जम्मू-कश्मीर में अब डाटा हैक करना आसान नहीं होगा। प्रदेश सरकार ने साइबर सुरक्षा नीति बनाने के साथ ही यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी स्थिति में कोई डाटा हैक न कर पाए। इसके लिए डाटा एक्सचेंज हाईवे बनेगा। इसके जरिये डाटा को सुरक्षित किया जाएगा।
इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि कोई एक डाटा दूसरी जगह गलत तरीके से इस्तेमाल न कर सके। सरकार से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि नई साइबर नीति में सुरक्षा हाइजीन का खास ख्याल रखा गया है।
एक डाटा एक्सचेंज हाईवे बनेगा, जिससे सभी विभाग और इकाइयों को वर्चुअली जोड़ दिया जाएगा। सभी विभागों के पास सर्टिफाइड डाटा होगा जो हाईवे से जुड़ेगा। विभागों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। यदि डाटा हैक हुआ तो संबंधित विभाग जवाबदेह होंगे।
उदाहरण के तौर पर यदि किसी व्यक्ति ने राजस्व विभाग में किसी काम के लिए दस्तावेज जमा किए तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उस विभाग की होगी। यह डाटा हाईवे पर चला जाएगा।
यदि इसी व्यक्ति को जमा किए दस्तावेज का डाटा दूसरे विभाग को जरूरत पड़ने पर जमा करना होगा तो उसे अलग से दस्तावेज नहीं देना होगा, बल्कि डाटा हाईवे से संबंधित विभाग वह दस्तावेज हासिल कर लेगा।
इसमें दस्तावेज देने वाले व्यक्ति का हस्ताक्षर भी डिजिटल होगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि पूरी पारदर्शिता रहेगी। इसमें जालसाजी की गुंजाइश नहीं रहेगी।
साजिशें नहीं हो पाएंगी सफल
सूत्रों ने बताया कि पड़ोसी देश पाकिस्तान रोजाना नई साजिशें करता है। ऐसे में सरकारी दस्तावेजों को पूरी तरह सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती है। नई साइबर सुरक्षा नीति से यह सुनिश्चित हो पाएगा।
सभी सरकारी विभाग पूरी तरह डाटा हैकिंग को लेकर सुरक्षित रहेंगे। पिछले दिनों बिजली विभाग का डाटा हैक कर लिया गया था, इससे ऑनलाइन बिलिंग प्रक्रिया प्रभावित हुई थी। अब हैकिंग को लेकर फूलप्रूफ व्यवस्था की गई है।