दरवाजे पर बॉल बांधकर प्रैक्टिस की। अंडर-16 चैलेंजर ट्रोफी के लिए पार्टिसिपेट किया। अच्छी परफॉर्मेंस नहीं होने के कारण सिलेक्शन नहीं हुआ। अंडर-19 वर्ल्ड कप में सिलेक्शन हुआ, लेकिन पासपोर्ट में दिक्कत होने से नहीं जा सका। आखिर लगातार प्रैक्टिस के बाद आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स ने 20 लाख में खरीदा। ये कहानी है कोटा के कुणाल राठौड़ की।
आईपीएल में सिलेक्शन के बाद भास्कर कुणाल राठौड़ के घर पहुंचा। पढ़िए- कुणाल के यहां तक पहुंचने के संघर्ष की कहानी…।
भाई को खेलता देख क्रिकेट का जुनून सवार हुआ
कुणाल के पिता अजय सिंह आईएमटीआई में प्रोग्रामर हैं। दो बेटे हैं। पत्नी कोआपरेटिव बैंक में काम करती हैं। बड़ा बेटा दीक्षांत सिंह बीटेक कर चुका है। अभी एमबीए कर रहा है। अजय सिंह ने बताया कि कुणाल ने 10 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया था। उसका बड़ा भाई दीक्षांत ग्राउंड पर क्रिकेट खेलने जाता था। कुणाल साथ जाने की जिद करता था। दोनों को ग्राउंड पर ले जाना पड़ता था। कुणाल के क्रिकेट के प्रति जुनून को देखते हुए बाद में ऑटो लगाना पड़ा।
पिता ने बताया- 16 साल की उम्र में कुणाल की काबिलियत का पता लगा। उसे जयपुर में RCA की ट्रायल दिलाई। तीनों राउंड पास किए। मेडिकल टेस्ट भी दिया। इसके बाद उसने अंडर-16 चैलेंजर में पार्टिसिपेट किया। अच्छी परफॉर्मेंस नहीं होने के कारण उसका सिलेक्शन नहीं हुआ। फिर कुछ समय बाद उसने अंडर-19 चैलेंजर में भाग लिया। उसके जबरदस्त प्रदर्शन से सलेक्शन हुआ। फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वो सैयद मुश्ताक ट्रॉफी, विजय हरारे ट्रॉफी समेत कई टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन के बलबूते अपनी काबिलियत का लोहा मनवा चुका।
अजय सिंह ने बताया- साल 2021 में इंडिया चैलेंजर टूर्नामेंट में राजस्थान से 6 खिलाड़ियों सिलेक्शन हुआ। इसमें कुणाल भी शामिल था। इंडिया चैलेंज में बेहतर प्रदर्शन के बलबूते उसका सिलेक्शन इंडिया की अंडर-19 वर्ल्ड कप की टीम में हुआ। जनवरी 2022 में वेस्टइंडीज में टूर्नामेंट खेलने जाना था, लेकिन पासपोर्ट का इश्यू होने के कारण वह वेस्टइंडीज नहीं जा सका। इससे उसे काफी दुख हुआ।
दरवाजे पर गेंद बांधकर मारता था
मां निर्माला सिंह ने बताया- कुणाल को खेल में रुचि थी। शुरू से ही क्रिकेट खेलने का सपना था। शुरुआत में प्लास्टिक के बैट से खेलता था। बचपन में दरवाजे पर बॉल को बांध देता था। उस पर बेट से मारता रहता था। कई बार तो रात 12 बजे तक भी खेलता रहता था। डांट भी खाता था, लेकिन शरारती था तो अच्छा भी लगता था। उसके पापा भी खेला करते थे। ये ब्लड में ही था। इसलिए उसे कभी नहीं रोका। जल्द से इंडिया टीम से खेले ऐसा सपना है।
दादी की आंखों में खुशी के आंसू झलके
कुणाल की दादी विद्यारानी के बात करते करते आंखों में खुशी के आंसू झलक आए। उन्होंने कहा- पोते ने नाम रोशन कर दिया। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि जो लड़का मोजे में गेंद बांधकर खेलता था। अब वो राजस्थान टीम की तरफ से खेलेगा। बचपन में मुझे बैट पकड़ा देता था। खुद बॉल लेकर खड़ा रहता था। मुझे बहुत अच्छा लगता था। यह बहुत आगे बढ़ेगा अब मैं उसे टीवी में देखूंगी।
उसे कभी आउट नहीं कर सका
भाई दीक्षांत ने बताया- बचपन में दोनों भाइयों में बहुत झगड़े हुए। मैं आज दिन तक उसे आउट नहीं कर पाया। वह हमेशा से बहुत जिद्दी था। सर्दी, गर्मी और बरसात में भी वह प्रैक्टिस के लिए ग्राउंड पर चला जाता था। मुझे पता था वह कभी न कभी आगे जरूर बढ़ेगा। उसे कोई रोक नहीं सकता। जब उससे परफॉर्म नहीं हो पाता था तो थोड़ा डिप्रेशन में आ जाता था। उस दौरान मैं उससे बात करता था, उसे समझाता था कि हर बड़े खिलाड़ी के साथ ऐसा समय आता है। तू हार मत मान, बस खेलता रहे। कल उसके ग्राउंड पर भी गया था। रणजी मैच चल रहा था। उसको पता नहीं था मैं वहां हूं। उसने अच्छी बैटिंग की और 75 रन बन बनाएं। बाद में मम्मी ने उसे फोन कर बताया कि दादा भी वहां आया है।
विकेटकीपर भी है कुणाल
कुणाल सैयद मुश्ताक ट्रॉफी, विजय हरारे ट्रॉफी समेत कई टूर्नामेंट में अपना टैलेंट दिखा चुके हैं। कुणाल विकेटकीपर हैं। बाएं हाथ से बल्लेबाजी करते हैं। अभी रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट में खेल रहे हैं। उसमें भी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। राजस्थान रॉयल द्वारा खरीदे जाने के बाद उनके घर बधाई देने वालों का तांता लगा है। लोग फोन पर भी बधाईयां दे रहे हैं। परिजन भी अपने बेटे पर गर्व कर रहे है।
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