Share Market: अक्टूबर की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई के आंकड़े आज आएंगे। वहीं, घरेलू और विदेशी निवेशकों की नजर इस सप्ताह खुदरा एवं थोक महंगाई के आंकड़े और कपंनियों के तिमाही नतीजों पर होगी। यह आंकड़े इस सप्ताह बाजार की दिशा तय करेंगे। इस सप्ताह इनका असर बाजार पर देखने को मिलेगा।
इसी तरह रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास के उस बयान पर भी अगले सप्ताह बाजार की प्रतक्रियिा आएगी, जिसमें उन्होंने कहा है कि अक्तूबर में खुदरा महंगाई की दर सात प्रतिशत से कम होगी। साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार जारी मजबूत निवेश धारणा की भी बाजार को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
महंगाई घटने पर थम सकती है ब्याज दरें
महंगाई पर अंकुश के लिए रिजर्व बैंक मई के बाद से अब तक रेपो दर में 1.90 फीसदी का इजाफा कर चुका है। इससे बैंकों ने कर्ज महंगा कर दिया है जिससे कारोबारी धारणा और उपभोक्ता मांग प्रभावित हुई। विश्लेषकों का मानना है कि यदि अक्तूबर और उसके बाद भी महंगाई नरम पड़ती है तो रिजर्व बैंक आगे दरों में वृद्धि के लिए इंतजार कर सकता है। इससे ब्याज दरों को बढ़ाने का सिलसिला थम सकता है।
विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय इक्विटी बाजारों में नवंबर महीने में अब तक करीब 19,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है जिसके पीछे अमेरिका में मुद्रास्फीति नरम पड़ने और डॉलर की मजबूती कम होने का हाथ रहा है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि नवंबर में विदेशी निवेशकों के अनुकूल रुख रहने के पहले लगातार दो महीनों तक निकासी का दौर देखा गया था।
आईआईएफएल के उपाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि एफपीआई आने वाले दिनों में भी खरीदारी का सिलसिला जारी रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़ों में नरमी का रुख रहने और डॉलर एवं बॉन्ड प्रतिफल घटने से विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों के प्रति दिलचस्पी दिखा सकते हैं।