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अब आदेश टाइप करने वाली 97 साल की महिला को मिली सजा, पढ़ें खौफनाक किस्सा

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1943 में वो लड़की 18 साल की थी, जब उसने नाजियों के साथ काम करना शुरू किया। उसके लिए ये सिर्फ एक नौकरी थी कोई गुनाह नहीं था। उसका काम सिर्फ सेक्रेटरी बनकर अपने कमांडरों के आदेशों को टाइप करना था।

79 साल बाद 20 दिसंबर 2022 को उसे वही आदेश टाइप करने के लिए सजा मिली है। जर्मनी की एक कोर्ट ने व्हील चेयर पर आई 97 साल की एक जर्मन महिला को 10,500 से ज्यादा यहूदियों की हत्या का दोषी पाया है। कोर्ट ने माना है कि वो अपने कमांडरों के साथ इन लोगों की हत्या करने में शामिल थी।

जर्मनी में यह पहला ऐसा मामला नहीं है जब किसी 80 से अधिक उम्र वाले इंसान को बेगुनाह यहूदियों की हत्या का जिम्मेदार ठहराया गया हो। पिछले कई सालों से जर्मनी कई नाजी बुजुर्गों को सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान किए गए गुनाहों की सजा दे रहा है। इस पर कई तरह के सवाल उठाए जा चुके हैं। इस स्टोरी में हम जानेंगे की ऐसा क्यों हो रहा है?

ट्रायल के दौरान व्हीलचेयर पर पहुंची 97 साल की इर्मगार्ड फर्चनर
ट्रायल के दौरान व्हीलचेयर पर पहुंची 97 साल की इर्मगार्ड फर्चनर

पहले पूरा मामला पढ़ें
जर्मनी के इट्जहो कस्बे की कोर्ट ने 97 साल की इर्मगार्ड फर्चनर नाम की महिला को नाजियों के यातना शिविर में 10 हजार से ज्यादा लोगों की हत्या का दोषी पाया है। इस अपराध के लिए उसे 2 साल की सजा मिली है। कोर्ट के प्रवक्ता के मुताबिक 1943 में जब फर्चनर 18 साल की थी तो उसने नाजी सेना के लिए ‘स्टुथऑफ’ नाम के यातना शिविर में टाइपिस्ट की नौकरी की थी। नौकरी करने के दौरान वो यातना शिविर में क्रूरता से मारे जाने वाले लोगों की कागजी कार्रवाई करती थी। कोर्ट के मुताबिक यह काम लोगों को मौत के करीब पहुंचाने के लिए अहम था। इसलिए उसे दोषी मानकर कोर्ट से सजा सुनाई है।

यातना शिविर में जहरीले इंजेक्शन लगाकर दी जाती थी मौत
रिपोर्ट्स के मुताबिक जिस यातना शिविर में द्वीतीय विश्व युद्ध के दौरान फर्चनर काम करती थी उसमें 60 हजार लोगों की मौत हुई थी। नाजी सेना इन लोगों को क्रूर और निर्दयी तरीकों से मारती थे। कुछ लोगों को भागने को कहा जाता फिर पीछे से उन्हें गोली मार दी जाती। कुछ को गैसोलीन और जहरीले फिनोल के इंजेक्शन दिए जाते। वहीं कुछ लोगों को बिना कपड़ों के ठंड में तड़पते हुए छोड़ दिया जाता था।

वर्ल्ड वॉर 2 खत्म होने के बाद जिंदा बचे यहूदी जश्न मनाते हुए
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10,500 से ज्यादा यहूदियों की हत्या के दोषी को केवल 2 साल की सजा क्यों?
कोर्ट का कहना है कि जिस समय फर्चनर ने यह अपराध किया उस समय वो नाबालिग थी। इसलिए उनकी सजा जुविनाइल कानून के मुताबिक तय की गई है। फर्चनर ने 1943 से 1945 तक नाजी अफसरों के साथ काम किया।

फर्चनर के वकील ने कोर्ट में कहा था कि उनके खिलाफ जो सुबूत पेश किए गए हैं उनसे साबित नहीं होता कि वो उन लोगों को मारने की या उस तरह के कामों में शामिल होने की इच्छा रखती थी।

अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक वकील की इस दलील पर कोर्ट ने कहा कि महिला को उन आदेशों के लिए सजा दी गई है जो उसने यातना शिविर के कमांडर के लिए टाइप किए थे। जिन आदेशों का पालन करते हुए हजारों लोगों की जान गई। स्टेट प्रासिक्यूटर मैक्सी वांटजेन ने कहा कि लोगों को लगता है कि फर्चनर सिर्फ एक सैक्रेटरी थी, लेकिन उस दौरान पूरे प्रशासन में उस पद पर होना भी काफी महत्वपूर्ण था।

पिछले साल फर्चनर ट्रायल से पहले भाग गई थी। कोर्ट में उनके नाम के साथ खाली कुर्सी को देखा जा सकता है।

पिछले साल की थी ट्रायल से भागने की कोशिश
सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन पिछले साल 96 साल की फर्चनर ने कोर्ट के ट्रायल से बचने के लिए भागने की कोशिश की थी। कोर्ट के प्रवक्ता ने बताया था कि उनके भागने की वजह से ट्रायल में कुछ दिनों की देरी हुई थी।

फर्चनर ट्रायल वाले दिन सुबह होते ही टैक्सी लेकर किसी अनजान जगह पर चली गई थी। जिसके बाद उनके खिलाफ एक अरेस्ट वारेंट जारी किया गया था। भागने की जानकारी होने के कुछ देर बाद ही पुलिस ने उन्हें ढूंढ निकाला था।

फर्चनर और उनके पूरे मामले को लेकर एक दिलचस्प बात यह भी है कि उनकी गवाही से ही 1950 के दशक में एक नाजी कमांडर को सजा मिली थी। दरअसल पश्चिम जर्मनी की एक कोर्ट में इस महिला ने हिटलर के एक कमांडर के खिलाफ गवाही दी थी, जिस पर लाखों बेगुनाह लोगों की हत्या करने का आरोप था। अजीब बात ये रही की सीधे गुनाह में शामिल होने के बावजूद उस कमांडर को केवल 9 साल की सजा मिली।

पिछले साल जर्मनी के ब्रैंडनबर्ग में 100 साल के व्यक्ति को 3518 बेगुनाह यहूदियों की हत्या का दोषी पाया था। ये हिटलर के यातना शिविर में गार्ड की नौकरी करते थे।
पिछले साल जर्मनी के ब्रैंडनबर्ग में 100 साल के व्यक्ति को 3518 बेगुनाह यहूदियों की हत्या का दोषी पाया था। ये हिटलर के यातना शिविर में गार्ड की नौकरी करते थे।

बूढ़े नाजियों को क्यों सजा देता है जर्मनी
97 साल की फर्चनर से पहले भी जर्मनी ने कई बुजुर्ग नाजियों को सेकेंड वर्ल्ड वॉर के समय किए गए उनके गुनाहों की सजा बुढ़ापे में दी है। द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक अपने ट्रायल से पहले फर्चनर ने जजों को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि मैं शर्मिंदगी से बचना चाहती हूं। मुझे दुनिया के सामने हंसी का पात्र नहीं बनना। सीनियर रिसर्चर के मुताबिक इसी शर्मिंदगी का अहसास कराने के लिए जर्मनी में बूढ़े हो चुके नाजियों को सजा दी जाती है।

फर्चनर से पहले सजा पाने वाले बुजुर्ग नाजी
ऑशविट्ज़ के यातना शिविर में अकाउंटेंट का काम करने वाले 94 साल के ऑस्कर ग्रोएनिंग को 3 लाख लोगों की मौत का जिम्मेदार बताया था।

95 साल के ह्युबर्ट जाफके को भी जर्मनी ने 3681 लोगों की हत्या का दोषी पाया था। वो ऑशविट्ज के यातना शिविर में मेडिकल अटेंडेंट थे।

94 साल के रीनहोल्ड हैनिंग ऑशविट्ज के कैंप में गार्ड थे, जिसे 1 लाख 70 हजार लोगों की मौत का दोषी पाया गया था।

93 साल की गार्ड ब्रुनो डे को जर्मनी ने 5230 लोगों की हत्या का दोषी पाया था।

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