केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार गरीबी मुक्त आजीविका ग्राम पंचायत बनाने की दिशा में तेजी से कार्य कर रही है। आजीविका मिशन के तहत दस करोड़ घरों तक पहुंचना है, जो इससे जुड़ेंगे, उस आजिविका दीदी की न्यूनतम आय एक लाख हो जाएगी।
अपने संसदीय क्षेत्र बेगूसराय के भ्रमण पर आए गिरिराज सिंह ने कहा कि निर्धनता मुक्त और संवर्धित आजीविका ग्राम पंचायत पर विषयगत दृष्टिकोण अपनाने के माध्यम से ग्राम पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण (एलएसडीजी) पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। ताकि उनकी निर्धनता दूर कर लखपति दीदी बनाया जाए।
नरेन्द्र मोदी जब भारत के प्रधानमंत्री बने थे तो दो करोड़ 35 लाख दीदी थी, 80 हजार बैंक लिंकेज था। आज आठ करोड़ 70 लाख दीदी हैं और साढ़े पांच लाख करोड़ का बैंक लिंकेज हो गया है। उस समय एनपीए 9.58 था, आज दो प्रतिशत पर आ गया है, यह देश का सबसे कम एनपीए है। आने वाले दिनों में महिलाओं को लखपति बनाएंगे तो भारत में महिलाओं के आमदनी से जीडीपी पांच ट्रिलियन बढ़ने की संभावना है। आईएमएफ और मोरगेन एसट्रेलनी ने कहा है कि भारत आने वाले दस साल में साढ़े सात ट्रिलियन का होगा। इसमें ग्राम पंचायत और आजिविका दीदी का महत्वपूर्ण योगदान है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए सतत विकास लक्ष्य के अनुरूप पंचायत राज मंत्रालय ने एसडीजी के लिए विषयगत दृष्टिकोण अपनाया है। यह वैश्विक योजना अर्जित करने के लिए स्थानीय कार्रवाई सुनिश्चित करने का दृष्टिकोण है। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य पीआरआई और विशेष रूप से ग्राम पंचायतों के माध्यम से 17 लक्ष्यों को नौ थीम में शामिल कर ग्रामीण क्षेत्रों में एसडीजी का स्थानीयकरण करना है। इस नीतिगत निर्णयों और संशोधनों के कारण राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान तथा ग्राम पंचायत विकास योजना के दिशा-निर्देशों में सुधार हुआ है, जो ग्राम पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण की प्रक्रिया को सुगम बनाता है। सभी राज्य को नौ थीम दिया गया है तथा राज्यों द्वारा पंचायत को दो-दो थीम प्रदान किए गए हैं। किसी पंचायत ने शिक्षा को प्राथमिकता दिया है तो कोई तो कोई पानी, स्वच्छता, स्वास्थ्य और ग्रीन एनर्जी को अपना रहा है।
पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के एजेंडे के अनुसरण के लिए पंचायती राज मंत्रालय नौ थीमों पर विभिन्न स्थानों पर पंचायती राज संस्थाओं, ग्रामीण विकास संस्थानों, संबंधित मंत्रालयों एवं विभागों तथा अन्य हितधारकों के सहयोग से कार्यशाला तथा सम्मेलनों की श्रृंखला आयोजित कर रहा है। एलएसडीजी का प्रभावी और प्रभावशाली कार्यान्वयन तभी हो सकता है, जब त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थानों द्वारा अवधारणा और इसकी प्रक्रिया को समुचित रूप से समझा, आत्मसात एवं कार्यान्वित किया जाए। जिससे कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विकास प्रक्रिया में कोई भी पीछे नहीं छूट जाए।
निर्धनता मुक्त पंचायत सुनिश्चित करेगा कि सामाजिक सुरक्षा हो, ताकि कोई भी फिर गरीब नहीं हो जाए। एक ऐसा गांव जहां सभी के लिए बढ़ी हुई आजीविका के साथ विकास और समृद्धि हो। निर्धनता बहुआयामी और विभिन्न कारणों से उत्पन्न होती है, जिसका जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव पड़ता है। रोजगार के अवसर, सामाजिक सुरक्षा, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा सहित मूलभूत सेवाओं तक पहुंच, मितव्ययिता और ऋण के लिए सक्षमकारी वातावरण, भूमि उत्पादकता में सुधार और निर्धनों तथा विभिन्न आपदा से निर्बल लोगों की अनुकूलता इसका केंद्र है।
पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधि एवं पदाधिकारी, प्रमुख हितधारक, डोमेन विशेषज्ञ और एजेंसियां निर्धनता उन्मूलन, रोजगार सृजन और कौशल-आजीविका बढ़ाने तथा ग्रामीण समुदायों को बेहतर आय सृजन के अधिक संभावनाओं की खोज करने के लिए सक्षमकारी वातावरण की सुविधा प्रदान करने पर काम किया जा रहा है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत प्रभावी शासन प्रणाली की स्थापना का समर्थन करने, राज्य की क्षमताओं को मजबूत करने, पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) और स्वयं सहायता समूहों-एसएचजी को शामिल करने के लिए राष्ट्रीय रणनीति का अभिनव मॉडल स्थापित करने और लागू कराने के लिए लक्ष्य के अनुरूप कार्य कर रही है।
डीएवाई-एनआरएलएम ग्रामीण गरीबों, मुख्य रूप से महिलाओं के लिए संस्थागत मंच बनाने की दिशा में भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है, जो उन्हें स्थाई आजीविका में वृद्धि के माध्यम से घरेलू आय बढ़ाने में सक्षम बनाता है एवं अधिकारों, अधिकारों तक पहुंच में वृद्धि के अलावा वित्तीय सेवाओं और सार्वजनिक सेवाओं तक बेहतर पहुंच प्रदान करता है। 13 हजार करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक बजट परिव्यय के साथ यह कार्यक्रम 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 723 जिलों के सात लाख 15 हजार गांवों में फैला हुआ है और 8.6 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को इसके दायरे में शामिल करता है।