राजस्थान में उपजाऊ भूमि के मरुस्थलीकरण को रोककर और पलट कर मिट्टी को बचाने के लिए पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय व कृषि मंत्रालय ने ईशा फाउंडेशन के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। ऐसे समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाला राजस्थान भारत का दूसरा राज्य बन गया है। यह हस्ताक्षर शुक्रवार को जयपुर में एक सार्वजनिक मिट्टी बचाओ कार्यक्रम में किए गए। इस अवसर पर पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री राजेश चंद मीणा, कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सदगुरु ने राज्य और देश की कृषि भूमि को बंजर होने से बचाने के लिए तत्काल प्रयास शुरू करने का आह्वान किया।
पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री राजेश चंद मीणा ने कहा कि प्रकृति में हम जो कुछ भी देखते हैं, वह मिट्टी से आता है और वापस मिट्टी में चला जाएगा। यह आंदोलन सदगुरु का व्यक्तिगत आंदोलन नहीं है, यह आम आदमी के लाभ के लिए है। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं से मिट्टी को पुनर्जीवित करने के लिए पर्यावरणीय रूप से स्थायी कार्यों के लिए प्रतिबद्ध होने का आग्रह किया।
कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि सदगुरु के नेतृत्व में मिट्टी बचाओ के संदेश को फैलाने के लिए आने वाले समय में भावी पीढ़ियां इस आंदोलन को और आगे ले जाएंगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आंदोलन निश्चित रूप से मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में ठोस परिणाम देगा।
कृषि मंत्री और सदगुरु ने किसान और मिट्टी के अनुकूल कृषि नीतियां बनाकर राज्य की मिट्टी को बचाने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) का आदान-प्रदान किया।
जयपुर प्रदर्शनी एंड कन्वेंशन सेंटर (जेईसीसी) में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान प्रसिद्ध लोक कलाकारों इला अरुण, कुटले खान और ईशा की घरेलू मंडली, साउंड्स ऑफ ईशा और ईशा संस्कृति द्वारा संगीत और नृत्य की प्रस्तुति दी।
आपको बता दें कि सदगुरु वर्तमान में मिट्टी के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के लिए वैश्विक सहमति बनाने के लिए यूरोप, मध्य एशिया और मध्य पूर्व में 100 दिन की 30 हजार किलोमीटर की मोटरसाइकिल यात्रा पर अकेले निकले हुए हैं। वे 29 मई को भारतीय तट पर गुजरात के जामनगर पहुंचे। गुजरात में सद्गुरु के यात्रा के दौरान, गुजरात राज्य मिट्टी बचाने के लिए मझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाला पहला भारतीय राज्य बना।
मिट्टी बचाओ अभियान का मूल उद्देश्य मिट्टी के विलुप्त होने को संभालना है और दुनिया के सारे देशों पर तत्काल नीतिगत सुधारों के जरिए कृषि-भूमि में कम से कम 3-6 प्रतिशत जैविक तत्व पक्का करने पर जोर डालना है। भारत में, कृषि-भूमि में औसत जैविक तत्व 0.68 प्रतिशत होने का अनुमान है, जिस कारण देश को मरुस्थलीकरण और मिट्टी विलोपन का बड़ा खतरा है। देश में लगभग 30 प्रतिशत उपजाऊ मिट्टी पहले ही बंजर हो गई है और फसल देने में नाकाबिल है।
मिट्टी बचाओ अभियान का लक्ष्य दुनिया भर में नागरिकों को अपने देशों में मिट्टी के विनाश को रोकने के समर्थन में अपनी आवाज उठाने को प्रेरित करना है। ऐसा अनुमान है कि मिट्टी के विलुप्त होने से अभूतपूर्व वैश्विक संघर्ष, भोजन और पानी की कमी, गृह युद्ध, जलवायु के तीव्र परिवर्तन के असर, और दुनिया भर में अनियंत्रित सामूहिक पलायन शुरू हो सकता है।
मिट्टी बचाओ अभियान को यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेज़र्टिफिकेशन, यूनाइटेड नेशंस पर्यावरण कार्यक्रम, यूएन वर्ल्ड खाद्य कार्यक्रम और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर का भी समर्थन प्राप्त है। जब से सद्गुरु ने 21 मार्च को लंदन में अपनी यात्रा शुरू की, दुनिया भर के 74 देशों ने अपने देशों में मिट्टी को बचाने के लिए ठोस कार्रवाई करने का संकल्प लिया है।