हिमाचल प्रदेश के आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने एलईडी की रोशनी से बिजली पैदा कर दी है। इस ऊर्जा से घर में इंटरनेट से जुड़े उपकरण चल सकेंगे और बल्ब व टयूब भी जगमगाएंगे। घरेलू एलईडी की रोशनी को बिजली में परिवर्तित करने के लिए वैज्ञानिकों ने सौर ऊर्जा पैनल की तर्ज पर फोटोवोल्टिक मैटीरियल का आविष्कार किया है। यह आविष्कार एलईडी की रोशनी को बिजली में बदलेगा और स्मार्ट होम में (आईओटी) इंटरनेट से जुडे़ उपकरण जैसे सेंसर, गैजेट, वाई-फाई राउटर, आरएफआईडी रीडर आदि कम पावर के होम अप्लाइसेंस चलाए जा सकेंगे।
यह सस्ता और पर्यावरण के लिए सुरक्षित होगा। शोध के निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय सोलर एनर्जी नामक पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि छह एलईडी की 24 घंटे की रोशनी से घर में छह इंटरनेट गैजेट और दो एलईडी बल्ब या ट्यूब चार घंटे तक जगमगा सकेंगे। यह शोध आईआईटी मंडी के डॉ. रणबीर सिंह, डॉ. सतिंदर शर्मा ने किया है। राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (एनआईएसई) गुरुग्राम के डॉ. विक्रांत शर्मा, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा के डॉ. विवेक शुक्ला और नॉर्थ टैक्सस विश्वविद्यालय डेंटन यूएसए के डॉ. मृत्युंजय पराशर की भी इसमें मदद ली गई है। इस शोध में पांच साल का समय लगा है। अब इसका प्रोटोटाइप तैयार किया है।
इसलिए शोध है उपयोगी
घरों में कई आईओटी डिवाइस उपयोग हो रहे हैं, जिसके लिए रीयल-टाइम डेटा चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि आईओटी डिवाइस बिजली आपूर्ति के लिए विद्युत ग्रिड पर निर्भर हुए बिना स्वतंत्र रूप से काम करें। वर्तमान में ऐसे डिवाइस को बिजली आपूर्ति प्राइमरी और सेकेंडरी बैटरी से होती है। बैटरियां सीमित समय के बाद काम बंद कर देती हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार ऐसे डिवाइस को पावर देने के लिए प्रकाश से काम करने वाले पावर जनरेटरों के बेहतर विकल्प बनने की संभावना है।
इस तरह से किया करिश्मा
डॉ. रणबीर बताते हैं कि मिथाइलअमोनियम लेड आयोडाइड (एमएपीबीआई3) पेरोवस्काइट्स मैटीरियल में फॉर्मैमिडीनियम कटायन का समावेश कर फोटोएक्टिव क्वैसी-क्यूबिक स्ट्रक्चर्ड पेरोवस्काइट मैटीरियल का सिंथेसिस किया है। पेरोवस्काइट्स के प्रकाश अवशोषण, मॉर्फोलॉजी, चार्ज ट्रांसपोर्ट और इलेक्ट्रॉन ट्रैप स्टेटस का परीक्षण किया गया और घर के अंदर की रोशनी में डिवाइस की भौतिकी को विस्तार से देखा गया है। फैब्रिकेशन से तैयार पीवी ने घर के अंदर की रोशनी में 34.07 प्रतिशत फोटोइलेक्ट्रिक कन्वर्जन क्षमता का प्रदर्शन किया।