राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में कोई बाधा न पड़े, इसलिए गहलोत सरकार गुर्जरों को मनाने में जुट गई है। राजस्थान सरकार और गुर्जर समाज के बीच दो दौर की बातचीत विफल रही रही है। हालांकि, मंगलवार को हुई वार्ता आठ घंटे तक चली पर वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला।
गुर्जर समाज की तरफ से विजय बैंसला ने गुर्जर नेता को सीएम बनाने सहित कई अन्य मांगें उठाई हैं। मांग नहीं मानने की स्थिति में उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा में विरोध जताने की बात कही। जिसके बाद कांग्रेस ने विजय बैंसला से बातचीत का दौर शुरू कर दिया। राज्य सरकार के मंत्रियों ने मंगलवार को लगातार दूसरे दिन गुर्जर समुदाय के प्रतिनिधिमंडल के साथ उनकी आरक्षण संबंधी और मांगों को लेकर बातचीत की। दो अलग-अलग सत्रों में मंगलवार शाम कई घंटे वार्ता चली लेकिन वार्ता असफल रही। गुर्जर समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को भी बातचीत के लिए आने पर रजामंदी भरी है।
विजय बैंसला मंगलवार तक काफी मुखर होकर विरोध की बात कर रहे थे लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत के बयान के बाद नरम दिखाई दिए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वेणुगोपाल से मुलाकात से पहले मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि यह लोकतंत्र है। सबको अपनी बात रखने का अधिकार है। कोई भी समाज अपनी बात रख सकता है। इस बयान के बाद विजय बैंसला को भी समझ आ गया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को घेरने की उनकी कोशिश कामयाब नहीं होगी। शाम होते-होते जो तस्वीर सामने आई, उसने राजस्थान की सियासी उबाल को फिर एक बार ठंडा कर दिया। विजय बैंसला भी गुर्जर मुख्यमंत्री के सवाल को मजाक में टालते हुए नजर आए। उन्होंने भी अब गुर्जर समाज के मुख्यमंत्री के विषय को साइड करते हुए अपनी आरक्षण की मांग को ही प्राथमिकता देने का फैसला लिया। तीसरी मुलाकात बुधवार को होनी है और विजय बैंसला और उनकी टीम के तेवर को देख कर लगता है कि आज कोई सहमति जरूर बन जाएगी ।
क्या हैं गुर्जरों की मांगें
पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) के तहत आने वाले गुर्जर सहित पांच समुदाय के लोग और शिक्षण संस्थानों में पांच प्रतिशत आरक्षण, छात्रों को छात्रवृत्ति और नौकरियों में पदों संबंधित मुद्दों के समाधान की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा गुर्जर समुदाय के कल्याण देवनारायण बोर्ड के लिए बजट और पूर्व में हुए गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान प्रदर्शन खिलाफ पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने की भी मांग की है।