प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों में बॉन्ड के तहत ड्यूटी ज्वाइन नहीं करने वाले चिकित्सा विशेषज्ञों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। इस संबंध में महानिदेशालय ने संबंधित चिकित्सा संस्थानों और कॉलेजों को निर्देश दिया है।
चिकित्सा संस्थानों व मेडिकल कॉलेजों में डीएम-एमसीएच की डिग्री हासिल करने वाले चिकित्सा विशेषज्ञोंं को बॉन्ड के तहत दो साल ड्यूटी करना होता है। ड्यूटी नहीं करने के बदले उन्हें एक करोड़ रुपया शासन में जमा करना होगा।
बॉन्ड के तहत वर्ष 2018 बैच के डीएम-एमसीएच कोर्स पूरा करने वालों को काउंसिलिंग के जरिए वर्ष 2021 में मेडिकल कॉलेजों में बने सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में तैनाती दी गई। इस बीच एसजीपीजीआई लखनऊ, एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज मेरठ व एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज से एक-एक चिकित्सा विशेषज्ञ गायब हो गए। ये तीनों निजी अस्पतालों में प्रैक्टिस भी कर रहे हैं। अब इन तीनों विशेषज्ञों के खिलाफ एफआईआर कराने का निर्देश दिया गया है।
वहीं, महानिदेशालय ने सभी चिकित्सा संस्थानों एवं मेडिकल कॉलेजों को पत्र भेजकर वर्ष 2022 बैच में बॉन्ड के तहत विभिन्न कॉलेजों में भेजे गए चिकित्सा विशेषज्ञों के बारे में जानकारी मांगी है।
कॉलेजों से पूछा गया हैकि उनके यहां संबंधित विशेषज्ञ ने कार्यभार ग्रहण किया अथवा नहीं। साथ ही संबंधित कॉलेज की सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं शुरू करने के संबंध में भी जानकारी मांगी गई है। गौरतलब है कि डीएम-एमसीएच की डिग्री पूरी करने वाले करीब 130 चिकित्सा विशेषज्ञों को असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर अलग-अलग कॉलेजों में भेजा गया है।