनिकों के लिए पक्के स्ट्रक्चर्स और अन्य आधारभूत सुविधाएं तेजी से जुटा रहा है।

विदेश मंत्रालय के एक अफसर का कहना है कि भारत-चीन के बीच कोई बड़ा विवाद फिलहाल नहीं दिख रहा है, लेकिन हम अपनी तैयारी से पीछे नहीं हट सकते। चीन की मंशा सिर्फ क्षेत्र में अपना प्रभुत्व दिखाने की है।

अरुणाचल में अतिरिक्त चौकियां बनाएगी ITBP
तवांग सेक्टर में 9 दिसंबर को हुई झड़प को देखते हुए आईटीबीपी ने अरुणाचल प्रदेश में विवादित क्षेत्रों के पास अतिरिक्त चौकियां बनाने का फैसला लिया है। यांगत्से के 17,000 फीट ऊंची चोटी पर अतिरिक्त जवान तैनात किए गए जाएंगे, जहां चीनी सैनिकों ने घुसकर तोड़फोड़ की कोशिश की थी। चीन की चालबाजियों को देखते हुए आईटीबीपी के 90 हजार जवान पहले से ही विभिन्न सेक्टरों में तैनात हैं।

चीन ने सारे समझौते नकारे
चीन ने विवादित सीमा पर शांति बहाली को लेकर भारत के साथ 1997 के बाद हुई लगभग सारी सहमतियां नकार दीं। इनमें 2013 में हुई वह समिति भी शामिल है, जो मौजूदा विदेश मंत्री एस. जयशंकर के विदेश सचिव रहते हुए बनी थी। इसमें साफ कहा गया था कि-

  • दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ न तो कोई भड़काऊ कार्रवाई करेंगे और न ही बल प्रयोग करेंगे। यहां तक की किसी तरह की कोई धमकी भी नहीं देंगे।
  • दोनों पक्ष एक-दूसरे के सामने आने पर एक दूसरे का पीछा नहीं करेंगे और न ही टेल-पेट्रोलिंग करेंगे, मतलब एक-दूसरे का पीछा नहीं करेंगे।
  • जहां नियंत्रण रेखा अस्पष्ट है, वहीं पर संदिग्ध गतिविधि होने पर एक दूसरे से स्पष्टीकरण मांगा जा सकेगा। इसका उत्तर एक प्रक्रिया के तहत ही मिलेगा।
  • सूत्रों का कहना है कि चीन ने लगातार इस समझौते को तोड़ा है। ऐसे में भारत के पास अपनी स्थिति मजबूत करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

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