केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) और अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन (Janet Yellen) शुक्रवार को नई दिल्ली में जलवायु वित्त सहित पारस्परिक हित के कई मुद्दों पर चर्चा करेंगी। दोनों नेता ‘भारत-अमेरिका आर्थिक और वित्तीय साझेदारी’ (India-US EFP) की 9वीं बैठक का नेतृत्व करेंगे। अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन 11 नवंबर को एक दिवसीय दौरे पर भारत आएंगी।
वित्त मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा कि 9वीं ‘भारत-अमेरिका आर्थिक और वित्तीय साझेदारी’ बैठक के दौरान, दोनों पक्ष जलवायु वित्त, बहुपक्षीय मुद्दों, भारत की अध्यक्षता में जी20 में भारत-अमेरिका सहयोग, कर-निर्धारण, आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन, वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण सहित पारस्परिक हित के मुद्दों पर चर्चा करेंगे। अमेरिकी वित्त मंत्री दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को गहरा करने के उपायों पर चर्चा करेंगी। येलेन भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी के महत्व के बारे में भी बताएंगी।
एक अन्य ट्वीट में कहा गया कि 9वीं भारत-अमेरिका ईएफपी बैठक से इतर निर्मला सीतारमण और जेनेट येलेन शीर्ष व्यापारिक नेताओं और प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों के साथ भारत-अमेरिका व्यापार और आर्थिक अवसरों पर एक गोलमेज वार्ता में भी भाग लेंगी।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में येलन ने कहा था कि तेल पर प्रस्तावित मूल्य सीमा से भारत को लाभ होगा। उन्होंने यह यह तर्क दिया था कि अमेरिका नहीं चाहता है कि रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के कारण अनिवार्य रूप से तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का फायदा रूस को मिले और वह युद्ध से अनुचित लाभ प्राप्त करे।
भारत और चीन जैसे विकासशील देश तेजी से रियायती दर पर रूस से तेल खरीद रहे हैं क्योंकि वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें ज्यादा हैं और पश्चिमी देश रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहते हैं। येलेन ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि “हम चाहते हैं कि रूसी तेल वैश्विक बाजारों की आपूर्ति जारी रखे, बाजार पर बने रहें। लेकिन हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि युद्ध के कारण अनिवार्य रूप से बढ़ी कीमतों का फायदा उठाकर रूस को युद्ध से अनुचित लाभ न हो।”