राजस्थान की राजधानी जयपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 68वें राष्ट्रीय अधिवेशन में युवा लघु भारत समाहित हो गया है। यहां देश के 24 प्रांतों से आए हुए पंद्रह सौ युवा प्रतिभागियों की उपस्थिति देश की विविध रूपा संस्कृति के दर्शन करा रही है। अलग-अलग प्रान्तों से पहुंचे युवा जब अपनी पारम्परिक वेशभूषा में एक-दूसरे से मिल रहे हैं तो ऐसा लग रहा है कि विभिन्न नदियों की धाराओं का संगम हो रहा है। पूर्वोत्तर से लेकर राजस्थान और कश्मीर से कन्याकुमारी तक के युवा प्रतिनिधि लघु भारत का दर्शन करा रहे हैं।
अंडमान से पहुंचीं सीमा कुमारी ने कहा कि जब विभिन्न प्रांतों से आए युवा प्रतिनिधियों से मिल रही हैं तो ऐसा लग रहा है कि जैसे संपूर्ण भारत एक परिवार की तरह है। सिक्किम की पार्वती शर्मा जब अपनी पारंपरिक नेपाली पोशाक में शामिल होने पहुंची तो वहां उपस्थित अन्य युवा पोशाक में शामिल गहनों के नाम पूछते नजर आए। पार्वती ने कहा कि यहां आकर ऐसा लग रहा है कि सारा भारत हमारा परिवार है।
दक्षिणी तमिलनाडु के एस सूर्या, के मनोज प्रभाकर, वी गोपी गंगाधरन, वी गौदम, झारखंड की संध्या कुमारी, सिक्किम की पार्वती ओझा, नार्थ बंगाल की प्रनीषा पोखराल, देवगिरी (महाराष्ट्र) की भूमिका, ईश्वरी संतोष पाठक, अरुणाचल प्रदेश के पेली रिबा, तामे सियांग, अंडमान की सीमा कुमारी झा, पंजाब के मूल निवासी और वर्तमान में लखनऊ निवासी सरदार हरप्रीत सिंह आदि ने इस अधिवेशन को सम्पूर्ण भारत का दर्शन बताते हुए कहा कि यहां सिर्फ नए मित्र ही नहीं बन रहे है, हमारा परिवार बढ़ रहा है, देश की सांस्कृतिक विरासत सशक्त हो रही है।
यहां युवा एक-दूसरे के विभिन्न व्यंजनों में क्या-क्या खास होता है उसकी जानकारी भी बटोर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि देश की यह युवा शक्ति ”ज्ञान-शील-एकता” के संकल्प को दृढ़ करने के लिए जुटी है। अधिवेशन का समापन रविवार को होगा।