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नगर निगम में पहली साल महिला मेयर बनना तय, चुनाव आयोग जल्द जारी करेगा अधिसूचना

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दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक पहले साल महिला मेयर का पद आरक्षित है। इसके अलावा तीसरे साल अनुसूचित जाति का मेयर का पद आरक्षित है। बाकी के तीन सालों में कोई भी पार्षद मेयर के लिए चुनाव लड़ सकता है। अब देखना ये होगा कि महिला मेयर आम आदमी पार्टी की ही होती हैं या फिर किसी अन्य दल की, क्योंकि भाजपा नेतृत्व की मानें तो उनकी पार्टी से भी किसी महिला को मेयर बनने की पूरी संभावना है।

दिल्ली में मेयर का चुनाव सीधे तौर पर नहीं होता। पार्षद ही मेयर को चुनते हैं। एमसीडी में जीत कर आई पार्टी का कार्यकाल पांच साल का होगा, लेकिन हर साल दिल्ली में मेयर का कार्यकाल एक साल के लिए होता है। हर साल अप्रैल में पहली बैठक में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होता है। सदन की पहली बैठक के बाद मेयर के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होती है। फिर नामांकन और इसके बाद पार्षद मेयर का चुनाव करते हैं। हो सकता है कि इस बार पहले मेयर का कार्यकाल छोटा होगा, क्योंकि अप्रैल में फिर से मेयर का चुनाव हो सकता है।

जल्द चुनाव आयोग जारी करेगा अधिसूचना
एक दो दिन के भीतर चुनाव आयोग उपराज्यपाल को नतीजों की अधिसूचना की कॉपी भेजेगा। इसके बाद उपराज्यपाल केंद्र सरकार के पास उस अधिसूचना की कॉपी भेजकर निगम के पुनर्गठन की मांग करेंगे। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से गठन की अधिसूचना जारी की जाएगी। फिर उपराज्यपाल की अनुमति से ही अगले 10-15 दिन के भीतर एमसीडी का चुनाव जीतकर आए सदस्यों का शपथ ग्रहण समारोह होगा। साथ ही मेयर, डिप्टी मेयर व स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव की अधिसूचना जारी होगी। एक निश्चित अवधि के भीतर मेयर पद के चुनाव के लिए नामांकन भरे जाएंगे।
सबसे वरिष्ठ सदस्य को चुना जाएगा प्रोटेम स्पीकर

मेयर का चुनाव कराने के लिए जीतकर आए सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाएगा। एमसीडी का चुनाव जीतकर आए सदस्यों में मुकेश गोयल सबसे वरिष्ठ हैं। उन्हें ही प्रोटेम बनाए जाने की संभावना है। प्रोटेम ही सदस्यों को शपथ दिलवाएंगे। फिर मेयर का चुनाव भी वही कराएंगे। चुने गए मेयर डिप्टी मेयर और स्थायी समितियों के सदस्यों का चुनाव कराएंगे। इन सभी संवैधानिक प्रक्रियाओं में करीब महीने भर से अधिक का समय लगने की उम्मीद है।

सबसे अधिक बार जीते गोयल
मुकेश गोयल अभी तक पांच बार के पार्षद हैं। आम आदमी पार्टी में आने से पहले वह कांग्रेस में थे। वह स्थायी समिति के अध्यक्ष, उत्तरी निगम में नेता विपक्ष की भूमिका निभा चुके हैं। 

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