एशिया के सबसे बड़े फार्मा हब में नकली दवाओं के गिरोह का भंडाफोड़ होने से फार्मा हब की साख पर सवाल उठ रहे हैं। बद्दी में देश का 30 फीसदी दवाओं का उत्पादन होता है। बीबीएन में 45,000 करोड़ की दवाई प्रति वर्ष तैयार होती है, जो देश के कुल उत्पादन का 30 फीसदी है। बद्दी में दो साल में नकली दवाएं बनाने वाला चौथा उद्योग पकड़ा गया है। गुजरात के बाद यहां तैयार होने वाली दवाइयां बाहरी देशों में भी निर्यात होती है।
ऐसे में नकली दवाई का निर्माण होना गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगा रहा है। ड्रग विभाग ने जिस गिरोह का पर्दाफाश किया है, वह आगरा का संचालक है। उसने बद्दी में किसी और काम के नाम पर कंपनी लगाई है, लेकिन यहां रात के समय अवैध तरीके से दवाई का निर्माण होता था। बीती रात भी रात के समय दवाई का निर्माण किया गया और उसे रातोंरात ही बद्दी से बाहरी राज्यों में सप्लाई भेजी गई। इस काले धंधे में दवा निर्माता लाखों रुपये कमाता था। जिन कंपनियों के नाम पर यह दवाई बन रही थी, उनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में साख है जिनके नाम से ही दवाई बिकती है।
अब ड्रग विभाग के पास 12 इंस्पेक्टर हैं जिसमें चार इंस्पेक्टर इसी काम में लगाए हैं। यहां से कोई गलत तरीके से दवाई न जाए। विभाग ने दो साल के भीतर यह चौथी कंपनी पकड़ी है जिसमें नकली दवाई बनती थी। इससे पहले ग्लेनमार्क, आर्या और एक्लाइन कंपनी को फर्जी दवाई बनाते हुए पकड़ा गया था। इन कंपनियों के पास फूड लाइसेंस था जिसकी आड़ में यह नकली दवाई बनाते थे। जो दवाई कंपनी अब पकड़ी है, उसके पास तो फूड लाइसेंस भी नहीं है।
रात भर रेकी के बाद पकड़ा मामला, कंपनी के नाम का जल्द खुलासा होने का दावा
बद्दी में नकली दवाइयां बनाकर बेचने का काला धंधा लंबे समय से चल रहा था। दवा नियंत्रण विभाग के निरीक्षकों ने रात भर रेकी कर पहरा दिया और इस गिरोह को पकड़ा। यहां पर नकली दवा का गोदाम ही नहीं बल्कि इन दवाओं को बनाने वाली कंपनी भी है। इसका भी जल्द ही खुलासा होगा। उद्योग संचालक आगरा निवासी मोहित बंसल कभी-कभार यहां आता है।
गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। सभी कंपनियों के निर्माण पर विभाग की नजर है। यहां की दवाइयों की गुणवत्ता गुजरात के बाद सबसे अधिक है। औद्योगिक पैकेज के बाद भी यहां से एक भी कंपनी का पलायन नहीं हुआ बल्कि पैकेज के बाद 80 नई दवा कंपनियों ने यहां पर उद्योग लगाए हैं। अभी गोदाम में मिली दवाइयों की गिनती की जा रही है। उसके बाद निर्माण कंपनी की भी धर पकड़ होगी। – नवनीत मरवाह, राज्य दवा नियंत्रक