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बॉन्ड पॉलिसी का विरोध कर रहे एमबीबीएस विद्यार्थियों की शुक्रवार को हरियाणा सरकार के साथ बैठक बेनतीजा रही। शुक्रवार को हरियाणा निवास में चार घंटे चली बैठक में मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी विद्यार्थियों को मना नहीं पाए। अब 48 घंटे का अल्टीमेटम खत्म होने पर शनिवार से रोहतक पीजीआई और करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर्स आपात सेवाएं भी रोक देंगे। विद्यार्थियों ने भी आमरण अनशन शुरू कर दिया है।
अनशन के दौरान रोहतक पीजीआई में छात्र रमन की हालत बिगड़ गई। उसे इमरजेंसी में भर्ती कराया गया है। वहीं, प्रदेश के चारों मेडिकल कॉलेजों के करीब 1500 विद्यार्थियों ने सेंटअप परीक्षा का बहिष्कार कर दिया। कहा, जब तक सरकार मांगें नहीं मान लेती परीक्षा के लिए पंजीकरण नहीं करेंगे।
प्रदर्शन के चलते परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाए हैं। सेंटअप परीक्षा के लिए गुरुवार पंजीकरण का अंतिम दिन था लेकिन किसी भी विद्यार्थी ने नामांकन नहीं किया। रेजिडेंट डॉक्टर भी पूरी तरह हड़ताल पर रहे। हालांकि, सरकारी डॉक्टरों ने नियमित सेवाएं दीं। इससे ओपीडी में आने वाले मरीजों को थोड़ी राहत मिली। पीजीआई की रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रधान डॉ. अंकित गुलिया ने कहा कि सरकार ने बैठक में कोई निर्णय नहीं लिया। अब आपात सेवाएं रोकेंगे।
क्या होता है सेंटअप परीक्षा
सेंटअप परीक्षा एमबीबीएस विद्यार्थियों की एक तरह की प्री-बोर्ड परीक्षा होती है। यह एमबीबीएस की वर्ष के अंत में होने वाली परीक्षा से सात से 15 दिन पहले होती है। इसी के आधार पर विद्यार्थी सालाना परीक्षा में बैठ पाते हैं।
सरकार का दावा है कि बॉन्ड पॉलिसी को लेकर एमबीबीएस विद्यार्थियों की सभी शंकाएं दूर करने की कोशिश की है। उम्मीद है कि जल्द विद्यार्थी हड़ताल वापस लेंगे। शुक्रवार शाम पांच बजे से हरियाणा निवास में हुई विद्यार्थियों के प्रतिनिधिमंडल से मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर, अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. अमित अग्रवाल, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव जी अनुपमा और डीएमईआर डॉ. आदित्य दहिया ने बैठक की।
बैठक में पूरी बॉन्ड पॉलिसी पर विस्तार से चर्चा की गई। साढ़े तीन घंटे तक सीएमओ के अधिकारी पॉलिसी बनाने के पीछे सरकार की मंशा समझाने की कोशिश करते रहे, हालांकि विद्यार्थियों ने सिरे से पॉलिसी को नकार दिया। फिलहाल किसी भी बिंदु पर सहमति नहीं बन पाई है। सूत्रों का कहना है कि सीएमओ के अधिकारी बीच का रास्ता निकालने के लिए तैयार किया गया फार्मूले के तहत अब बैठक होगी। इस पर सहमति के बाद अंतिम बैठक मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ कराई जाएगी। रविवार को दूसरे दौर की वार्ता हो सकती है।
बॉन्ड पॉलिसी में असल पेंच नौकरी की गारंटी पर फंसा हुआ है। मेडिकल विद्यार्थी चाहते हैं कि सरकार इस बात की गारंटी दे कि एमबीबीएस डिग्री के बाद सरकारी नौकरी मिलेगी लेकिन पॉलिसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। बल्कि सीट निकलने पर चयन प्रक्रिया को दोहराया है। अगर हर साल हरियाणा से 1735 एमबीबीएस डिग्रीधारक निकलते हैं और इनमें से आधों को सरकारी नौकरी मिलती है। विद्यार्थियों का तर्क है कि शेष विद्यार्थी भी सरकारी नौकरी करना चाहते हैं लेकिन सीट नहीं होने पर उनको बाहर जाना पड़ेगा तो भी उन्हें बांड की 40 लाख रुपये की राशि भरनी होगी।
पॉलिसी को लेकर अनिल विज ने की मुख्यमंत्री से बात
एमबीबीएस बॉन्ड पॉलिसी को लेकर चल रहे आंदोलन को लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बात की है। विज ने कहा कि इस मामले पर मुख्यमंत्री खुद संज्ञान ले रहे हैं, उम्मीद है कि मुद्दे का हल एक-दो दिन में निकल जाएगा। मेडिकल विद्यार्थियों और डॉक्टरों से अपील करते हुए विज ने कहा कि आंदोलन पर एतराज नहीं है लेकिन मरीजों का परेशानी नहीं होनी चाहिए। मानवता के आधार पर डॉक्टर्स को मरीजों के बारे में जरूर विचार करना चाहिए। वहीं, कॉमन कैडर के मुद्दे पर यह पहले ही तय हो चुका है कि पीजीआई डॉक्टरों को विकल्प दिया जाएगा कि वह पीजीआई कैडर में रहना चाहते हैं या कामन कैडर में जाना चाहते हैं। यह बात पीजीआई डॉक्टरों के प्रतिनिधियों से पहले ही बातचीत में तय हो चुकी है।