प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 19 नवम्बर को अपराह्न 01 बजे अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आ रहे हैं। प्रधानमंत्री के दौरे के मद्देनजर तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। ‘काशी-तमिल संगमम’ के विशाल होर्डिंग बीएचयू और आसपास के इलाकों में दिखने लगे हैं। स्वच्छता अभियान ने भी जोर पकड़ लिया है। जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने बुधवार को बीएचयू स्थित कार्यक्रम स्थल पर तैयारियों का जायजा लेने के बाद प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। बीएचयू के एंफीथिएटर ग्राउंड में कार्यक्रम की तैयारिया युद्ध स्तर पर चल रही हैं। विशाल पंडाल भी लगभग बन कर तैयार हो गया है।
‘काशी-तमिल संगमम’ का शुभारंभ करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी आईआईटी मद्रास के चयनित 200 मेधावी छात्रों की टीम से बातचीत भी करेंगे। ‘काशी-तमिल संगमम’ में आने वाले आदिनम (महंतों) को काशी में बसे लघु तमिलनाडु का भ्रमण भी कराया जाएगा। हनुमान घाट और उसके आसपास स्थित शंकर मठ सहित अन्य मंदिरों को भी दिखाने की तैयारी है। शहर में बसे तमिल परिवारों के बीच भी उन्हें ले जाया जाएगा। तमिलनाडु के 12 प्रमुख आदिनम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आ रहे हैं। इनका सम्मान भी किया जाएगा। समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ज्योर्तिलिंग काशी विश्वनाथ और रामेश्वरम् के एकाकार पर आदिनम से संवाद भी करेंगे।
काशी तमिल संगमम की शुरुआत गुरुवार से हो रही है। कार्यक्रम स्थल पर तमिलनाडु के कलाकृतियों, संस्कृतियों, मंदिरों और हेरिटेज की जानकारियां देने के साथ 30 दिन तक वहां के व्यंजनों का स्वाद भी मिलेगा। इसमें दक्षिण भारत के टेस्ट वाला इडली-डोसा, सांभर और उप्पम खाने को मिलेगा। साथ ही चेत्तीनाद कुसिन, कुंगनाड़ कुसिन, पोरियल (कई तरह की सब्जियों से बना व्यंजन), मोर कुलम्बु (नारियल के साथ दही और मसाले), पुली कुलम्बु, मुरुक्कू, लेमन राइस, नेई पायसम, पोरियाल पोंगल समेत सैकड़ों तरह के व्यंजन का लोग आनंद ले सकेंगे। इस कार्यक्रम के आयोजन की जिम्मेदारी शिक्षा मंत्रालय को सौंपी गई है। मेहमान नवाजी काशी हिंदू विश्वविद्यालय और आईआईटी मद्रास संयुक्त रूप से कर रहे हैं। इस आयोजन का प्रस्ताव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष डॉ. चमू कृष्ण शास्त्री ने दिया था।