Search
Close this search box.

बिना सोचे समझे लिया गया निर्णय सिस्टम और अदालत के लिए ठीक नहीं, हाईकोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

Share:

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एसपी सिरमौर की कार्यशैली पर तल्ख टिप्पणी की है। खंडपीठ ने अपने आदेशों में कहा कि वह अपना उत्तरदायित्व समझे और कोर्ट के आदेशों के तहत निर्णय लेने में दिमाग लगाए। एसपी की ओर से बिना सोचे समझे लिया गया निर्णय न तो सिस्टम के लिए अच्छा है और न ही इस कोर्ट के लिए।  न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने एसपी सिरमौर को दोबारा न्यायोचित आदेश पारित करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने अपने आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट 8 दिसंबर को तलब की है।  पुलिस भर्ती मामले में हाईकोर्ट ने गत 15 नवंबर को एसपी सिरमौर को आदेश दिए थे कि वह याचिकाकर्ता के मामले में उचित निर्णय लें। याचिकाकर्ता संजय कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 297,34 और 323 के तहत आपराधिक मामला दर्ज है।

इस मामले के कारण एसपी सिरमौर ने उसे कांस्टेबल के पद पर नियुक्ति देने से इनकार कर दिया था। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी। अदालत ने एसपी को आदेश दिए थे कि वह याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज अपराध की गंभीरता और प्रकृति पर विचार करे और उसे नियुक्ति देने के बारे में उचित निर्णय लें। किस अपराध के लिए नियुक्ति रोकी जा सकती है और किसके लिए दी जाए, इस बारे में अदालत ने 18 पेजों का निर्णय सुनाया था। दोबारा वही आदेश पारित करने पर हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे अधिकारी अपने कर्तव्य की जिम्मेदारी निभाएं और विशेष रूप से अदालत के आदेशों के प्रति अपने विवेक का प्रयोग करें।

कर्मचारियों की मांगों पर हाईकोर्ट ने  विप्रो कंपनी से तलब किया जवाब 
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विप्रो कंपनी के कर्मचारियों की मांगों को लेकर दायर याचिका में कंपनी प्रबंधन से जवाब तलब किया है। विप्रो कर्मचारी संघ ने कंपनी प्रबंधन पर प्रताड़ना का लगाया है आरोप लगाया है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 28 दिसंबर को निर्धारित की है। सोलन जिला के बरोटीवाला स्थित विप्रो कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया है कि उन्होंने कंपनी प्रबंधन के समक्ष अपनी मांगे उठाई थी। प्रबंधन की ओर से मांगें न मानने पर संघ ने समझौता अधिकारी के पास आवेदन किया। समझौता न होने पर मामला श्रम अधिकारी को भेजा गया। श्रम अधिकारी ने मामले को श्रम न्यायालय न भेजने के बजाए दोबारा समझौता अधिकारी को भेज दिया। श्रम अधिकारी के इस निर्णय को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है। संघ ने कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि सभी कामगारों को 7,000 रुपये मूल वेतन भत्ता प्रतिमाह दिया जाए। राज्य सरकार की तर्ज पर उन्हें मासिक महंगाई भत्ता दिया जाए। परिवहन भत्ते में 2,000 रुपये प्रतिमाह तक की बढ़ोतरी की जाए। उत्पादन योजना के तहत सभी कामगारों को उत्पादन का 50 फीसदी हिस्सा इनाम के तौर पर दिया जाए। वार्षिक और आकस्मिक अवकाश में बढ़ोतरी, पाली भत्ता, त्योहार भत्ता देने की मांग की है। इसके अलावा मृत्यु राहत योजना में आश्रितों को 10 लाख रुपये दिए जाने की मांग की गई है। 

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news