इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) एवं संघटक महाविद्यालयों की स्नातक तृतीय वर्ष की ऑनलाइन परीक्षा छात्रों के साथ इविवि प्रशासन के सिर के लिए भी सिर का बवाल बन गई है। लगातार दूसरे दिन सर्वर ने धोखा दे दिया। सवाल जहां के तहां अटके रहे। परीक्षार्थी सीधे इविवि के परीक्षा नियंत्रक कार्यालय पहुंच गए और हंगामा शुरू कर दिया। हंगामा बढ़ने पर परीक्षा नियंत्रक को छात्र-छात्राओं के बीच आकर आश्वासन देना पड़ा कि परीक्षा दोबारा कराई जाएगी।
बुधवार को सुबह नौ बजे से स्नातक तृतीय वर्ष संस्कृत, अरबी, फारसी के द्वितीय प्रश्नपत्र की परीक्षा थी। लॉग इन टाइम सुबह 8.30 बजे निर्धारित किया गया था। परीक्षार्थियों ने लॉग इन तो कर लिया, लेकिन नौ बजे जैसे ही परीक्षा शुरू हुई, सर्वर ने धोखा दे दिया और सबकुछ ठप हो गया। मोबाइल फोन पर परीक्षा दे रहे परीक्षार्थी सीधे परीक्षा नियंत्रक कार्यालय पहुंचे। कई परीक्षार्थियों ने हेल्पलाइन नंबरों पर भी संपर्क किया। तीन घंटे तक छात्र परीक्षा नियंत्रक कार्यालय पर डटे रहे। बीच-बीच में नारेबाजी भी होती रही।
दोपहर 12.30 बजे के करीब छात्र नेता अजय यादव सम्राट के नेतृत्व में कुछ छात्र परीक्षा नियंत्रक एके कनौजिया से मिलने पहुंचे। परीक्षा नियंत्रक ने आश्वासन दिया कि छात्रों का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। परीक्षा दोबारा कराई जाएगी, लेकिन दफ्तर के बाहर मौजूद परीक्षा चाहते थे कि परीक्षा नियंत्रक उनके बीच आकर स्थिति स्पष्ट करें। परीक्षार्थी अड़े रहे, सो परीक्षा नियंत्रक को उनके बीच आना पड़ा और उन्होंने स्पष्ट किया कि परीक्षा दोबारा कराई जाएगी।
‘आठ जून को सुबह नौ बजे से स्नातक तृतीय वर्ष की संस्कृत, अरबी, फारसी की परीक्षा थी। कुछ छात्र-छात्राओं की परीक्षा सर्वर में तकनीकी खराबी के कारण संपन्न नहीं हो सकी। इस संबंध में छात्रहित को देखते हुए निर्णय की सूचना जल्द ही विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर दी जाएगी।’ एके कनौजिया, परीक्षा नियंत्रक
अपनी समस्या लेकर परीक्षा नियंत्रक कार्यालय पहुंचीं स्नातक तृतीय वर्ष संस्कृत की छात्रा रसिका त्रिपाठी ने बताया कि सर्वर इतना धीमा था कि एक सवाल का जवाब देने के बाद अगले सवाल तक पहुंचने में 53 मिनट का वक्त लगा। छात्रा पूजा यादव ने आठ सवालों के जवाब दिए और फिर सर्वर की खराबी के कारण अपने आप लॉग आउट हो गईं। छात्र गोलू और बृजमोहन ने जैसे-तैसे लॉग इन किया, लेकिन सुबह नौ बजे परीक्षा जैसे ही शुरू हुई, मोबाइल स्क्रीन पर पहला प्रश्न देखने के लिए 45 मिनट तक इंतजार करना पड़ा, जबकि छात्रों को वस्तुनिष्ठ प्रकार के सवाल का जवाब देने के लिए दो मिनट का वक्त दिया गया था। कुल 75 सवाल थे और ढाई घंटे का वक्त था। छात्र प्रकाश तिवारी ने बताया कि डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद मोबाइल पर प्रश्नपत्र दिखा और एक सवाल का सही विकल्प चुनने के बाद सेव एंड नेक्स को क्लिक करके दूसरे प्रश्न तक पहुंचने में आधे घंटे का समय बीत गया। ऐसे में दो घंटे का वक्त तो एक ही सवाल पर बीत गया।
छात्रों ने ऑनलाइन परीक्षा कराने वाली एजेंसी के चयन भी सवाल उठाए हैं। छात्र नेता अजय यादव सम्राट और एबीवीपी प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य अमर सिंह ने परीक्षा नियंत्रक से पूछा कि जब पहले से तय था कि परीक्षा के कितने परीक्षार्थी शामिल होंगे तो एजेंसी ने उस हिसाब से तैयारी क्यों नहीं की? छात्रों को हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा? अगर बृहस्पतिवार को भी ऑनलाइन परीक्षा की यही हालत रही तो परीक्षा पूरी होने का इंतजार कब तक करना होगा? हालांकि उन्हें इन सवालों का जवाब नहीं मिला। वहीं, कुछ अन्य छात्रों ने एजेंसी का चयन निरस्त करने की मांग की। हालांकि, ऐसा हुआ तो इससे पूरी परीक्षा पर संकट आ जाएगा और परीक्षा नए सिरे से करानी होगी।प्रवेश परीक्षा की तैयारी भी प्रभावित
परीक्षा नियंत्रक कार्यालय पहुंचे स्नातक तृतीय वर्ष संस्कृत के छात्र विश्वजीत प्रताप सिंह, सुमित वर्ता, अनूप सिंह और अंकुर पटेल यह जानना चाहते थे कि तकनीकी गड़बड़ी के कारण जो परीक्षाएं नहीं हो सकीं, वे दोबारा कब कराई जाएंगी। हालांकि, परीक्षा नियंत्रक कार्यालय से उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। इन छात्रों ने अन्य विश्वविद्यालय में पीजी प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन कर रख हैं। जुलाई के पहले सप्ताह में बीएड प्रवेश परीक्षा भी है। छात्र परेशान हैं कि वार्षिक परीक्षा की समस्या से जूझें या प्रवेश परीक्षा की तैयारी करें।