इंसान के शरीर में करीब 70 फीसदी पानी का होना शुद्ध जल की अहमियत साबित करता है। शरीर के अंदर इसके कई काम हैं। यह पोषक पदार्थों को एक जगह से दूसरी जगह लाता-ले जाता है। अंगों की मरम्मत करता है और ऊतकों को सपोर्ट भी। पानी की कमी होने से शरीर का निर्जलीकरण हो जाता है और दूषित पानी का सेवन घातक बीमारियों की वजह बनता है। बीमारियों को जन्म देने वाले प्रदूषकों से दिल्ली का भूजल भी दूषित है। जबकि पेजयल तक के लिए दिल्ली की बड़ी आबादी इसी पर निर्भर है।
केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली में जमीन के अंदर के पानी में फ्लोराइड, आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा है। लवणता भी अधिकतम मात्रा को पार कर गई है। 2022 की सक्रिय भूमि जल संसाधन रिपोर्ट से पता चलता है कि दिल्ली में तहसील स्तर की 34 मूल्यांकन इकाइयों में से 10 में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा पाई गई। जबकि 14 इकाइयों में पानी की लवणता ज्यादा है। दूसरी तरफ, तीन इकाइयां ऐसी भी मिलीं, जिनमें आर्सेनिक ज्यादा था। इसमें से कई इलाकों के भूजल में फ्लोराइड व आर्सेनिक दोनों मिला है। इनका सेहत पर घातक असर पड़ रहा है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि पानी में फ्लोराइड की अधिकता हड्डियों और दांतों को कमजोर कर देता है। इससे हड्डियां मुड़ने लगती हैं। जोड़ों में दर्द रहता है और थाइराइड की ग्रंथियों को क्षति पहुंचाता है। वहीं, आर्सेनिक की मात्रा का बढ़ना भी काफी खतरनाक होता है। इससे त्वचा रोग, आंखों के रोग, कैंसर, फेंफड़ों और किडनी से संबंधित आदि बीमारियों के होने का खतरा है। लवणता बढ़ने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है। वहीं, पथरी होने की आशंका भी रहती है।
यहां मौजूद है फ्लोराइड
अलीपुर, नरेला, द्वारका, नजफगढ़, महरौली, चाणक्यपुरी, कंझावला, रोहिणी, सरस्वती विहार, पटेल नगर।
अलीपुर, नरेला, द्वारका, नजफगढ़, महरौली, चाणक्यपुरी, कंझावला, रोहिणी, सरस्वती विहार, पटेल नगर।
यहां है आर्सेनिक
सीलमपुर, डिफेंस कालोनी
सीलमपुर, डिफेंस कालोनी
नजूल भूमि लवणता
अलीपुर, नरेला, मॉडल टाउन, द्वारका, कापसहेड़ा, नजफगढ़, दिल्ली कंटोनमेंट, वसंत विहार, कंझावला, रोहिणी, सरस्वती विहार, पटेल नगर, पंजाबी बाग, राजौरी गार्डन।
अलीपुर, नरेला, मॉडल टाउन, द्वारका, कापसहेड़ा, नजफगढ़, दिल्ली कंटोनमेंट, वसंत विहार, कंझावला, रोहिणी, सरस्वती विहार, पटेल नगर, पंजाबी बाग, राजौरी गार्डन।
लवणता अधिक होने पथरी होने की आशंका रहती है। जबकि फ्लोराइड हड्डियों पर बुरा असर डालता है। सबसे ज्यादा दिक्कत भारी धातु आर्सेनिक से होती है। लंबे वक्त तक इस तरह का पानी पीने से कैंसर होने तक का खतरा रहता है। इस तरह के प्रदूषक भूजल नीचे जाने से पानी ज्यादा मिलते हैं। वहीं, मिट्टी की बनावट भी इसकी वजह बनती है। -डॉ. नीरज त्रिपाठी, वरिष्ठ चिकित्सक, आयुष विभाग, दिल्ली सरकार
पानी खून में सबसे प्रभावी है। यह शरीर में पोषक तत्वों का वहन करता है। वहीं, ऊतकों के बीच इसकी मौजूदगी सपोर्ट और मरम्मत का भी काम करती है। अगर दूषित पानी शरीर में जा रहा है तो उसका अलग-अलग अंगों पर असर पड़ता है। -डॉ. पुलिन गुप्ता, वरिष्ठ चिकित्सक, मेडिसिन डिपार्टमेंट, आरएमएल हॉस्पिटल