महारानी लक्ष्मीबाई की 194वीं जयंती उनकी जन्मस्थली भदैनी में शनिवार को धूमधाम से मनाई गई। सामाजिक संस्था जागृति फाउंडेशन और महारानी लक्ष्मीबाई जन्मस्थली स्मारक समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि श्रीसंकट मोचन मंदिर के महंत प्रो.विश्वम्भर नाथ मिश्र, विशिष्ट अतिथि ग्वालियर महारानी लक्ष्मीबाई के समाधि स्थल से आये मोहन अग्रवाल, उनकी पत्नी पूनम अग्रवाल, बीएचयू राजनीति शास्त्र विभाग के पूर्व डीन प्रो. कौशल किशोर मिश्र एवं फाउंडेशन के महासचिव रामयश मिश्र ने महारानी की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किया।
इस अवसर पर प्रो.विश्वम्भर नाथ मिश्र ने कहा कि झांसी की रानी काशी की बेटी थीं। हमें बहुत ही गर्व है कि वह हम लोग के मोहल्ले की थीं। आज उनकी जन्मस्थली आकर गर्व की अनुभूति हो रही है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में जो अपना अमूल्य योगदान दिया उसको हम शब्दों में वर्णन नहीं कर सकते। रानी लक्ष्मीबाई के बताए हुए रास्ते पर चलकर ही आज देश स्वतंत्र हुआ और हमें इस महिला वीरांगना पर गर्व है। प्रो.कौशल किशोर मिश्र ने कहा कि महारानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के समक्ष समर्पण करने से इनकार करते हुए अपनी झांसी किसी को नहीं देने का संकल्प लिया था। उसी का परिणाम रहा कि हमारा देश आज स्वतंत्र हुआ और हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं।
प्रो.मिश्र ने केंद्र और राज्य सरकार से 19 नवंबर को बेटी दिवस मनाने की अपील भी की। कार्यक्रम के संयोजक एवं संचालन कर रहे रामयश मिश्र ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि वह वाराणसी से बुंदेलखंड को जाने वाली बुंदेलखंड एक्सप्रेस का नाम बदलकर उसे वीरांगना एक्सप्रेस के नाम से चलाएं। उन्होंने कहा कि महारानी की जन्मस्थली से लेकर उनकी शहीद स्थली तक यह ट्रेन जाती है इसलिए इसका नाम वीरांगना एक्सप्रेस होना चाहिए।