उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नाबालिग किशोरी के गर्भपात की अनुमति देते हुए मेडिकल बोर्ड टीम बनाने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने गर्भपात एक्सपर्ट डॉक्टरों के पैनल की देखरेख में कराने की बात भी कही है। अगली सुनवाई नौ दिसंबर को होगी।
13 वर्षीय किशोरी के पिता और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें यौन उत्पीड़न के बाद गर्भावस्था की स्थिति के समाधान के लिए देहरादून के सीएमओ, दून चिकित्सा अस्पताल को निर्देश देने की प्रार्थना की थी। हाईकोर्ट के समक्ष पिता, पीड़ित पुत्री वर्चुअली उपस्थित हुए।
कोर्ट को बताया कि किशोरी को 25 हफ्ते का गर्भ है। हाईकोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की ओर से ऐसे कुछ मामलों में अनुमति देने के बाद इस याचिका में भी अनुमति दी। न्यायालय ने अधिकारियों को एक मेडिकल बोर्ड का गठन कर संवेदनशीलता से कार्य करने के लिए कहा।
कोर्ट ने देहरादून अस्पताल की प्रमुख डॉ. चित्रा जोशी से किसी भी क्रिटिकल स्थिति में अपने विवेक से काम लेने के लिए भी कहा है। न्यायालय ने 1971 के मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट का हवाला देते हुए गर्भपात के लिए दी गई समय सीमा पर भी गौर करते हुए ये निर्णय लिया। न्यायालय ने मेडिकल बोर्ड से कहा कि किशोरी के पिता से लिखित में कंसेंट (अनुमति) ले ली जाए, इसमें न्यायालय में वर्चुअली दी गई अनुमति का भी जिक्र किया जाए।