आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य जयंत आर वर्मा का कहना है कि अर्थव्यवस्था अत्यंत नाजुक स्थिति में है। विकास दर उम्मीद से कम रह सकती है, इसलिए अर्थव्यवस्था को अभी पूरा समर्थन देने की जरूरत है।
पिछली एमपीसी बैठक में ब्याज दर बढ़ाने के खिलाफ मतदान करने वाले वर्मा ने शुक्रवार को कहा, देश की आर्थिक वृद्धि इसलिए कमजोर बनी हुई है क्योंकि निजी खपत और पूंजी निवेश ने रफ्तार नहीं पकड़ी है। इसके अलावा, भारत के साथ जनसांख्यिकीय लाभ है। ऐसे में युवाओं को रोजगार देने के लिए ऊंची वृद्धि की जरूरत है। मुझे इस बात की आशंका नहीं है कि भारत बाकी दुनिया से धीमी गति से बढ़ेगा। आशंका यह है कि हम अपनी आकांक्षाओं के हिसाब से वृद्धि हासिल नहीं कर पाएंगे। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर अनुमान को 7% से घटाकर 6.8% कर दिया है।
जीडीपी के चार इंजन…जिसमें दो की रफ्तार सुस्त
वर्मा ने कहा, अर्थव्यवथा को आगे बढ़ाने के चार इंजन निर्यात, सरकारी खर्च, पूंजी निवेश और निजी खपत हैं। इनमें दो इंजन निर्यात व सरकारी खर्च ने महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने में मदद की। लेकिन, दो इंजन पूंजी निवेश और निजी खपत की रफ्तार सुस्त है। इसलिए सरकार को इन इंजनों के ‘बैटन’ अपने हाथ में लेने की जरूरत है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती से निर्यात वृद्धि का मुख्य कारक नहीं रह सकता। सरकारी खर्च भी राजकोषीय दिक्कतों की वजह से सीमित है।
हमारे सामने मंदी का जोखिम नहीं…
वर्मा ने कहा, भविष्य की वृद्धि को लेकर चिंता से पूंजी निवेश प्रभावित हो रहा है। महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या आगामी महीनों में दबी मांग ठंडी पड़ने के बाद चौथे इंजन यानी निजी खपत की तेजी जारी रहेगी। अन्य देशों की तरह भारत में मंदी का जोखिम नहीं है क्योंकि हमारा प्रदर्शन बड़े देशों से बेहतर है।