प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यहां कहा कि भारत आज प्रशासन और भौतिक व डिजिटल इन्फ्राट्रक्चर के निर्माण एक अलग ही स्तर पर काम कर रहा है। पहले की सरकारें गति को विलासिता और बड़े पैमाने पर काम को जोखिम मानती थी। हमने इस मानसिकता को बिल्कुल बदल दिया है। हम गति को आकांक्षा और पैमाने को राष्ट्र की ताकत मानते हैं। प्रधानमंत्री ने आज दोपहर में बेंगलुरु में एक जनसभा को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री आज से दक्षिण भारत के 4 राज्यों कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के दो दिवसीय दौरे पर हैं।
जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले का भारत वर्तमान समृद्ध और तकनीकी रूप से उन्नत भारत से बिल्कुल अलग था। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम की सफलता में बेंगलुरु के प्रोफेशनल का बड़ा योगदान है। 5जी तकनीक और यूपीआई इसके उदाहरण है। भारत अपने स्टार्टअप के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है और भारत को स्टार्टअप हब के रूप में स्थापित करने में बेंगलुरु की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। हम बेंगलुरु सहित कर्नाटक के विकास और विरासत दोनों को सशक्त कर रहे हैं। आज कर्नाटक को पहली मेक इन इंडिया वंदे भारत ट्रेन मिली है।
प्रधानमंत्री ने केसीआर रेलवे स्टेशन पर जाकर आज वंदे भारत एक्सप्रेस और भारत गौरव काशी दर्शन ट्रेन को हरी झंडी दिखाई और केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 2 का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा, “वंदे भारत एक्सप्रेस इस बात का प्रतीक है कि भारत अब रुक रुक कर चलने वाले दिनों को पीछे छोड़ चुका है और तेजी से दौड़ना चाहता है और हर संभव प्रयास कर रहा है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि एयरपोर्ट से हमारे सपनों शहरों का बिजनेस पोटेंशियल बढ़ रहा है और नौजवानों को नए अवसर मिल रहे हैं। उनकी सरकार ने एयरपोर्ट का निर्माण कर रही है। 2014 से पहले देश में 70 एयरपोर्ट से आप इनकी संख्या दोगुनी यानी 140 हो गई है।
दोपहर में प्रधानमंत्री ने नादप्रभु केंपेगौड़ा की 108 फीट की कांस्य प्रतिमा का भी अनावरण किया। इससे पहले, आज सुबह बेंगलुरु में महार्षि वाल्मीकि और संत कवि कनकदास की प्रतिमाओं को पुष्पांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने कहा कि संत कनकदास ने हमारे समाज को मार्गदर्शन दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नादप्रभु केंपेगौड़ा की विशाल प्रतिमा हमें भविष्य में बेंगलुरु भविष्य के भारत के लिए निरंतर मेहनत करने की प्रेरणा देगी। साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले 3 सालों में को फिर से प्रभावित होने के बावजूद कर्नाटक मंत चार लाख करोड़ का निवेश प्राप्त हुआ है। कर्नाटक को मिलने वाला निवेश केवल आईटी सेक्टर से ही जुड़ा नहीं है बल्कि इसमें बायोटेक और रक्षा क्षेत्र भी शामिल है।