भले ही कांग्रेस को मल्लिकार्जुन खरगे के रूप में 24 साल बाद एक गैर-गांधी अध्यक्ष मिल गया है और वह चुनावी राज्यों में चुनाव प्रचार में उतरे भी हैं, इसके बाद भी पार्टी में गांधी परिवार का प्रभुत्व साफ दिखाई पड़ रहा है। एआईसीसी के शीर्ष नेता के बदल जाने के एक महीने बाद खरगे की तस्वीर अभी भी कांग्रेस मुख्यालय के आधिकारिक होर्डिंग बोर्ड से गायब है। यही नहीं, खरगे की तस्वीर को अभी तक पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों के कमरों में भी जगह नहीं मिली है। ऐसा तो तब भी नहीं था जब सोनिया गांधी ने नेतृत्व की भूमिका निभाई और जब राहुल गांधी महासचिव और बाद में पार्टी प्रमुख बने थे।
अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद खरगे ने अपने घर पर मिलने का समय देकर नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिलना शुरू किया। वह हिमाचल प्रदेश और गुजरात चुनाव के लिए चुनावी अभियान में भी उतरे। उन्होंने सुबह 11 से 1 बजे के बीच कांग्रेस मुख्यालय में बिना अप्वाइंटमेंट के कार्यकर्ताओं से मिलना भी शुरू कर दिया है। पार्टी नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी के 2019 में पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा देने के बाद बैठकों की यह प्रक्रिया एक तरह से ठप हो गई थी। कांग्रेस सांसद और खरगे से जुड़े समन्वयक नसीर हुसैन ने बताया कि सोनियाजी और राहुलजी भी मिलते थे, लेकिन कोरोनोवायरस के कारण यह सब बंद हो गया। यह फिर से शुरू हो गया है और लोग बिना किसी पूर्व सूचना के मिल सकते हैं।
खरगे ने पूरी तरह से सत्ता अपने हाथ में ले ली है, लेकिन जाहिर तौर पर कांग्रेस का तंत्र प्रतिक्रिया देने में धीमा है। जब सोनिया अध्यक्ष बनीं तो उनकी तस्वीर दिल्ली के 24 अकबर रोड स्थित पार्टी मुख्यालय के आधिकारिक बोर्ड पर लगी थी। कांग्रेस मुख्यालय में हर कांग्रेस पदाधिकारी के कमरे में सोनिया के साथ-साथ अन्य दिग्गज नेताओं की तस्वीरें लगाई गई थीं। महासचिव नियुक्त किए जाने के तुरंत बाद राहुल गांधी की तस्वीर एआईसीसी के पदाधिकारियों के कमरों में भी आ गई थी। 2017 में उनके पार्टी प्रमुख बनने के बाद से उनकी तस्वीर पूरे एआईसीसी में थी और गांधी-नेहरू परिवार के अन्य सदस्यों की तस्वीरें भी दीवारों पर सजी थीं, जो पार्टी पदों पर आसीन थे।
दरअसल, 2019 में अंतरिम अध्यक्ष बनने के 24 घंटे के भीतर राहुल गांधी की तस्वीर को पार्टी के आधिकारिक बोर्ड पर सोनिया की जगह लगा दिया गया था। दोनों नेताओं की तस्वीरें पहले से ही एआईसीसी कार्यालय के कमरों में थीं। नासिर हुसैन ने खरगे की तस्वीर लगाने में हुई देरी पर पार्टी का बचाव करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि मैंने नहीं देखा कि कहां तस्वीर नहीं लगाई गई है, पोस्टरों में इसका इस्तेमाल प्रचार और घोषणापत्र के लिए किया गया है। बाकी जगहों पर भी इसे जल्द ही लगाया जाएगा। बहरहाल, इस पूरे मामले ने भाजपा को बार फिर कांग्रेस पर हमला बोलने का मौका दे दिया है। हालांकि गांधी परिवार ने प्रोटोकॉल का पालन किया है और खरगे के लिए उचित शिष्टाचार दिखाया गया है, परंतु इसके बावजूद प्रतिक्रिया देने में धीमी ‘कांग्रेस की प्रणाली’ कई सवाल खड़े करती है।