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प्रधानमंत्री 10 जून को गुजरात के एस्टोल परियोजना का उद्घाटन करेंगे

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Astole project valsad

वलसाड़ के पहाड़ी इलाकों में 1875 फीट की ऊंचाई पर पहुंचाया जाएगा पानी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार 10 जून को अपने गुजरात दौरे में एस्टोल परियोजना का उद्घाटन करेंगे। 586 करोड़ रुपये की यह परियोजना वलसाड के भीतरी आदिवासी इलाकों के 174 गांवों और 1028 बस्तियों में रहने वाले साढ़े चार लाख लोगों के जीवन में नया बदलाव लाएगी।

गुजरात को सितंबर 2022 तक सौ फीसदी नल से जल आपूर्ति वाला राज्य घोषित करने का लक्ष्य है, जिसमें अब तक 95.91 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 जून को प्रस्तावित गुजरात दौरे में कई बड़ी परियोजनाएं जनता को समर्पित करेंगे जिसमें एक महत्वाकांक्षी एस्टोल परियोजना भी है।

गुजरात सरकार के इस अहम प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा, ‘वलसाड जिले के धरमपुर और कपराड़ा इलाके में एस्टोल प्रोजेक्ट को पूरा करना हमारे लिए एक बड़ी यह परियोजना चुनौती थी लेकिन खुशी है कि हमारे इंजीनियरों ने इस चुनौतीपूर्ण कार्य को पूरा किया। इंजीनियरिंग की दृष्टि से भी एस्टोल परियोजना बड़ी उपलब्धि है। इस पहाड़ी क्षेत्र में लगभग 200 मंजिल (1875 फीट) की ऊंचाई तक उठाकर पानी को वितरित करना संभव बनाया गया है।’

धरमपुर और कपराडा के आदिवासी क्षेत्रों की भौगोलिक संरचना ऐसी है कि वहां न तो बारिश का पानी जमा किया जा सकता है और न ही भूजल की स्थिति अच्छी है। यहां की अधिकांश भूमि पथरीली है। इससे यहां के जलाशय मानसून के थोड़े समय बाद पूरी तरह सूख जाते हैं। वर्ष 2018 में रु. 586.16 करोड़ के रुपये की लागत से राज्य सरकार ने इस पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एस्टोल परियोजना शुरू की।

मधुबन बांध (सकल क्षमता 567 मिलियन क्यूबिक मीटर) से पानी पंपिंग स्टेशन (लिफ्ट तकनीक) से ऊपर ले जाने और लोगों के घरों तक पानी पहुंचाने की योजना है।

इस परियोजना के तहत 8 मेगावाट वोल्ट एम्पीयर (एमवीए) की क्षमता वाले 28 पंपिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं, जिसके माध्यम से प्रतिदिन लगभग 75 मिलियन लीटर पेयजल 4.50 लाख लोगों तक पहुँचाया जाएगा।

इस परियोजना के तहत छोटी बस्तियों में पानी की आपूर्ति के लिए 81 किमी पंपिंग लाइन, 855 किमी वितरण लाइन और 340 किमी लंबी पाइपलाइन बिछाई गई है।

प्रतिदिन 66 मिलियन लीटर पानी की कुल क्षमता के साथ शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए दो फिल्टर प्लांट (प्रत्येक की क्षमता 33 मिलियन लीटर प्रति दिन पानी) की स्थापना।

इन क्षेत्रों में पानी के भंडारण के लिए 6 6 हाई टैंक (0.47 करोड़ लीटर की क्षमता), 28 अंडरग्राउंड टैंक (7.7 करोड़ लीटर की क्षमता) और 1202 ग्राउंड लेवल टैंक (4.4 करोड़ लीटर की क्षमता) का निर्माण किया गया है। पाइपलाइन बिछाने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया।

यहां की जमीन की संरचना के हिसाब से पाइप लाइन बिछाई गई है, जो या तो ऊंची है या नीची। इस वजह से इन पाइपों में पानी का दबाव कुछ जगहों पर सामान्य होता है, कुछ जगहों पर पानी का दबाव सामान्य से बहुत अधिक (40 प्रति किलो सेंटीमीटर वर्ग) होता है। यह दबाव इतना अधिक होता है कि इससे पाइप लाइनों को काफी नुकसान हो सकता है।

इन सभी समस्याओं का समाधान मुख्य पाइप के अंदर 12 मिमी मोटे हल्के स्टील पाइप का उपयोग किया है ताकि मुख्य पाइप को टूटने से बचाया जा सके।

इंजीनियरिंग के लिहाज से एस्टोल प्रोजेक्ट को काफी अहम माना जा सकता है। क्योंकि इस परियोजना के तहत मधुबन बांध से धरमपुर के 50 गांवों और कपराड़ा के 124 गांवों (कुल मिलाकर 174 गांव) तक करीब 200 मंजिला (लिफ्ट तकनीक) की ऊंचाई तक पानी पंप किया जाएगा। यह पहली बार है जब मधुबन बांध के पानी को पीने के पानी के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। पहले इस बांध का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता था। हालांकि पीने के पानी के साथ बांध के पानी का इस्तेमाल पहले की तरह सिंचाई के लिए होता रहेगा।

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