एक डॉक्टर को उसके ही जूनियर ने पीजी में एडमिशन दिलाने का झांसा देकर करीब छह लाख रुपये ठग लिए। आरोपी ने मेडिकल कॉलेज में एमएस में प्रवेश की बात कहकर डॉक्टर से ऑनलाइन रुपये ट्रांसफर कराए और फिर भाग गया। जब मेडिकल कॉलेज की एडमिशन लिस्ट में डॉक्टर का नाम नहीं आया तो उन्हें धोखाधड़ी का पता चला। फिलहाल पुलिस ने आरोपी को असम से गिरफ्तार कर लिया है।
पढ़ाई के दौरान हुई थी दोस्ती
शिवरीनारायण क्षेत्र के खरौद निवासी अमित केसरवानी बेंगलुरु के टेलडर की राजीव गांधी यूनिवर्सिटी में बीएएमएस की पढ़ाई कर रहा था। वह साल 2020 में पास हुआ। इस दौरान उसकी पहचान उसी कॉलेज में पढ़ने वाले असम के तामुलपुर बाक्सा निवासी संजय दास से हुई। दोनों अच्छे दोस्त बन गए। इस बीच आरोपी संजय ने अमित से कहा कि उसकी अच्छी पहचान है और वह पीजी में एडमिशन करा सकता है।
एडमिशन कराने के नाम पर आठ लाख लिए
इसके बदले में आरोपी संजय दास ने कहा कि एडमिशन के लिए आठ लाख 15 हजार रुपये लगेंगे। उसकी बातों पर विश्वास कर अमित ने गूगल-पे और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिए किश्तों में दे दी। अमित का कहना है कि जब मेडिकल कॉलेज एडमिशन की लिस्ट निकली तो उसका नाम नहीं था। इस पर उसने संजय से रुपये लौटाने को कहा। इस पर संजय ने काफी प्रयास के बाद दो लाख 75 हजार रुपये वापस किए।
पुलिस ने आरोपी को उसके घर से गिरफ्तार किया
बाकी रकम देने के नाम पर तीन साल तक अमित को टालता रहा। परेशान होकर अमित ने 22 नवंबर को थाने में संजय के खिलाफ धोखाधड़ी की FIR दर्ज करा दी। इसके बाद पुलिस ने असम में छापा मारा और आरोपी को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपी संजय दास को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है।