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मन की बात: मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के मरीजों के लिए उम्मीद की किरण है ‘मानव मंदिर’: प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ में मांसपेशियों से जुड़ी बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का जिक्र करते हुए इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हिमाचल प्रदेश स्थित ”मानव मंदिर” के प्रयासों की सराहना की।

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी मांसपेशियों के रोगों का एक ऐसा समूह है, जिसमें लगभग 80 प्रकार की बीमारियां शामिल हैं। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के कारण मांसपेशियां कमजोर व पतली होने लगती हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति डगमगाकर चलना, बार-बार गिरना, मांसपेशियों में दर्द व अकड़न, दौड़ने-भागने-बैठने या खड़े होने में समस्या से जूझता है।

प्रधानमंत्री अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 95वें संस्करण में इस बाबत अपने विचार साझा कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने मांसपेशियों से जुड़ी बीमारी मांसपेशीय दुर्विकास (मस्कुलर डिस्ट्रॉफी) के उपचार के लिए देश के सूदूर क्षेत्र में जारी सेवा कार्य का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विज्ञान की दुनिया ने अनुसंधान और नवाचार के साथ ही अत्याधुनिक तकनीकी और उपकरणों के सहारे काफी प्रगति की है, लेकिन कुछ बीमारियां आज भी हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है। ऐसी ही एक बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी है।

उन्होंने आगे कहा कि यह मुख्य रूप से एक ऐसी अनुवांशिक बीमारी है, जो किसी भी उम्र में हो सकती है। इसमें शरीर की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। रोगी के लिए रोजमर्रा के अपने छोटे-छोटे कामकाज करना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे मरीजों के उपचार और देखभाल के लिए बड़े सेवा-भाव की जरूरत होती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां हिमाचल प्रदेश में सोलन में एक ऐसा केंद्र है, जो मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण बना है। इस केंद्र का नाम ”मानव मंदिर” है। इसे इंडियन एसोसिएशन ऑफ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी द्वारा संचालित किया जा रहा है। मानव मंदिर अपने नाम के अनुरूप ही मानव सेवा की अद्भुत मिसाल है। यहां मरीजों के लिए ओपीडी और दाखिला की सेवाएं तीन-चार साल पहले शुरू हुई थी। मानव मंदिर में करीब 50 मरीजों के लिए बेड की सुविधा भी है। फिजियोथेरेपी, इलेक्ट्रोथेरेपी, 3 हाइड्रोथेरेपी के साथ-साथ योग-प्राणायाम की मदद से भी यहां रोग का उपचार किया जाता है।

हर तरह की हाई-टेक सुविधाओं के जरिए इस केंद्र में रोगियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का भी प्रयास होता है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से जुड़ी एक चुनौती इस बारे में जागरूकता का अभाव भी है। इसलिए, यह केंद्र हिमाचल प्रदेश ही नहीं, देशभर में मरीजों के लिए जागरूकता शिविर भी आयोजित करता है।

उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा हौसला देने वाली बात यह है कि इस संस्था का प्रबंधन मुख्य रूप से इस बीमारी से पीड़ित लोग ही कर रहे हैं, जैसे सामाजिक कार्यकर्ता, उर्मिला बाल्दी, इंडियन एसोसिएशन ऑफ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की अध्यक्ष बहन संजना गोयल और इस संस्था के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले विपुल गोयल इस संस्थान के लिए बहुत अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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